मोहिनी एकादशी 2021: जानें तिथि और शुभ पूजा मुहूर्त के साथ पारणा की जानकारी

वैशाख माह की दूसरी एकादशी मोहिनी एकादशी है जो शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन की जाएगी। इस वर्ष मोहिनी एकादशी 22 मई शनिवार के दिन पड़ रही है। एकादशी व्रत की विधि और नियम हर एकादशी के लिए एक ही होता है। हालांकि प्रत्येक एकादशी व्रत से फल अलग-अलग प्राप्त होता है। ऐसे में कहा जाता है कि वैशाख माह में पड़ने वाली इस एकादशी को करने से व्यक्ति को समस्त पाप से छुटकारा मिलता है और साथ ही मोह बंधन से छुटकारा मिलता है।

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मोहिनी एकादशी से मिलने वाला फल

एकादशी व्रत भगवान विष्णु के प्रसन्नता हासिल करने के लिए किया जाता है। ऐसे में यदि हम मोहिनी एकादशी की बात करें तो, इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी मनचाही कामनाएं पूरी होती है। मोहिनी एकादशी के बारे में कहा जाता है कि, यह वही दिन है जिस दिन भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन से निकले हुए अमृत को राक्षसों से बचाने के लिए मोहिनी रूप धारण किया था। कहा जाता है तभी से इस दिन को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाए जाने की परंपरा की शुरुआत हुई।

इस व्रत को बेहद ही फलदाई और शुभ माना जाता है। कहा जाता है जिन व्यक्तियों के जीवन में काम बार-बार बनते बनते बिगड़ जा रहे हो या मनोकामना पूरी ना हो रही हो उन्हें मोहिनी एकादशी का व्रत विशेष तौर पर करना चाहिए।

मोहिनी एकादशी 2021 शुभ मुहूर्त

मोहिनी एकादशी पारणा मुहूर्त : 05:26:08 से 08:10:52 तक 24, मई को

अवधि :2 घंटे 44 मिनट

मोहिनी एकादशी से संबंधित व्रत कथा

बताया जाता है कि, बहुत समय पहले की बात है एक राजा हुआ करता था। राजा बेहद ही न्याय प्रिय था और अपनी जनता से प्यार करता था। लेकिन वहीं राजा का बड़ा बेटा बेहद ही दुराचारी था। ऐसे में वह लोगों को परेशान किया करता था और गलत काम किया करता था। एक दिन इसी बात से क्रोधित होकर राजा ने अपने बड़े बेटे को घर से निकाल दिया। घर से निकाले जाने के बाद राजा का बेटा और भी ज्यादा दुराचारी हो गया और अब वह वन में रहकर लूटपाट करता था, जानवरों को परेशान करता था, यहां तक कि जानवरों को मारकर खा भी जाता था। 

एक दिन की बात है राजा का बेटा जंगल में घूमते हुए ऋषियों के आश्रम में जा पहुंचा। आश्रम का वातावरण और माहौल देखकर उसका हृदय परिवर्तन होने लगा। तब राजा के बेटे को इस बात का एहसास हुआ कि उसने अपने जीवन में कितना कुछ गलत काम किया है। ऐसे में वह बहुत दुखी हो गया। राजा के बेटे की ऐसी हालत देखकर ऋषियों ने उससे पूछा कि, आखिर तुम इतने दुखी क्यों हो? तब राजा के बेटे ने सारी बात कह सुनाई। 

ऋषि ने तब राजा के बेटे से कहा कि, तुम मोहिनी एकादशी का विधि पूर्वक व्रत और पूजा करो। ऐसा करने से तुम्हारे सभी पापों से तुम्हें छुटकारा मिल जाएगा। ऋषि की बात मानकर राजा के बेटे ने मोहिनी एकादशी का व्रत किया जिसके प्रभाव से उसकी बुद्धि ठीक हो गई और वह भी अपने पिता की ही तरह सदाचारी और न्याय प्रिय हो गया।

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