नवरात्रि में बहुत से लोग मां दुर्गा के समक्ष अखंड ज्योति जलाते हैं। अखंड ज्योति नवरात्रि की घट स्थापना से जलती है और नवरात्रि के आखिरी दिन तक जलती रहती है। हालांकि अखंड ज्योति जलाने के कुछ नियम और कायदे होते हैं। तो आइए इस नवरात्रि विशेष आर्टिकल में जानते हैं अखंड ज्योति से संबंधित महत्वपूर्ण नियम क्या कहता है और इनका सही पालन करके आप कैसे मां का आशीर्वाद अपने जीवन में बनाए रख सकते हैं।
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अखंड ज्योत के नियम
- अखंड ज्योति कभी भी सीधे जमीन पर रखकर ना जलाएं। इसे हमेशा लकड़ी की चौकी पर ही प्रज्वलित करें।
- इसके अलावा अखंड ज्योति के नीचे हमेशा अष्टदल बनाकर उस पर ही ज्योति जलाएं।
- अखंड ज्योति बेहद ही पवित्र और पावन होती है ऐसे में कभी भी गंदे हाथों से इसे ना छुएं।
- अखंड ज्योति मां के आगमन के प्रतीक के रूप में जलाई जाती है। ऐसे में कभी भी अखंड ज्योति को अकेला छोड़ कर या उसे पीठ दिखाकर नहीं बैठना चाहिए। इसे अखंड ज्योति का अपमान माना जाता है।
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- अखंड ज्योति को हमेशा शुद्ध घी से जलाएं। इसके अलावा बहुत से लोग अखंड ज्योति जला तो लेते हैं लेकिन उसका ध्यान नहीं रख पाते हैं। ऐसे में यदि आपके साथ भी यह समस्या है तो कोशिश करें और घर में अखंड ज्योति जलाने के बजाय आप मंदिर में देसी घी अखंड ज्योति के नाम पर दान कर दें।
- इसके अलावा यदि आपके पास शुद्ध देसी घी नहीं है तो आप अखंड ज्योति जलाने के लिए तिल के तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
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- अखंड ज्योति जलाने के लिए मुमकिन हो तो कलावे का इस्तेमाल करें। ध्यान रखें लंबे कलावे का इस्तेमाल करें ताकि आपको बार-बार अखंड ज्योति को छेड़ने की आवश्यकता ना पड़े।
- अखंड ज्योति जलाते समय शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखें और अखंड ज्योति जलाने से पहले इसमें थोड़ा सा चावल (अक्षत) अवश्य दें।
- अखंड ज्योति हमेशा मां की प्रतिमा के दाएं तरफ रखें और आखिरी दिन इसे खुद से ही पूरा होने दें।
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