नवरात्रि का पर्व ज़ोरोशोरों से मनाया जा रहा है और आज नवरात्रि का सातवां दिन है। इस दिन को सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन मां कालरात्रि को समर्पित होता है जिन्हें मां दुर्गा का रौद्र रूप माना गया है। मां कालरात्रि के नाम का अर्थ है ‘काल’ अर्थात समय, और ‘रात्रि’ का मतलब होता है रात। हिंदू धर्म के प्राचीन शास्त्रों के अनुसार मां पार्वती ने असुरों शुंभ और निशुंभ को मारने के लिए माता को स्वर्ण अवतार दिया था और उसी दिन से उन्हें कालरात्रि के नाम से जाना जाने लगा। मां कालरात्रि की चार भुजाएं होती हैं जिनमें से ऊपर का दाहिना हाथ वरद मुद्रा में है और नीचे का हाथ अभय मुद्रा में है और उनके बायें हाथ में लोहे का कांटा है और नीचे के हाथ में खडग है। मां कालरात्रि का वाहन गधा होता है।
देवी कालरात्रि को देवी काली के नाम से भी जाना जाता है जो शक्ति का एक और रूप होती हैं। इसके अलावा मां कालरात्रि को रौद्री और धुमोना के नाम से भी जाना जाता है। मां कालरात्रि अपने भक्तों को ज्ञान और धन का आशीर्वाद देने के लिए भी जानी जाती है।
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दुर्गा पूजा सप्तमी पूजन विधि
नवरात्रि की सप्तमी तिथि के दिन कालरात्रि देवी की पूजा की जाती है। इसके लिए सबसे पहले कलश के पास मां कालरात्रि की कोई तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें और मंत्रों या सप्तशती का पाठ करें। पूजा में चमेली, गुलदाउदी, और गुड़हल के फूल अवश्य शामिल करें। इसके अलावा इस दिन के भोग में मां को गुड़ और जल चढ़ाए जाने का विधान बताया गया है। साथ ही यदि आप चाहें तो मिठाई और फल भी माता को भोग के रूप में अर्पित कर सकते हैं। सातवें दिन की पूजा के दौरान भगवान विष्णु और ब्रह्मा देव की भी पूजा की जाती है। अंत में माता की आरती उतारें और पूजा में मौजूद सभी लोगों को प्रसाद बांटे। नवरात्रि के अलग-अलग दिन अलग-अलग माता या यूं कहिए मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा का विधान निर्धारित है।
नवरात्रि सप्तमी तिथि: महत्व
नवरात्रि पर्व की सातवीं तिथि को सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इन नौ-दस दिनों में मां दुर्गा की भक्ति पूजा और उत्साह के साथ मां की पूजा की जाती है। सप्तमी का यह दिन दुर्गा पूजा में विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस दिन भक्तों मां दुर्गा की पूजा उपासना करके उनका आशीर्वाद अपने जीवन में प्राप्त कर सकते हैं। नवरात्रि के सभी 9 दिनों के दौरान भक्त पूरे भारत में देवी दुर्गा की शक्ति और अवतार की पूजा करते हैं।
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नवरात्रि सप्तमी तिथि अनुष्ठान
नवरात्रि की सप्तमी तिथि के दिन मां दुर्गा के सातवें अवतार अर्थात कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार लोग सप्तमी तिथि पर मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप को गुड़ चढ़ाते हैं। मां कालरात्रि के बारे में ऐसी मान्यता है कि सच्चे ढंग से किए गए पूजा विधि से प्रसन्न होकर मां अपने भक्तों को बुरी आत्माओं और शक्तियों से बचाती हैं।
- सप्तमी तिथि के दिन जल्दी उठकर सुबह पवित्र जल से स्नान करें और फिर देवी मां की पूजा अर्चना प्रारंभ करें। पूजा में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें।
- इसके बाद कलश की विधिवत पूजा करें और फिर अक्षत, धुप, फूल देवी कालरात्रि को अर्पित करें। साथ ही पूजा में रोली, चंदन, भी अवश्य देवी को चढ़ाएं।
- इस सब के बाद पान सुपारी मां देवी को अर्पित करें।
- घी और कपूर जलाकर देवी की आरती करें।
- इस दिन से संबंधित व्रत कथा भी अवश्य सुनें और दूसरों को सुनाएं।
- देवी कालरात्रि के बीज मंत्र का जाप अवश्य करें ‘ॐ देवी कलरात्रयाई नमः
- नवरात्रि की सप्तमी तिथि के दिन लोग अलग-अलग वृक्ष जिन्हें मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है उनकी पूजा करते हैं।
- इस दिन भक्त जल्दी सुबह उठकर केले के पेड़ को स्नान कराने से दिन की शुरुआत करते हैं। इसके बाद भोजन (शुद्ध भोग) आदि तैयार किया जाता है जिसमें देवी को अनूठे व्यंजन और पकवान आदि चढ़ाए जाते हैं। बाद में इसको पूजा में मौजूद अन्य लोगों को वितरित किया जाता है।
- पंडाल बनाए जाते हैं और उन्हें लाइट और माला आदि से सजाया जाता है।
- अनुष्ठानों और परंपराओं के अनुसार ही महा सप्तमी की महा पूजा की जाती है और श्रद्धालु कालरात्रि पूजन भी करते हैं।
- बहुत जगह पर श्रद्धालु महा सप्तमी के दिन सरस्वती पूजा अर्चना करते हैं।
नवरात्र 2021 दिन 6: शुभ मुहूर्त
सप्तमी तिथि 12 अक्टूबर को है और 11 अक्टूबर 23:53 से शुरू होकर 21:49, 12 अक्टूबर 2021 तक रहेगी और उसके बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी।
नवरात्र 2021 दिन 6: कालरात्रि, नवरात्र महासप्तमी 2021 भोग
सप्तमी या सातवीं तिथि पर देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है और प्रसन्न होकर माँ अपने भक्तों की बुरी आत्माओं और शक्तियों से रक्षा करती हैं और साथ ही अपने सच्चे भक्तों को आशीर्वाद भी देती हैं है। इस दिन की पूजा में प्रसाद के रूप में गुड़ शामिल किया जाता है।
मां कालरात्रि पूजा से मिलने वाला लाभ
मान्यता है कि माता को पिंगला नाड़ी का स्वामित्व प्राप्त है और वह अपने भक्तों को सिद्धि के रूप में आशीर्वाद देने की क्षमता भी रखती है। इसके अलावा व्यक्ति के भविष्य को सुधारने की क्षमता भी माता रानी के पास होती है। जो लोग नियमित रूप से और श्रद्धा भाव से मां कालरात्रि की पूजा करते हैं उनके जीवन से सभी नकारात्मक ऊर्जा दूर होने लगती है और मां कालरात्रि अपने भक्तों को उसका आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
देवी कालरात्रि का पसंदीदा फूल
माँ कालरात्रि का पसंदीदा फूल गुलदाउदी है। ऐसे में नवरात्रि की सप्तमी तिथि की पूजा में 108 गुलदाउदी फूल की माला अवश्य चढ़ानी चाहिए। इस माला को पूजा में शामिल करने से अपार खुशी और सुख समृद्धि मिलती है।
क्या खाएं और क्या पहनें?
सफेद रंग कालरात्रि देवी का पसंदीदा रंग है, इसलिए भक्तों को सफेद रंग का भोजन अर्पित करना चाहिए और सफेद वस्त्र पहनने चाहिए।
मां कालरात्रि को समर्पित सप्तमी तिथि तांत्रिकों के लिए है बेहद ख़ास
मां दुर्गा के सातवें अवतार यानी मां कालरात्रि की पूजा मूल नक्षत्र में होगी। मां कालरात्रि का अवतार भयंकर प्रतीत होता है। भूत, राक्षस सभी माँ कालरात्रि से कांप उठते हैं। यही वजह है कि कहा जाता है जो कोई भी मां कालरात्रि की पूजा करता है उस भक्त की सभी बाधाएं अवश्य दूर होती हैं। जो लोग नियमों और अनुष्ठानों का पालन करके मां कालरात्रि की पूजा करते हैं ऐसे भक्तों को अग्नि और जल का भय नहीं रहता। साथ ही उनकी सभी मनोकामनाएं भी अवश्य पूरी होती है।
सप्तमी तिथि के दिन तांत्रिक विशेष पूजा अर्चना करते हैं। कहा जाता है इस दिन किया गया तंत्र मंत्र उनके लिए फलदायक सिद्ध होता है। ऐसे में मां कालरात्रि के साथ-साथ इस दिन भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी की पूजा की जाती है। कई जगहों पर तो मां कालरात्रि को शराब भी चढ़ाई जाती है।
तांत्रिक पूजा: भोग के रूप में गुड़ से बनी मिठाई और भोजन देवी कालरात्रि को अर्पित करें। “ॐ एम् ह्रीं क्रीम चामुंडाये विचे, ॐ कालरात्रि माता देवयै नमः” मंत्र का पाठ करें। उपासक सभी अनुष्ठान और पूजा करने के बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करते हैं।
रात्रि पूजा की विधि
नवरात्रि की सप्तमी तिथि के दिन रात को निशा पूजा की जाती है। जो लोग तांत्रिक मार्ग का अनुसरण करते हैं वह इस दिन माता को शराब और सिद्धि चढ़ाते हैं। हालांकि सलाह दी जाती है कि यदि आप ऐसी किसी भी पूजा में शामिल होने का विचार कर रहे हैं तो किसी जानकार अघोरी तांत्रिक के मार्गदर्शन में ही पूजा करें। आमतौर पर सप्तमी की रात को श्रद्धालु सिंगार पूजा करते हैं। इस पूजा में माता को मेकअप में इस्तेमाल होने वाले सभी उत्पादों जैसे सिंदूर, काजल, कंघी, हेयर ऑयल, शैम्पू, नेल पेंट, लिपस्टिक और दो सेट चढ़ाएं जाते हैं। उत्पादों का एक सेट बाद में मंदिरों को दान किया जाता है, जबकि भक्त दूसरे सेट को प्रसाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं ।
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सप्तमी तिथि पर अलग-अलग मनोकामनाओं के लिए किया जाने वाला उपाय
हर इंसान चाहता है कि उसके जीवन में सुख, समृद्धि, ऐशोआराम और मनचाहा जीवनसाथी हो। ऐसे में इन चीजों को अपने जीवन में हासिल करने के लिए हम कई तरह के प्रयास भी करते हैं। हालांकि कई बार किस्मत हमारे पक्ष में ना होने की वजह से हमें यह सब नहीं मिल पाता है, लेकिन ज्योतिष के अनुसार ऐसे कई उपाय बताए गए हैं जिन्हें नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर करने से आपको देवी कालरात्रि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और साथ ही इन सभी चीजों की मनोकामना भी पूरी होती है।
इस दिन किए जाने वाले कुछ उपाय और टोटके आपकी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं। इस दौरान किया जाने वाला एक उपाय लौंग के साथ किया जाता है। इसके अलावा दिवाली या सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय भी अनुकूल परिणाम प्राप्त होते हैं:
- यदि आपके जीवन में आर्थिक तंगी, या धन से संबंधित परेशानियां चल रही है, यह आप धन संचित करने में असफल हो रहे हैं तो, नवरात्रि की सप्तमी तिथि के दिन शाम को हनुमान मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाएं और इसमें सात लौंग डाल दें। इसके उपरांत वहीं बैठकर हनुमान चालीसा 7 बार पढ़ें। उसके बाद भगवान हनुमान की उसी दिए से आरती उतारें। ऐसा करने से आपकी आर्थिक स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होने लगेगा, अनावश्यक खर्चे हटने लगेंगे, और आप धन संचित करने में भी सफल होंगे।
- यदि आपके घर में कोई बार बार बीमार पड़ रहा है या आपके घर में बार-बार हादसे, एक्सीडेंट इत्यादि हो रहे हैं या आपका कोई काम बनते बनते अटक जाता है तो तीन या चार लौंग तेल में डालकर शनिवार के दिन दीपक जलाएं और इसको अपने घर के सब से अंधेरे कोने में रख दें। ऐसा करने से आपके घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा धीरे-धीरे दूर होने लगेगी और बीमारियां आदि भी हटने लगेंगी।
- यदि आप कोई भी मांगलिक कार्य करने में बाधा महसूस कर रहे हैं या आपके जीवन पर बुरी नजर का साया है या आप के मान सम्मान में घाटा हो रहा है तो एक पीले रंग का नींबू लेकर इसमें चार लौंग चार दिशाओं में गाड़ दें। उसके बाद ‘ॐ हनुमते नमः’ का जप करें। ऐसा करने से आपके रुके हुए काम बिना किसी बाधा और परेशानी के पूरे होने लगेंगे।
- यदि आपका बच्चा पढ़ाई में कमजोर है या लाख जतन के पास पढ़ाई में उनके अच्छे मार्क्स नहीं आ पा रहे हैं या आपके बच्चे का दिमाग कमजोर है तो ग्यारह लौंग लेकर बुधवार के दिन इन्हें एक लाल रंग के साफ कपड़े में बांधकर पूजा वाली जगह पर रख दें। इसके बाद ‘ॐ गं गणपतए नमः’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद इस लौंग /लौंग को एक-एक करके एक एक दिन अपने बच्चे को खिलाएं। ऐसा करने से उसकी बुद्धि प्रखर होने लगेगी।
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