हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष अमावस्या मार्गशीर्ष माह में आती है। कई जगह पर इसे अगहन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण, स्नान, दान इत्यादि किए जाने का भी विधान बताया गया है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करना बेहद ही शुभ होता है। आगे जानें इस दिन आखिर क्यों और कैसे की जाती है लक्ष्मी पूजा?
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वैसे तो हर महीने में पड़ने वाली अमावस्या बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली अमावस्या का सबसे अलग और विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह में ही भगवान श्री कृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया था। जिसके कारण इस अमावस्या को बेहद लाभकारी और पुण्य फलदाई माना जाता है।
जानें कब है मार्गशीर्ष अमावस्या और जाने शुभ मुहूर्त भी
2020 में मार्गशीर्ष अमावस्या कब है?
14 दिसंबर, 2020 सोमवार
मार्गशीर्ष अमावस्या मुहूर्त
दिसंबर 14, 2020 को 00:46:54 से अमावस्या आरम्भ
दिसंबर 14, 2020 को 21:48:26 पर अमावस्या समाप्त
नोट: यह मुहूर्त दिल्ली के लिए है। अपने शहर के अनुसार मुहूर्त जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत और पूजन विधि
जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि इस अमावस्या के दिन पितरों के तर्पण के लिए इस दिन का बेहद महत्व बताया गया है। ऐसे में इस दिन व्रत रखने से पितरों का पूजन और उनका आशीर्वाद अवश्य मिलता है।
- इस दिन सुबह उठकर किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- स्नान के बाद बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें और गायत्री मंत्र का पाठ करें।
- इसके बाद भगवान विष्णु या भगवान शिव का पूजन करें।
- किसी नदी या घाट के तट पर पितरों के निमित्त तर्पण करें और उनके मोक्ष की कामना करें।
- मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत रखने वाले इंसान को आज के दिन जल भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। पूजा पाठ के बाद अपनी यथाशक्ति से ज़रूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र दान करें।
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मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व
हर महीने में आने वाली अमावस्या तिथि को पितरों के निमित्त श्राद्ध तर्पण के कार्य के लिए उचित बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि, अमावस्या के दिन पूजा और व्रत रखने से हमारे पितृ अवश्य प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है, लेकिन मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत करने से इंसान की कुंडली में मौजूद दोष भी समाप्त होते हैं।
ऐसे में अगर संभव हो तो इस दिन गंगा स्नान ज़रूर करना चाहिए। हालांकि जो लोग गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं उन्हें स्नान के पानी में गंगा जल डालकर स्नान करने की सलाह दी जाती है। इस दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि, सतयुग में देवों ने मार्गशीर्ष माह की प्रथम तिथि को ही वर्ष का आरंभ किया था।
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विष्णु पुराण के अनुसार मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत रखने से पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है। इसके साथ-साथ ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, पशु-पक्षी और सभी भूत प्राणी भी तृप्त होकर इस दिन की पूजा से इंसान से प्रसन्न होते हैं। जो कोई भी इंसान पुत्र रत्न की प्राप्ति चाहते हैं उन्हें इस माह की अमावस्या को उपवास रखकर उचित विधि से पूजन अवश्य करना चाहिए। इसके अलावा जिस भी इंसान की कुंडली में संतान हीन योग बन रहा हो उन्हें भी इस व्रत को रखने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से आपको संतान सुख अवश्य मिलता है।
मार्गशीर्ष अमावस्या पर दीपावली की तरह ही किया जाता है लक्ष्मी पूजन
यह तो हमने आपको पहले भी बताया कि यह अमावस्या मार्गशीर्ष माह में पड़ती है। ऐसे में इस अमावस्या का महत्व कार्तिक अमावस्या से कम नहीं माना जाता है। जिस तरह से हम कार्तिक मास की अमावस्या को लक्ष्मी जी का पूजन कर दीपावली मनाते हैं, ठीक उसी तरह इस दिन भी देवी लक्ष्मी का पूजन करना शुभ माना गया है।
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अमावस्या के दिन बरतें यह सावधानी
- अमावस्या की रात को किसी भी सुनसान या अकेली जगह पर जाने से बचना चाहिए। खासकर शमशान की तरफ तो इस रात बिल्कुल भी ना जाए। माना जाता है कि अमावस्या की रात में भूत-प्रेत, पिशाच-निशाचर इत्यादि ज्यादा सक्रिय रहते हैं।
- इसके अलावा अगर आपको देर तक सोने की आदत है तो अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठें। इस दिन सुबह जल्दी उठने का बेहद महत्व बताया गया है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
- इसके अलावा अमावस्या के दिन किसी भी तरह के कलह-कलेश से भी बचना चाहिए। कहा जाता है कि अगर अमावस्या के दिन भी आप अपने घर में वाद-विवाद या लड़ाई झगड़ा करते हैं तो इससे आपके पितृ और इष्ट देवता आपसे नाराज़ हो सकते हैं और घर से शांति दूर जा सकती है।
- अमावस्या के दिन किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन किस तरह का नशा भी नहीं करना चाहिए।
- कहा जाता है कि अमावस्या के दिन पति पत्नी को संबंध बनाने से भी बचना चाहिए। गरुड़ पुराण में इस बात का उल्लेख है कि इस दिन जो भी पति पत्नी संबंध बनाते हैं और उसे संतान पैदा होती है तो उसके जीवन में हमेशा कष्ट बना रहता है।
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मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन करें सत्यनारायण पूजा
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पितरों की शांति और उनकी कृपा पाने के लिए पूजा-पाठ और व्रत इत्यादि का विधान तो किया ही जाता है, साथ ही साथ इस दिन भगवान सत्य नारायण की पूजा भी किए जाने का बेहद महत्व बताया गया है। इस देवी पूजा वाली जगह पर भगवान सत्य नारायण और देवी लक्ष्मी का चित्र या तस्वीर रखी जाती है। इसके बाद विधिवत तरीके से इनकी पूजा की जाती है। इस दिन की पूजा में हलवे का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान सत्य नारायण की कथा का पाठ करने के बाद ही पूजा संपन्न होती है। इसके बाद प्रसाद बाँट कर लोग पूजा समाप्त करते हैं।
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