मंगल-राहु का योग बढ़ाता है क्रोध, इन उपायों से करें दुष्प्रभावों को कम

वैदिक ज्योतिष के अनुसार मंगल और राहु ग्रह की युति के दुष्प्रभाव से व्यक्ति अत्यधिक क्रोध करने वाला होता है। व्यक्ति का अहंकार ही उसके क्रोध का मुख्य कारण है, और अगर हम अपने क्रोध को नियंत्रित करना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें अपने अंदर के अहंकार को खत्म करना होगा। क्योंकि क्रोध व्यक्ति के जीवन का सबसे बड़ा दुख का कारण है और अत्यधिक क्रोध के कारण ही व्यक्ति कई बार जन्म-मरण के चक्रव्यूह में फंसता है। 

ज्योतिषीय दृष्टि से देखें, तो क्रोध का मुख्य कारण सूर्य, चंद्रमा मंगल, शनि और राहु ग्रह को माना गया है। सूर्य को सहन शक्ति का प्रतीक माना गया है, मंगल आक्रामक है, और चंद्रमा शारीरिक और भावनात्मक जरूरतों का प्रतीक है। यदि जन्म कुंडली में सूर्य, चंद्रमा और मंगल एक दूसरे के साथ किसी भी रूप में संबंधित होते हैं, तो ऐसे योग व्यक्ति के अंदर अहंकार को बढ़ावा देते हैं। व्यक्ति का स्वभाव अत्यधिक गुस्सा करने वाला होता है, और वह बात-बात पर लड़ाई-झगड़ा करता है, दूसरों पर रौब झाड़ता है। वैदिक ज्योतिष में मंगल को वाद-विवाद, लड़ाई-झगड़ा, क्रोध, दुर्घटना, आग, बिजली और हथियार जैसे कारक का ग्रह माना गया है। राहु को आकस्मिकता, घटना, दुश्मन, षड्यंत्र, ऊर्जा, बुरे-विचार और छल का कारक ग्रह माना गया है। इसी वजह से वैदिक ज्योतिष में मंगल राहु का योग नकारात्मक प्रभाव देने वाला माना गया है।

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मंगल-राहु योग का प्रभाव

ज्योतिषीय दृष्टि से देखें, तो मानव की कुंडली में मंगल और राहु का एक साथ पर होना बहुत ही कष्ट देने वाला होता है। कुंडली में यदि मंगल राहु का योग है तो सबसे पहले वह कुंडली के जिस भी भाव में होगा, वह उस भाव को प्रभावित करेगा और उस भाव से नियंत्रित होने वाले घटकों में संघर्ष की स्थिति को पैदा कर देगा। उदाहरण स्वरूप यदि कुंडली के लग्न भाव में मंगल राहु का योग बन रहा है, तो वह स्वास्थ्य पक्ष को कमजोर करेगा, और व्यक्ति को जीवन में स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां परेशान करने लगेगी। वही धन भाव में मंगल राहु का योग बन रहा है, तो व्यक्ति को आर्थिक संघर्ष करना पड़ेगा। और पंचम भाव में मंगल राहु का योग संतान और शिक्षा से संबंधित परेशानियां उत्पन्न करता है। 

इसके अलावा मानव कुंडली में मंगल-राहु का योग व्यक्ति को बहुत ज्यादा नकारात्मक उर्जा प्रदान करता है। आमतौर पर हर व्यक्ति में थोड़ा बहुत क्रोध होना स्वभाविक है, पर यदि उसकी कुंडली में मंगल राहु का योग है, तो वह व्यक्ति के क्रोध का स्तर इस अवस्था में पहुंच देता है, कि व्यक्ति चाहकर भी अपने क्रोध को नियंत्रण में नहीं कर पाता। ऐसे में व्यक्ति कई बार अपने क्रोध के चलते गलत कदम भी उठा लेता है, उसकी कुंडली में मंगल राहु का योग जीवन में दुर्घटनाओं को भी अवसर देता है। व्यक्ति की कुंडली में मंगल राहु का योग उसके शत्रुओं और विरोधियों को भी बहुत ज्यादा बलशाली बना देता है, कई बार ना चाहते हुए भी जातक वाद-विवाद और झगड़ों में उलझ जाता है। कुंडली में मंगल राहु का योग घर-परिवार में भी मतभेद पैदा करता है, और जीवन में कई प्रकार के नकारात्मक परिणाम देता है। कर्ज से संबंधित परेशानी होती है, और उसे आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है। स्त्री जातक की कुंडली में मंगल राहु का योग है, तो उसका वैवाहिक जीवन अशांत रहता है, यदि मंगल ग्रह राहु से पीड़ित है तो स्त्री को पति का सुख प्राप्त नहीं होता है, और वैवाहिक जीवन में कई तरह के संघर्ष पैदा हो जाते है। 

मंगल-राहु का योग, तो करें यह उपाय

  • जातक प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें ।
  • हर शनिवार को साबित उड़द की दाल का दान करें।
  •  ॐ अंग अंगारकाय नमः मंत्र का रोजाना नियमानुसार जाप करें।
  •  हर मंगलवार गाय को गुड़ खिलाएं।
  •  रोजाना मस्तक पर सफेद चंदन का तिलक लगाएं।
  •  चांदी का छल्ला या फिर कड़ा सोमवार के दिन धारण करें।
  •  संभव हो तो चांदी के गिलास में ही पानी पीएं।
  • बड़े-बुजुर्गों का पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लें।
  •  हर मंगलवार के दिन 8 मीठी रोटी कुत्ते को खिलाएं।

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