तमिलनाडु के इस अनोखे मंदिर में दूध चढ़ाने पर उसका रंग सफ़ेद से हो जाता है नीला

जैसा सभी जानते हैं कि सावन का महीना शुरू हो चुका है। यह पावन महीना देवों के देव महादेव का बेहद प्रिय महीना होता है, जिसमें भगवान शिव के भक्त उन्हें खुश करने के लिए देश-दुनिया में स्थित अलग-अलग मंदिरों में जाकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।

देश के हर कोने में मौजूद हैं शिव मंदिर

भारत की बात करें तो उसके करीब-करीब हर राज्य में ही प्राचीन व अनोखे शिव मंदिर है, जिनके दर्शन करने हर वर्ष देश-विदेश से लाखों भक्त पहुंचते हैं। इन मंदिरों में से कई शिव मंदिर ऐसे भी हैं, जहां तक पहुँचना कोई आसान काम नहीं होता बल्कि भोले बाबा के दर्शन के लिए भक्तों को बेहद दुर्गम यात्रा करनी पड़ती है।

तमिलनाडु का नागनाथस्वामी मंदिर है बेहद अनोखा

इसी कड़ी में आज हम आपको महादेव के एक ऐसे अनोखे एवं बेहद रहस्मयी मंदिर के बारे में बताएँगे, जिसके चमत्कार के चर्चें देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं। हम जिस मंदिर के बारे में आपको बता रहे हैं वो मंदिर मुख्य रूप से केतु को समर्पित बताया जाता है। यह मंदिर तमिलनाडु के कीजापेरूमपल्लम गांव में स्थित नागनाथस्वामी मंदिर है जिसे केति स्थल के नाम से भी जाना जाता है। कावेरी नदी के तट पर बने इस अनोखे मंदिर के पीछे का रहस्य ही हर वर्ष विशेष तौर पर सावन के माह में लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।

ग्रह डालते हैं मानव जीवन पर बहुत असर

हिंदू धर्म में कई देवी-देवताओं को मानने का प्रचलन पौराणिक काल से ही चला आ रहा है। देवी-देवताओं के साथ-साथ सनातन धर्म में नव ग्रह की भी पूजा किये जाने का विधान है। जिनमें राहु और केतु का भी अपना एक विशेष महत्व बताया गया है। जिस प्रकार वैदिक शास्त्र अनुसार हर ग्रह का उससे संबंधित जातक के ऊपर कुछ न कुछ प्रभाव अवश्य ही पड़ता है। ठीक इसी तरह छाया ग्रह मानें जाने वाले राहु-केतु भी जातक के जीवन को प्रभावित करने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं।

केतु को समर्पित है ये मंदिर

ऐसे में भले ही ये अनोखा मंदिर केतु को समर्पित हो लेकिन यहाँ मंदिर के प्रमुख भगवान शिव जी बताए जाते है और यही मुख्य वजह है कि ये मंदिर विश्व भर में नागनाथ के नाम से भी प्रसिद्ध है।

यहाँ दूध का रंग बदलकर हो जाता है नीला

इस रहस्यमय मंदिर में अपने जीवन में केतु के दुष्प्रभावों को खत्म करने के लिए लोग दूर-दूर से यहाँ आकर केतु के ऊपर दूध चढ़ाते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा हैरान कर देने वाली बात इस मंदिर कि ये है कि इस मंदिर में कुछ लोगों के द्वारा केतु को दूध चढ़ाए जाने पर उस दूध का रंग बदलकर नीला हो जाता है। दूध के बदलते रंग के पीछे लोगों की ऐसी मान्यता है कि जो लोग केतु ग्रह के किसी भी प्रकार के दोष से पीड़ित होते हैं केवल उनके द्वारा चढ़ाया गया दूध ही रंग बदलकर नीला हो जाता है।  हालांकि बाद में दूध का सामान्य रंग वापस लौट आता है।

इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

ऐसे में यहाँ की इस अनोखे केति स्थल से संबंधित एक पौराणिक कथा भी बेहद प्रसिद्ध है। जिसके अनुसार एक बार एक महान ऋषि के श्राप से मुक्त होने के लिए केतु ने यही पर भगवान शिव की आराधना प्रारंभ की थी। जिसके बाद भगवान शिव ने केतु की तपस्या से खुश होकर शिवरात्रि के दिन उसे ऋषि के श्राप से मुक्ति दिलाई थी।

तभी से केतु को समर्पित इस मंदिर के प्रमुख भगवान शिव को ही माना जाता है। कई लोग इसके पीछे की एक अन्य वजह भी मानते हैं कि केतु को सांपों का देवता भी कहा जाता है, जिसके प्रमुख भी भगवान शिव ही है।
ऐसे में इस अदभुद मंदिर में दूध के इस तरह बदलते रंग वाली घटना से यहां सभी लोग अच्छी तरह वाक़िफ़ है और इसी मुख्य व रहस्यमय वजह के चलते यहाँ हर साल सावन के माह में भक्तों का तांता लगा रहता है।

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