लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान बना सपा-बसपा का गठबंधन अब टूट चुका है। चुनाव में हार के बाद बहुजन समाज पार्टी की समीक्षा बैठक में पार्टी सु्प्रीमो मायावती ने यह फैसला लिया है। इस बैठक में मायावती ने कहा कि गठबंधन से पार्टी को कोई फायदा नहीं हुआ है। उनके मुताबिक पार्टी को यादव वोट नहीं मिले और न ही जाट समुदाय के वोट मिले।
बीएसपी पार्टी यूपी में होने वाले 11 सीटों पर उपचुनाव अपने दम पर ही लड़ना चाहेगी। मायावती ने बीते सोमवार को लोकसभा चुनाव के परिणाम की समीक्षा के लिए पार्टी उच्च पदाधिकारियों और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में पार्टी के सभी विधायक, नवनिर्वाचित सांसद, प्रदेश के सभी जोनल कोऑर्डिनेटर के अलावा सभी जिला अध्यक्ष शामिल हुए।
ग़ौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र उत्तर प्रदेश की 80 संसदीय सीटों को लेकर सपा, बसपा और अजीत सिंह की पार्टी आरएलडी के बीच गठबंधन हुआ था। गठबंधन की शर्त के अनुसार, बसपा ने 38, एसपी ने 37 और आरएलएडी ने 3 सीटों पर ताल ठोकी थी। इसके अलावा गठबंधन ने अमेठी और रायबरेली की संसदीय सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी थी।
चुनाव परिणाम के मुताबिक, बसपा को 10 सीटें और समाजवादी पार्टी को 5 सीटें हासिल हुईं। बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए को सर्वाधिक 64 सीटें मिलीं। जबकि कांग्रेस के खाते में केवल एक ही सीट (रायबरेली) आयी। यूँ तो चुनाव परिणाम आने के बाद ये संकेत मिलने लगे थे कि सपा-बसपा के गठबंधन की उम्र अब ज्यादा नहीं है और मायावती ने ये ऐलान कर इस तरह की कयासों पर भी लगाम लगा दी।
सियासी नज़रिए से देखा जाए तो मायावती के उपचुनाव में अकेले लड़ने का ऐलान बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। बहरहाल, देखते हैं कि मायावती का ‘एकला चलो राग’ यूपी की जनता को भाएगा या नहीं।