29 जुलाई का दिन है बेहद खास: वक्री गुरु करने वाले हैं अहम परिवर्तन-जानें अपनी राशि का हाल!

ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह या गुरु ग्रह को ज्ञान, शिक्षा, और भाग्य में वृद्धि करने वाला ग्रह माना गया है। ऐसे में स्वाभाविक है कि इसका महत्व बहुत ज्यादा होता है। जिन जातकों की कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत स्थिति या शुभ अवस्था में होते हैं ऐसे जातकों की किस्मत बदलते देर नहीं लगती है। इन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है, उच्च पद प्राप्त होता है, और तमाम खुशियां मिलती हैं। तमाम विशेषताओं वाला यह गुरु ग्रह अब 29 जुलाई को मीन राशि में अपनी वक्री चाल शुरू करने वाला है।

वक्री अवस्था यानी ग्रहों की उल्टी चाल। जब भी कोई ग्रह वक्री होता है तो आम तौर पर इससे देश दुनिया और आम जनजीवन पर विशेष प्रभाव पड़ने लगते हैं। ऐसे में इस ब्लॉग के माध्यम से जानिए कि वक्री गुरु सभी 12 राशियों को किस तरह से प्रभावित करने वाले हैं और साथ ही वक्री गुरु के प्रकोप से बचने के लिए आप क्या कुछ उपाय कर सकते हैं इसकी जानकारी भी हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से प्रदान कर रहे हैं।

दुनियाभर के विद्वान अंक ज्योतिषियों से करें फ़ोन पर बात और जानें करियर संबंधित सारी जानकारी

मीन राशि में वक्री गुरु: समय और अवधि

मौजूदा समय में गुरु ग्रह अपनी स्वराशि मीन में ही स्थित हैं और इसी राशि में 29 जुलाई को वक्री होने वाले हैं। बात करें समय की तो, 29 जुलाई, 2022 दिन शुक्रवार की सुबह 1:33 बजे मीन राशि में वक्री गुरु होगा और 24 नवंबर, 2022 दिन गुरुवार को सुबह 4:36 बजे इसी राशि में मार्गी हो जाएगा।

वक्री गुरु: प्रभाव और उपाय

आम धारणा है कि लोग वक्री ग्रहों का नाम सुनते ही भयभीत हो जाते हैं कि अब उनके साथ जीवन में कुछ ना कुछ बुरा ही होता रहेगा लेकिन यह बात पूरी तरह से सत्य नहीं होती है। ज्योतिष के जानकार मानते हैं कि यदि जन्म कुंडली में कोई ग्रह अच्छी या मजबूत स्थिति में बैठा है और वह वक्री हो रहा है तो ऐसे जातकों को लाभ मिलता है। 

वहीं इसके विपरीत यदि कुंडली में कोई ग्रह अन्य पापी ग्रहों के साथ मौजूद हो तो उसके बाद वक्री हो तो उससे व्यक्ति को बुरे प्रभाव मिलने लगते हैं। 

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

बात करें वक्री गुरु की तो जिन जातकों की कुंडली में वक्री गुरु मौजूद होता है और गुरु पहले से मजबूत अवस्था में होता है ऐसे जातक दूरदर्शी होते हैं, और लोगों को एक साथ लेकर चलने वाले होते हैं। इन्हें भविष्य के बारे में पहले से ही आभास हो जाता है और उन्हें पता होता है कि कौन सा व्यक्ति इन्हें लाभ देगा और कौन इन्हें धोखा दे सकता है। 

हालांकि जिन लोगों की कुंडली में गुरु ग्रह अशुभ अवस्था में या पापी ग्रहों से पीड़ित बैठा हो और फिर वक्री हो रहा हो ऐसे व्यक्तियों को नकारात्मक परिणाम मिलने लगते हैं। उन्हें इससे बचने के कुछ उपाय करने की सलाह दी जाती है। क्या हैं वो उपाय आइए जान लेते हैं:   

  • रोजाना पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और सात बार परिक्रमा करें। 
  • अपने घर में पीले रंग के फूलों वाले पौधा लगाएं। 
  • विष्णु भगवान की पूजा करें और ब्राह्मणों और जरूरतमंद लोगों को दान करें। 
  • मुमकिन हो सके तो गुरुवार का व्रत अवश्य करें। 
  • गुरुवार के दिन पूजा में भगवान विष्णु को गुड़ और चने की दाल का भोग लगाएं। 
  • इसके अलावा भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करें। उन्होंने हल्दी और पीले चंदन और केसर का तिलक लगाएं। 
  • इसके अलावा बृहस्पति से संबंधित वस्तुओं का दान भी वक्री गुरु के अशुभ प्रभाव को दूर करने में सहायक साबित होता है।

वक्री गुरु सभी 12 राशियों के जातकों के जीवन पर भी शुभ और अशुभ प्रभाव अवश्य डालेगा। तो आइए अब जान लेते हैं आपकी राशि पर वक्री गुरु क्या असर डालने वाला है और साथ ही राशि अनुसार उपाय क्या किए जा सकते हैं।

करियर की हो रही है टेंशन! अभी ऑर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट

मीन राशि में वक्री गुरु: गोचर फल और उपाय

मेष राशि

मेष अग्नि तत्व की राशि है। मेष राशि के जातकों के लिए बृहस्पति नौवें भाव और बारहवें भाव का स्वामी है और यह उनके बारहवें भाव में वक्री होगा। इस दौरान जातकों का ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

वृषभ राशि

वृषभ पृथ्वी तत्व की राशि है। वृषभ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति आठवें भाव और ग्यारहवें भाव का स्वामी है और यह उनके ग्यारहवें भाव में वक्री होगा। इसके कारण इस दौरान….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

मिथुन राशि

मिथुन जल तत्व की राशि है। मिथुन राशि के जातकों के लिए बृहस्पति सातवें और दसवें भाव का स्वामी है और यह उनके दसवें भाव में वक्री होगा। जिसके कारण इस दौरान….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

कर्क राशि

कर्क जल तत्व की राशि है। कर्क राशि के जातकों के लिए बृहस्पति छठे और नौवें भाव का स्वामी है और यह उनके नौवें भाव में वक्री होगा। पेशेवर रूप से देखा जाए तो इस दौरान….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

सिंह राशि

सिंह अग्नि तत्व की राशि है। सिंह राशि के जातकों के लिए बृहस्पति पांचवें और आठवें भाव का स्वामी है और यह उनके आठवें भाव में वक्री होगा। पेशेवर रूप से इस दौरान….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

कन्या राशि

कन्या पृथ्वी तत्व की राशि है। कन्या राशि के जातकों के लिए बृहस्पति चौथे और सातवें भाव का स्वामी है और यह उनके सातवें भाव में वक्री होगा। पेशेवर रूप से देखा जाए तो हो सकता है कि….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

आपकी कुंडली में भी है राजयोग? जानिए अपनी  राजयोग रिपोर्ट

तुला राशि

तुला वायु तत्व की राशि है। तुला राशि के जातकों के लिए बृहस्पति तीसरे और छठे भाव का स्वामी है और यह उनके छठे भाव में वक्री होगा। पेशेवर रूप से देखा जाए तो यह अवधि….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

वृश्चिक राशि

वृश्चिक जल तत्व की राशि है। वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बृहस्पति दूसरे और पांचवें भाव का स्वामी है और यह उनके पांचवें भाव में वक्री होगा। पेशेवर रूप से इस दौरान आपको….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

धनु राशि

धनु अग्नि तत्व की राशि है। धनु राशि के जातकों के लिए बृहस्पति प्रथम और चौथे भाव का स्वामी है और यह उनके चौथे भाव में वक्री होगा। पेशेवर रूप से इस दौरान आपको….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

मकर राशि

मकर पृथ्वी तत्व की राशि है। मकर राशि के जातकों के लिए बृहस्पति तीसरे और बारहवें भाव का स्वामी है और यह उनके तीसरे भाव में वक्री होगा। पेशेवर रूप से इस दौरान….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित  से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!

कुंभ राशि

कुंभ वायु तत्व की राशि है। कुंभ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति दूसरे और ग्यारहवें भाव का स्वामी है और यह उनके दूसरे भाव में वक्री होगा। पेशेवर रूप से इस दौरान….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

मीन राशि

मीन जल तत्व की राशि है। मीन राशि के जातकों के लिए बृहस्पति प्रथम/लग्न और दसवें भाव का स्वामी है और यह उनके लग्न भाव में वक्री होगा। पेशेवर रूप से इस दौरान….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.