करोड़ों रुपयों की लागत से बनाई गयी देवी माँ की प्रतिमा, नहीं किया गया मिट्टी का प्रयोग !

जैसा कि आप सभी जानते हैं की, दुर्गा पूजा के दौरान विशेष रूप से बिहार, बंगाल और असम में खासतौर से देवी माँ की भव्य प्रतिमा बनाकर विभिन्न पंडालों में उनकी पूजा अर्चना की जाती है। नौ दिनों के इस उत्सव के दौरान विशेष रूप से बनाये गए भव्य पंडाल आकर्षण के मुख्य केंद्र माने जाते हैं। आज हम आपको देवी माँ के एक ऐसे पंडाल के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ करोड़ों रुपयों की लागत से माँ की प्रतिमा बनाई गयी है। दुर्गा माँ के इस प्रतिमा की सबसे बड़ी खासियत ये बताई जा रही है की, इसे बनाने में मिट्टी का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं किया गया है। आइये जानते देवी माँ की इस मूर्ति को कहाँ स्थापित किया गया है। 

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पचास किलो सोने से बनाई गयी माँ की भव्य प्रतिमा 

गौरतलब है की दुर्गा पूजा एक ऐसा त्यौहार है जिसकी तैयारी में बंगाल महीनों पहले से ही जुट जाता है। देवी माँ की जिस भव्य प्रतिमा के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वो असल में बंगाल के कोलकाता में बनाई गयी है। इस त्यौहार के अवसर पर कोलकाता में बनाये गए पंडालों और प्रतिमाओं की चर्चा पूरे देश में होती है। इस बार यहाँ देवी माँ की एक प्रतिमा खड़े पचास किलो सोने से तैयार की गयी है। मातारानी की इस भव्य प्रतिमा को बनाने में मिट्टी का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं किया गया है। देवी माँ की इस प्रतिमा को बनाने में करीबन बीस करोड़ रूपये खर्च किये गए हैं। इस साल कलकत्ते में देवी माँ का ये पंडाल लोगों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। बता दें कि, इस मूर्ति को बनाने के लिए सोने सहित अन्य धातुओं का भी प्रयोग किया गया है। 

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13 फ़ीट ऊँची है देवी माँ की प्रतिमा 

माँ दुर्गा की सोने की प्रतिमा की ऊंचाई करीबन 13 फ़ीट है। इस मूर्ति का निर्माण कोलकाता के संतोष मित्र स्क्वायर दुर्गोत्सव समिति द्वारा करवाया गया है। बता दें कि, इस समिति में कोलकाता के प्रमुख ज्वेलर्स शामिल हैं जिन्होनें बिना किसी चंदा के अपने दुकान के सोने का प्रयोग कर देवी माँ की भव्य प्रतिमा का निर्माण करवाया है। कलकत्ता की इस दुर्गा समिति हर साल देवी माँ की ऐसी ही मनमोहक प्रतिमाओं को बनाने के लिए मशहूर हैं। इसके साथ ही साथ आपको बता दें कि, इस दुर्गा पूजा समिति द्वारा दो साल पहले भी देवी की मूर्ति 22 किलो सोने की मदद से बनाई गयी थी। बंगाली समुदाय में विशेष रूप से दुर्गा पूजा का त्यौहार ख़ासा धूमधाम के साथ एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। कहते हैं कि कम से कम एक बार हर किसी को बंगाल की नवरात्रि जरूर देखनी चाहिए।

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