नवरात्रि चौथा दिन: इस दिन की सही पूजन विधि, मंत्र और राशिनुसार उपायों की संपूर्ण जानकारी

चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन देवी कुष्मांडा को होता है समर्पित 

नवरात्रि का चौथा दिन माँ दुर्गा के चौथे रूप देवी कुष्मांडा को समर्पित होता है। कहते हैं देवी ने अपनी मंद मुस्कुराहट और अपने उदर से इस ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था जिसके चलते इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष नवरात्रि का चौथा ने 5 अप्रैल, 2022 मंगलवार के दिन पड़ रहा है।

नवरात्रि विशेष अपने इस ब्लॉग के माध्यम से जानते हैं चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन की सही पूजन विधि, इस दिन पूजा में शामिल किया जाने वाला मंत्र क्या होता है, साथ ही जानते हैं राशि अनुसार क्या कुछ उपाय करके आप भी माँ कुष्मांडा का आशीर्वाद अपने जीवन में प्राप्त कर सकते हैं।

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माँ कुष्मांडा का स्वरूप

माना जाता है कि देवी भगवती के कूष्मांडा स्वरूप ने अपनी मंद मुस्कुराहट से ही सृष्टि की रचना की थी इसलिए देवी कुष्मांडा को सृष्टि की आदि स्वरूपा और आदि शक्ति माना गया है। देवी कुष्मांडा को समर्पित इस दिन का संबंध हरे रंग से जाना जाता है। माता रानी की आठ भुजाएं  हैं जिसमें से सात में उन्होंने कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत का कलश, चक्र, और गदा लिया हुआ है। माता के आठवें हाथ में जप माला है और माँ सिंह के वाहन पर सवार हैं।

माँ के नाम का अर्थ: कु(छोटा), उष्मा (गर्मी), और मंडा (सूर्य) तीन तत्व हैं जो कुष्मांडा (ब्रह्मांडीय ऊर्जा) बनाते हैं।

चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन, 05 अप्रैल, मां कुष्मांडा पूजा शुभ मुहूर्त 

प्रीति योग: सुबह 08 बजे तक, फिर आयुष्मान योग

सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06:07 बजे से शाम 04:52 बजे तक

रवि योग: सुबह 06:07 बजे से शाम 04:52 बजे तक

भाग्यशाली समय: सुबह 11:59 बजे से दोपहर 12:49 बजे तक

माँ कुष्मांडा की पूजा से मिलने वाला फल

माँ कुष्मांडा हमेशा अपने भक्तों पर अपनी विशेष कृपा बनाए रखती हैं। जो साधक माँ देवी कुष्मांडा की पूजा करते हैं उनके जीवन में शांति आती है और सुख समृद्धि और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इसके अलावा यदि सही पूजन विधि के साथ माँ कुष्मांडा की पूजा की जाए तो इससे जातक को हर कार्य में सफलता मिलती है, उनके जीवन से भय, दुख, दूर होता है। साथ ही बीमारियों और रोग से भी निजात मिलती है। माँ कुष्मांडा की भक्ति से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य की वृद्धि होती है।

माँ कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं इसीलिए उन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है।

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इस सही विधि से करें माँ कुष्मांडा की पूजा

  • नवरात्रि के चौथे दिन जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सबसे पहले कलश और उसमें उपस्थित देवी देवताओं की पूजा करें। 
  • उसके बाद देवी की प्रतिमा के दोनों तरफ विराजत देवी देवताओं की पूजा करें। 
  • इसके बाद देवी कुष्मांडा की पूजा प्रारंभ करें। 
  • पूजा शुरू करने से पहले अपने हाथ में फूल लेकर देवी को प्रणाम करें और देवी का ध्यान करें। इस दौरान आप इस मंत्र का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जप अवश्य करें, ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥ 
  • इसके बाद सप्तशती मंत्र, उपासना मंत्र, कवच, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। 
  • पूजा के अंत में आरती अवश्य करें। इस दौरान अनजाने में भी हुई खुद से किसी भी भूल की देवी से क्षमा मांग लें।

देवी कुष्मांडा प्रार्थना मंत्र

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

देवी कुष्मांडा स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

माँ कुष्मांडा की महिमा

देवी भागवत पुराण के अनुसार नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा करना उत्तम रहता है। माता का यह स्वरूप देवी पार्वती के विवाह के बाद से लेकर उनकी संतान कार्तिकेय की प्राप्ति के बीच का बताया गया है। कहते हैं देवी ने अपने इस रूप में ही संपूर्ण सृष्टि की रचना की और उनका पालन किया था। ऐसे में जिन लोगों को संतान की इच्छा होती है उन्हें देवी के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

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देवी कुष्मांडा का प्रिय भोग

नवरात्रि पूजा में सही पूजन विधि के साथ-साथ भोग का अधिक महत्व बताया गया है। कहते हैं इस 9 दिनों की अवधि में यदि देवी के विभिन्न स्वरूपों के अनुरूप उन्हें भोग अर्पित किया जाए तो इससे भी व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में जान लेते हैं देवी कुष्मांडा का प्रिय भोग क्या है। 

दरअसल देवी कुष्मांडा को कद्दू या जिसे पेठा भी कहते हैं वह बेहद प्रिय है। ऐसे में आप नवरात्रि के चौथे दिन माता को कद्दू या फिर पेठा अर्पित कर सकते हैं।

इसके अलावा नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा को मालपुए का प्रसाद, कद्दू का हलवा, कद्दू से बनी मिठाइयां, या हरे रंग के फल भी भोग रूप में अर्पित कर सकते हैं।

माँ कुष्मांडा की पूजा से इस ग्रह को भी किया जा सकता है मजबूत

नवरात्रि में 9 दिनों की पूजा से नौ ग्रहों को मजबूत भी किया जा सकता है। ऐसे में इस कड़ी में नवरात्रि के चौथे दिन की विधिवत पूजा करने से कुंडली में बुध ग्रह को मजबूत किया जा सकता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति की बुद्धि प्रखर होती है और बुध ग्रह के शुभ परिणाम भी प्राप्त होते हैं।

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माँ कुष्मांडा से संबंधित पौराणिक कथा

देवी कुष्मांडा से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि एक समय में जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तब देवी ने अपनी मंद मुस्कुराहट से ब्रह्मांड की रचना की थी। देवी का निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में माना गया है। कहते हैं सूर्यमंडल के भीतर निवास करने की क्षमता और शक्ति केवल माँ कुष्मांडा में ही होती है। माँ का शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के ही समान मानी गई है।

देवी कूष्मांडा को कुष्मांड यानी कुम्हड़े की बली दिए जाने का भी विशेष महत्व होता है। इसकी बली से व्यक्ति के जीवन की हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं। सही विधि से पूजा की जाये तो कूष्मांडा देवी की पूजा से समृद्धि और तेज भी प्राप्त होता है।

इन उपायों से बेहद शीघ्र प्रसन्न होती हैं देवी कुष्मांडा 

  • इस दिन की पूजा में देवी को लाल गुलाब की पंखुड़ियां अर्पित करें। इस उपाय को करने से आपका अटका हुआ धन शीघ्र वापस मिल जाता है। 
  • इसके अलावा यदि कन्याओं को विधिवत ढंग से भोग तैयार करके भोजन कराया जाए तो इससे भी माँ कुष्मांडा बेहद ही शीघ्र प्रसन्न होती हैं और मनोकामनाएं पूरी करती हैं। 
  • सुख समृद्धि के लिए नवरात्रि के चौथे दिन गुलाब के फूल में कपूर रखकर माँ कुष्मांडा को अर्पित करें। इसके बाद माता महालक्ष्मी के मंत्र का 6 माला जाप करें। शाम के समय फूल में से कपूर लेकर जला दें और फूल देवी को चढ़ा दें। 
  • धन संबंधित परेशानियां जीवन में बनी हुई है तो नवरात्रि के चौथे दिन एक नारियल और एक लाल रंग का फूल, एक पीले रंग का फूल, एक नीले रंग का फूल, एक सफेद रंग का फूल, माँ को चढ़ाएं। नवमी के दिन यह फूल नदी में बहा दें और नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर अपनी तिजोरी में रखें। 
  • इसके अलावा यदि आपके काम बार-बार बनते बनते बिगड़ जाते हैं तो नवरात्रि के चौथे दिन देवी को हरे रंग की चुनरी भेंट करें और उनसे अपनी मनोकामना करें। ऐसा करने से आपकी मनोकामना भी पूरी होगी और काम भी धीरे-धीरे बनने लगेंगे।

नवरात्रि के चौथे दिन अवश्य करें राशि अनुसार ये उपाय

  • मेष राशि: इस दिन नवरात्रि पूजा के बाद माँ काली का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जप करें। ऐसा करने से आपके जीवन में सब शुभ मंगल होगा। 
  • वृषभ राशि: इस दिन स्नान के बाद लाल रंग के वस्त्र धारण करके लाल आसन पर बैठकर देवी की पूजा करें। इस उपाय को करने से आपको अपने शत्रुओं से छुटकारा मिलेगा। 
  • मिथुन राशि: रात के समय एक लोटे में जल भरकर इसे अपने सिरहाने रख लें और इस जल के ऊपर थोड़ा सा सेंधा नमक रख लें। इसके बाद दीपक जलाएं और लोटे के दोनों तरफ धूपबत्ती जलाएं। अगले दिन सुबह उठकर लोटे के जल को किसी पेड़ में डाल दें। ऐसा करने से आपके जीवन से भय और डर दूर होगा। 
  • कर्क राशि: नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा करने के बाद देवी काली को प्रणाम करके लाल रंग के आसन पर बैठकर उनके मंत्रों का जाप करें। ऐसा करने से आपके जीवन से दरिद्रता दूर होगी। 
  • सिंह राशि: नवरात्रि के चौथे दिन कंडे जलाकर उसमें लॉन्ग कपूर की आहुति देकर माँ की आरती करें। ऐसा करने से आपके जीवन से हर बला टलेगी।
  • कन्या राशि: नवरात्रि के चौथे दिन पूजा करने के बाद देवी काली के नर्वाण मंत्र का 108 बार जप करें। आप की बुरी नजर से रक्षा होगी। 
  • तुला राशि: देवी काली के सामने गुग्गल धूप दिखाएं। ऐसा करने से आपके विरोधी परास्त होंगे। 
  • वृश्चिक राशि: नवरात्रि के चौथे दिन लाल रंग के आसन पर बैठकर देवी काली के मंत्रों का जाप करें और उनका ध्यान करें। ऐसा करने से आपके जीवन में सुख समृद्धि बनी रहेगी। 
  • धनु राशि: एक नींबू लेकर उस पर लाल या काले रंग से क्लीं लिख लें और इसे 6 बार अपने ऊपर से सीधे उवार कर और एक बार उल्टे उवार कर इस नींबू के दो हिस्से कर दें और घर के बाहर किसी निर्जन स्थान पर फेंक दें। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी बालाएं आपके जीवन से दूर होंगी। 
  • मकर राशि: इस दिन की पूजा के बाद देवी काली को प्रणाम करें और उनके मंत्र का 108 बार जाप करें और देवी को कपूर और लॉन्ग की छह बार आहुति दें। ऐसा करने से आपको व्यापार में और नौकरी में लाभ मिलेगा। 
  • कुंभ राशि: नवरात्रि के चौथे दिन मिट्टी की दिया में दो कपूर की टिकिया जलाकर देवी के सामने रख दें। ऐसा करने से आपका हर काम पूरा और सफल होने लगेगा। 
  • मीन राशि: हर इच्छा पूरी करने के लिए देवी माँ के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं और उनसे अपनी मनोकामना करें।

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