आज मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर करें कमजोर चंद्रमा के उपाय, मिलेंगे अद्भुत लाभ

हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार, हर माह में दो पक्ष होते हैं। इसमें से एक को कृष्ण पक्ष और दूसरे को शुक्ल पक्ष कहते हैं और प्रत्येक की अवधि 15 दिन होती है। अमावस्या कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन होता है, जबकि शुक्ल पक्ष पूर्णिमा के साथ समाप्त होता है। पूर्णिमा के साथ ही हिंदू कैलेंडर के अनुसार दूसरे महीने की शुरुआत होती है। एक साल में 12 पूर्णिमाएं होती हैं और पूर्णिमा के दिन चंद्र देव की पूजा करने और उनके दर्शन करने के कई ज्योतिष लाभ भी शास्त्रों में बताए गए हैं।

आचार्य हरीश चंद्र तिवारी के अनुसार चंद्रमा जल तत्व का प्रतिनिधित्व करता है और जब शरीर में जल तत्व की कमी होती है तो जातक मानसिक रोगी हो जाता है। लिहाजा चंद्रमा के दर्शन करने से उस तत्व की कमी पूरी होती है और इसका लाभ जातक को मिलता है। इसके साथ ही पूर्णिमा के दिन चंद्र देवता अमृत की वर्षा करते हैं और इसके जरिए जिन जातकों का चंद्रमा कमजोर है, वे चंद्र दर्शन कर उसे बलवान कर सकते हैं। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने से स्वास्थ्य के साथ-साथ सुख-समृद्धि भी मिलती है क्योंकि चंद्रमा धन (Liquid Money) के साथ-साथ जल से जुड़ी बीमारियों का भी कारक होता है।

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आचार्य जी का कहना है कि नौ ग्रहों में चंद्रमा को शीतलता, माता, शांति, वाहन, घर, लग्जरी, मनोरंजन आदि का कारक माना जाता है। यदि कुंडली में चंद्रमा की स्थिति अच्छी हो तो मनुष्य कुछ भी कर सकता है। वहीं अगर चंद्रमा की स्थिति खराब है या वह पक्षबली नहीं है तो मन अशांत होने के साथ-साथ सुखों में कमी होती है। माता का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है और जातक का मन स्थिर नहीं रहता है। जिसका प्रभाव उसके व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ पेशेवर जीवन पर पड़ता है। इसलिए शास्त्रों में चंद्रमा को शांत करने के सबसे सरल और अचूक उपाय बताए गए हैं।

शास्त्रों के मुताबिक, अगर जातक हर महीने की पूर्णिमा के दिन करीब एक घंटा चंद्र देव के दर्शन करे तो वह अपने चंद्रमा को बलवान कर सकता है। यही नहीं अगर वह इस दौरान “ॐ सोमाय नमः” का भी जाप करता है तो इससे उसे दोगुना लाभ होगा। इसके साथ ही जातक को चंद्र गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।

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चंद्र गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात्।

हिंदू शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा की रात चंद्रमा के उदय होने के बाद उन्हें जल और दूध मिलाकर अर्पित करना चाहिए। जिस प्रकार ग्रहों के राजा सूर्य को मजबूत करने के लिए रोज सुबह सूर्योदय के वक्त जल अर्पित किया जाता है। उसी तरह से चंद्रमा को मजबूत करने के लिए उन्हें जल और दूध का अर्घ्य देना चाहिए। इससे कमजोर चंद्रमा वाले जातक पर भगवान चंद्रदेव की कृपा बनी रहती है।

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ब्राह्मणों को करें दान

वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मजबूत करने के लिए दान के उपाय भी बताए गए हैं। ज्योतिष में कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है और ये मनुष्य के 70 फीसदी से ज्यादा शरीर को प्रभावित करता है। सबसे तेज चलने वाला मन ही है। अगर मन को नियंत्रित कर लिया जाए तो मनुष्य राजा भी बन सकता है। वहीं अगर उदयातिथि के आधार पर देखा जाए तो मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा की तिथि कल तक मान्य होगी। जातक को कल यानी 8 दिसंबर को पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए और उसके बाद ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देनी चाहिए। हालांकि पूर्णिमा का चंद्रमा आज यानी कि 7 दिसंबर की रात में दिखाई देगा।

 जानिए क्या हैं कमजोर चंद्रमा के लक्षण

  • चंद्रमा मन का कारक ग्रह है और कमजोर चंद्रमा मन को बहुत भटकाता है और किसी कार्य में मन नहीं लगता है। अगर करियर की बात करें तो कमजोर चंद्रमा वाले जातक बार-बार करियर बदलते रहते हैं।
  • कमजोर चंद्रमा वाले जातक हमेशा एलर्जी, सर्दी, जुकाम और जल से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित रहते हैं।
  • कमजोर चंद्रमा वाले जातकों को धोखा बहुत मिलता है क्योंकि वे सही और गलत की पहचान नहीं कर पाते हैं और इसके कारण उनके द्वारा दिया गया कर्ज वापस नहीं मिलता।
  • कमजोर चंद्रमा वाले जातक बहुत भावुक होते हैं। इसके कारण लोग अक्सर उनकी इस कमजोरी का फायदा उठाते हैं और इस वजह से उन्हें धन की हानि होती है और मन परेशान रहता है।
  • कमजोर चंद्रमा वाले जातकों को अक्सर प्यार में धोखा मिलता है। वह अपने पार्टनर से सही तरीके से बात नहीं कर पाते हैं या यूं कहें कि वह खुद को एक्सप्रेस नहीं कर पाते हैं।

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