डॉ. मनमोहन सिंह: देश के महान अर्थशास्‍त्री का 92 की उम्र में निधन

डॉ. मनमोहन सिंह: एक दशक तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करने वाले और देश के महान अर्थशास्‍त्री डॉक्‍टर मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर, 2024 को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। साल 2004 से लेकर 2014 तक उन्‍होंने यूपीए सरकार की बागडोर संभाली थी। डॉक्‍टर मनमोहन एक दूरदर्शी नेता थे जिन्‍होंने अपने जीवन में अनेक महान उपलब्धियां हासिल की थीं और उनका जीवन कई मनोहर कहानियों से भरा है। इसका एक उदाहरण यह है कि 90 के दशक की शुरुआत में भारत की अर्थव्‍यवस्‍था पर उनका गाहरा प्रभाव था। इससे पहले उन्‍होंने सन् 1991 से 1996 के बीच प्रधानमंत्री पी.वी नरसिम्‍हा के अधीन भारत के वित्त मंत्री के रूप में देश की अर्थव्‍यवस्‍था में क्रांतिकारी बदलाव किए थे।

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डॉ. मनमोहन सिंह की कुंडली

डॉक्‍टर मनमोहन सिंह की कुंडली में कई राजयोग स्‍पष्‍ट रूप से दिखाई देते हैं। इन्‍हीं राजयोगों की वजह से डॉक्‍टर साहब को एक नामी व्‍यक्‍ति से विश्‍व के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक का प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला था और वे सफलता की ऊंचाईयों तक पहुंच पाए थे। उनकी कुंडली में एक नहीं बल्कि कई राजयोग नज़र आ रहे हैं जैसे कि उनकी कुंडली में पेशे, करियर और लोकप्रियता यानी दसवें भाव में बुधादित्‍य योग बन रहा है। इसके अलावा उनकी कुंडली में विपरीत राजयोग, विमल योग, सरल योग (ये दोनों विपरीत राजयोग का हिस्‍सा हैं) और भद्र राजयोग आदि बन रहे हैं। 

इन सभी योगों की वजह से डॉ. मनमोहन सिंह का राजनीति के क्षेत्र में शानदार करियर रहा है लेकिन आज हम उनकी कुंडली में मौजूद उन कारकों, ग्रहों की युति और गोचरों के बारे में बात करेंगे जिनकी वजह से क्रिसमस के एक दिन बाद, बाॅक्सिंग दिवस पर 26 दिसंबर, 2024 को उनकी मृत्‍यु हुई। आगे बढ़ने से पहले एक बार उन कारकों के बारे में जान लेते हैं जो ज्‍योतिष में किसी व्‍यक्‍ति की मृत्‍यु का कारण बनते हैं।

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ज्‍योतिष के अनुसार ये कारक बने हैं मृत्‍यु के समय का निर्धारण

  • डॉ. मनमोहन सिंह की कुंडली में विंशोत्तरी दशा पर नज़र डालें, तो उनकी बृहस्‍पति की महादशा और सूर्य की अंतर्दशा, राहु की प्रत्‍यंतर दशा और शनि की सूक्ष्‍म दशा चल रही थी। उनकी मृत्‍यु के दिन इन प्रमुख ग्रहों की दशा चल रही थी।
  • दूसरा और सातवां भाव मारक भाव होते हैं, इनके स्‍वामी कहां बैठे हैं और इनका भावेश किस भाव में स्थित है और किस स्थिति में है या कहां गोचर कर रहा है।
  • ग्रहों की स्थिति और ग्रहों के गोचर को देखा जाता है।
  • आठवां भाव और आठवे भाव का स्‍वामी कहां पर स्थित है और इस पर किन ग्रहों की दृष्टि पड़ रही है।
  •  तीसरा भाव और तीसरे भाव के स्‍वामी, दोनों को देखा जाता है।
  •  छठे भाव और और तीसरे भाव के स्‍वामी, दोनों को देखा जाता है।
  • राहु-केतु किस भाव में हैं या किस ग्रह के साथ हैं एवं इनका गोचर कहां और किसके साथ हो रही है।

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अब हम डॉ. मनमोहन सिंह की कुंडली को ध्‍यान से देखें, तो उनकी बृहस्‍पति-सूर्य-राहु-शनि की दशा चल रही थी। बृहस्‍पति लग्‍न भाव के स्‍वामी हैं और उनकी कुंडली में नौवें भाव में अच्‍छी स्थिति में विराजमान हैं लेकिन राहु-केतु के साथ हैं। वर्तमान में मई 2024 से बृहस्‍पति उनके रोग और शत्रु के भाव यानी छठे घर में गोचर कर रहे हैं। शनि तीसरे भाव में गोचर कर रहे हैं और वह तीसरे भाव के स्‍वामी भी हैं लेकिन शनि दूसरे भाव के स्‍वामी भी हैं और इसलिए यहां पर शनि मारक बन जाते हैं। तीसरा भाव, दूसरे भाव से बारहवां घर पड़ता है इसलिए यह जीवन की क्षति को दर्शाता है।

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डॉ. मनमोहन सिंह की कुंडली में सातवे भाव के स्‍वामी बुध दूसरे मारक भी हैं, वह वर्तमान में वृश्चिक राशि में बारहवें भाव में गोचर कर रहे हैं और वह भी जीवन की क्षति को दर्शाते हैं। वहीं तीसरे भाव के स्‍वामी शनि इस समय तीसरे भाव में ही गोचर कर रहे हैं और इनकी जन्‍मकुंडली में तीसरे भाव में राहु है, ऐसे में दोनों की युति हो रही है और इस युति ने इनकी मृत्‍यु में अहम भूमिका निभाई है।

यहां पर ध्‍यान देने वाली बात यह है कि उनके आठवें भाव का स्‍वामी चंद्रमा आठवें भाव में अच्‍छी स्थिति में है और इसी वजह से उन्‍हें दीर्घायु प्राप्‍त हुई है। वर्तमान में चल रही दशा में राहु और शनि प्रमुख ग्रहों में से एक हैं। जब कुंडली में तीसरे, दूसरे और सातवे भाव के साथ बारहवां या आठवां भाव सबसे ज्‍यादा प्रभाव में होता है, तब ऐसा कहा जाता है कि जीवन का निश्‍चित रूप से अंत होगा और डॉ. मनमोहन सिंह की कुंडली के अधिकाशं बिंदु इससे मेल खाते हैं। अत: इन ग्रहों का गोचर और युति भारत के महान नेता और अर्थशास्‍त्री की मृत्‍यु का कारण बने।

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डॉ. मनमोहन सिंह के करियर की मुख्‍य बातें और उपलब्धियां

सन् 1932 में पाकिस्‍तान के गाह के एक साधारण से गांव में डॉ. मननोहन सिंह का जन्‍म हुआ था। इस गांव में संसाधनों की कमी थी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधा तक उपलब्‍ध नहीं थी। वे पढ़ना चाहते थे और स्‍कूल जाने के लिए उन्‍हें लंबी दूरी पैदल ही तय करनी पड़ती थी। वे अंग्रेज़ी, हिंदी और पंजाबी भाषा बोलते थे लेकिन उन्‍हें उर्दू भी आती थी और वे अपने भाषण उर्दू में ही लिखवाना पसंद करते थे।

एक अर्थशास्‍त्री और पिछली सरकारों के सलाहकार के रूप में काम करने के बावजूद सन् 1991 तक डॉ. मनमोहन ने कोई चुनाव नहीं लड़ा था। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने उन्‍हें पी.वी नरसिम्‍हा की सरकार में राज्‍य सभा में वित्त मंत्री के रूप में नामित किया था। उन्‍होंने पांच कार्यकालों तक असम राज्‍य का प्रतिनिधित्‍व किया। इसके बाद उन्‍होंने राजस्‍थान की बागडोर संभाली है और यहां पर उन्‍होंने अप्रैल 2024 तक उसी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्‍व किया।

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उन्‍होंने कई महत्‍वपूर्ण पद संभाले हैं जिसमें से एक 1982 से 1985 तक आरबीआई के गर्वनर का पद भी शामिल है। आरबीआई के गवर्नर से वित्त मंत्री के पद पर आने वाले केवल दो लोगों में से एक डाॅ. मनमोहन सिंह थे। ये उपलब्धियां उनकी योग्‍यता और अपने काम में माहिर होने का पर्याप्‍त प्रमाण देती हैं।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न 1. डॉ. मनमोहन सिंह का जन्‍म कब हुआ था?

उत्तर. उनका जन्‍म 26 सितंबर, 1932 को पाकिस्‍तान के गाह में हुआ था।

प्रश्‍न 2. मनमोहन सिंह किस वर्ष में भारत के प्रधानमंत्री रहे हैं?

उत्तर. साल 2004 से 2014 तक।

प्रश्‍न 3. मनमोहन सिंह आरबीआई के गर्वनर कब बने थे?

उत्तर. 1982 से 1985 तक।

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