व्यापार का विस्तार या नौकरी में सफलता का सपना होगा पूरा, बस अष्टमी तिथि पर कर लें ये उपाय !

यूं तो नवरात्रि के सभी 9 दिन बेहद ही पावन शुभ और फलदाई माने जाते हैं लेकिन अष्टमी तिथि को सबसे खास माना गया है। सबसे खास क्यों माना गया है और इसका क्या महत्व होता है? चलिए इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से जान लेते हैं इन सभी सवालों का जवाब।

सिर्फ इतना ही नहीं हमारे इस खास ब्लॉग में आज हम जानेंगे नवरात्रि की अष्टमी तिथि जिसे दुर्गा अष्टमी के नाम से भी जानते हैं उससे जुड़ी कुछ बेहद ही दिलचस्प बातों की जानकारी, इस दिन किए जाने वाले उपायों की जानकारी, साथ ही जानेंगे इस दिन अगर आप भी कन्या पूजन करने जा रहे हैं तो आपको किन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता है।

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मां महागौरी का स्वरूप

सबसे पहले बात कर ले मां के स्वरूप की तो नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि जो कोई भी सच्चे मन से माँ की प्रार्थना करता है मां उसे अवश्य स्वीकार करती हैं। महागौरी का अर्थ होता है महा अर्थात बड़ा गौरी मतलब गोरी। इसके अलावा देवी का रंग बेहद ही गोरा है जिसके चलते इन्हें महागौरी कहा जाता है। 

बात करें स्वरूप की तो महागौरी की चार भुजाएं हैं और वह वृषभ पर सवारी करती हैं। माँ ने दाहिने हाथ को अभय मुद्रा में धारण किया हुआ है, दूसरे दाहिने हाथ में त्रिशूल है, बाएं हाथ में डमरू है और दूसरा बायाँ हाथ वरद मुद्रा में है।

मां महागौरी की पूजा का ज्योतिषीय संदर्भ

मां महागौरी की पूजा के ज्योतिषीय संदर्भ की बात करें तो कहा जाता है की देवी महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। ऐसे में जिन भी जातकों की कुंडली में राहु परेशानी की वजह होते हैं या आप राहु पीड़ित या कमजोर अवस्था में हो या जीवन में राहु की महादशा चल रही हो उन्हें विशेष रूप से मां महागौरी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। देवी की पूजा करने से राहु के बुरे प्रभाव जीवन से कम होने लगते हैं।

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मां महागौरी की पूजा महत्व 

सबसे पहले बात कर ले मां महागौरी के पूजा महत्व की तो धार्मिक शास्त्रों के अनुसार पहली बात तो नवरात्रि के आखिरी दो दिन है अर्थात अष्टमी नवमी बहुत ही खास माने जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अष्टमी के दिन देवी दुर्गा ने चंड मुंड का संघार किया था और नवमी के दिन महिषासुर का वध किया था। ऐसे में यह दोनों तिथियां विशेष रूप से खास मानी जाती है। इसके अलावा बहुत से लोग इन्हीं महत्व के चलते अष्टमी तिथि और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन भी करते हैं।

कहा जाता है कि अगर आप नवरात्रि के 9 दिन तक उपवास नहीं कर पाए हैं तो भी परेशान होने की आवश्यकता नहीं है आप अष्टमी और नवमी के दिन अगर व्रत रह लेते हैं तो भी आपको पूरे 9 दिन की पूजा का फल मिल जाता है।

मां महागौरी की पूजा से मिलने वाले महत्व के बारे में बात करें तो कहा जाता है जो कोई भी भक्त मां महागौरी के पूजा करता है उसे अपने जीवन के सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है और हर तरह की मनोकामना पूरी होती है। इसके अलावा चूंकि देवी महागौरी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी ऐसे में जिन लोगों को विवाह से संबंधित परेशानियां जीवन में उठानी पड़ रही है या विवाह नहीं हो पा रहा है उन्हें महागौरी की पूजा करने से इस संदर्भ में शुभ परिणाम की प्राप्ति होती है।

मां महागौरी को अवश्य लगाएँ ये भोग 

देवी महागौरी का स्वरूप बेहद ही शांत है। बात करें उनके प्रिय भोग की तो मां महागौरी को नारियल से बनी वस्तुएं मिठाई या नारियल का भोग विशेष रूप से प्रिय होता है। ऐसे में अष्टमी तिथि के दिन अपनी पूजा में नारियल, नारियल से बनी कोई मिठाई या नारियल का कोई भी भोग अवश्य शामिल करें। इससे माँ की प्रसन्नता शीघ्र हासिल होगी। इसके अलावा मां महागौरी को काले चने का भोग भी लगाया जा सकता है। इस दिन कन्या पूजन करते हैं और कन्याओं के लिए बनाए गए भोजन में काले चने शामिल किए जाते हैं। आप इस काले चने का भोग मां को भी अवश्य लगाएँ इससे भी माँ को प्रसन्नता मिलती है।

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देवी महागौरी का पूजा मंत्र

ॐ देवी महागौर्यै नमः॥

प्रार्थना मंत्र

श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

नवरात्रि के आठवें दिन अवश्य करें यह अचूक उपाय

  • नवरात्रि के अष्टमी तिथि के दिन अगर आप मां महागौरी के मंत्र का 21 बार जाप करते हैं तो इससे आपको दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। मंत्र: सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोsस्तुते।।
  • अगर आप अपने दांपत्य संबंध में सुख बनाए रखना चाहते हैं या सुख बढ़ाना चाहते हैं तो इसके लिए नवरात्रि के अष्टमी तिथि के दिन मां को सफेद फूलों की पुष्पांजलि अवश्य दें, दुर्गा चालीसा का पाठ अवश्य करें। 
  • मनचाहा वर या वधू पाना चाहते हैं तो देवी दुर्गा को इलायची का भोग अवश्य लगाएँ।
  • अगर आप नौकरी या व्यवसाय में तरक्की करना चाहते हैं या अपने व्यवसाय का विस्तार करना चाहते हैं तो स्नान के बाद दुर्गा मां की विधिपूर्वक पूजा करें, कपूर से उनकी आरती उतारें और उसके बाद उन्हें हलवे और उबले चने का भोग लगाएँ और सुंदर निरोगी काया और जीवन में सुख प्राप्त करना चाहते हैं तो स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर मां दुर्गा को प्रणाम करें और उनसे अपनी मनोकामना कहें। 
  • अपने बच्चों के करियर को बेहतर बनाना चाहते हैं या चाहते हैं कि आपके बच्चे बहुत तरक्की करें तो अष्टमी तिथि के दिन मां दुर्गा के समक्ष घी का दीपक जलाएं और देवी के मंत्रों का जाप करें। 
  • अगर परिवार में किसी तरह की परेशानी है या आपके घर से सुख शांति गायब हो चुकी है तो नवरात्रि की अष्टमी तिथि के दिन दो कपूर और 12 लौंग एक गोबर के कंडे पर जलाएं। ऐसा करने से आपके परिवार की परेशानियां समाप्त हो जाएगी। 
  • आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए एकाक्षी नारियल ले लें, उस पर सात बार मौली लपेटकर मां दुर्गा के समक्ष रख दें। पूजा के बाद इस नारियल को अपनी तिजोरी में रख लें। इससे आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। 

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क्या यह जानते हैं आप? 

बहुत से लोग नवरात्रि की अष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन करते हैं। देवी भागवत पुराण में उल्लेख है कि आठवां दिन मां दुर्गा के मूल भाव को दर्शाता है। महागौरी देवी भगवान शिव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में विराजमान रहती हैं इसीलिए महागौरी देवी को शिवा नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है की देवी महागौरी ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी और अपनी तपस्या से ही माता ने गौर वर्ण प्राप्त किया था।

इन लोगों को विशेष रूप से करनी चाहिए मां की पूजा 

जिन लोगों को मनचाहा वर या वधू चाहिए हो या फिर जो अपने दांपत्य जीवन में सुख बनाए रखना चाहते हो, जो लोग अपने व्यापार की तरक्की और विस्तार करना चाहते हों, अपने जीवन में धन और सुख समृद्धि बनाना चाहते हैं उन्हें विशेष रूप से मां महागौरी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ मां महागौरी की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

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मां महागौरी से संबंधित पौराणिक कथा 

मां महागौरी से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार बताया जाता है कि मां ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। इस दौरान उन्होंने केवल कंदमूल, फल और पत्तों का भोजन किया था इसके बाद मां ने केवल हवा पर ही तप करना आरंभ किया। तपस्या से मां पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ और तभी उनका नाम महागौरी पड़ा। 

मां की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको गंगा में स्नान करने को कहा। जब गंगा में मां स्नान करने गई तब देवी एक स्वरूप श्याम वर्ण में प्रकट हुआ जिसे कौशिकी कहा गया और एक स्वरूप उज्जवल चंद्र के समान प्रकट हुआ जिसे महागौरी कहा गया। मां महागौरी अपने भक्तों का कल्याण करती हैं और उनकी समस्त परेशानियों को हर लेती है।

नवरात्रि अष्टमी तिथि हवन और कन्या पूजन

अगर आप भी नवरात्रि के अष्टमी तिथि पर हवन और कन्या पूजन करना चाहते हैं तो लिए इससे जुड़े नियम और सामग्री की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।

नवरात्रि हवन सामग्री: हवन कुंड, आम की लड़कियां, चावल, जौ, कलवा, शक्कर, गाय का शुद्ध घी, पान के पत्ते, काले तिल, सूखा हुआ नारियल, लौंग, इलायची, कपूर और बताशे

कन्या पूजन नियम 

बहुत से लोग नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करते हैं। ऐसे में अगर आप भी इस दिन कन्या पूजन करने जा रहे हैं तो चलिए जान लेते हैं इससे जुड़े नियम क्या कुछ कहते हैं। 

  • कन्या पूजन में कन्याओं को हलवा, चना और पूरी, खीर अपने सामर्थ्य के अनुसार परोसे। 
  • किसी को जबरदस्ती भोजन न कराएं।
  • जो जितना खाए उतना ही आदर पूर्वक खिलाएँ।
  • घर बुलाकर कभी भी किसी कन्या का अनादर न करें। 
  • भोजन के बाद उनको अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिण अवश्य दें, उपहार दें और लाल चुनरी ओढ़ाकर उनका पैर छूकर आशीर्वाद अवश्य लें।

कन्या पूजन की सही विधि

  • कन्या पूजन से एक दिन पहले ही कन्याओं को आदर पूर्वक आमंत्रित कर लें। 
  • कन्या पूजन वाले दिन अपने घर को साफ कर लें क्योंकि घर आने वाली कन्याओं को मां दुर्गा का प्रतीक माना जाता है। 
  • जब कन्याएं घर पर आयें तो पहले उनके पैर धोएँ, फिर उन्हें खाने के लिए बिठाएँ। 
  • खाने से पहले उन्हें तिलक लगाएँ फिर साफ आसन पर उन्हें बिठाने के बाद उन्हें खाना परोसें। 
  • खाना खाने के बाद उनके बर्तन खुद हटाएँ। 
  • दोबारा उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें अंत में अपने सामर्थ्य के अनुसार कुछ ना कुछ तोहफा अवश्य दें।

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