कुंभ राशि में ग्रहों के सेनापति का गोचर- इन राशियों के लिए साबित होगा अति ‘मंगलकारी’!

वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह को ग्रहों के सेनापति का दर्जा दिया गया है। यह ग्रह बेहद ही मजबूत प्रभाव जातकों के जीवन में डालता है। इसके अलावा मंगल ग्रह स्वभाव से एक उग्र ग्रह भी होता है ऐसे में शनि की राशि में मंगल का यह गोचर किन राशियों के लिए मंगलकारी साबित होगा और किन्हे इसके दुष्प्रभाव उठाने पड़ेंगे चलिए इस ब्लॉग के माध्यम से डाल लेते हैं इस पर एक नजर।

सबसे पहले आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अगर मंगल अपनी मूल त्रिकोण राशि मेष में होता है तो इससे जातकों को शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं लेकिन वहीं अगर मंगल प्रतिकूल स्थिति में हो या पीड़ित अवस्था में हो तो जातकों को अपने जीवन में तमाम तरह की परेशानियां उठानी पड़ सकती है। 

दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें कॉल/चैट पर बात और जानें अपने संतान के भविष्य से जुड़ी हर जानकारी

मंगल का कुंभ राशि में गोचर- क्या रहेगा समय?

सबसे पहले बात करें समय की तो, युद्ध के देवता का ग्रह मंगल 15 मार्च 2024 की शाम 05 बजकर 42 मिनट पर कुंभ राशि में गोचर करने जा रहे हैं।

स्वाभाविक है की मंगल के इस महत्वपूर्ण गोचर का प्रभाव सभी राशियों के जातकों के जीवन पर अवश्य ही देखने को मिलेगा। चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं मंगल से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें, मंगल का कुंभ राशि में होना किस तरह के प्रभाव देगा और साथ ही जानेंगे मंगल का सभी 12 राशियों पर क्या कुछ प्रभाव पड़ने की संभावना नजर आ रही है।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

ज्योतिष में मंगल ग्रह 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह को ऊर्जा, भाई, भूमि, शक्ति, साहस आदि का कारक माना गया है। जहां मेष और वृश्चिक मंगल के स्वामित्व वाली राशियां हैं वहीं कर्क को इसकी नीच राशि माना जाता है। इसके अलावा मकर मंगल की उच्च राशि होती है। नक्षत्र की बात करें तो मृगशीरा नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र और धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामित्व भी मंगल ग्रह के पास होता है। 

ऐसे में ज्योतिष की जानकार मानते हैं कि जिस भी जातक की कुंडली में मंगल शुभ स्थिति में मौजूद होता है वह स्वभाव से निडर और साहसी होते हैं। इसके विपरीत जिन लोगों की कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में होता है ऐसे लोगों को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कठिनाइयां उठानी पड़ती है।

जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल अशुभ भाव में होते हैं या फिर पापी ग्रहों के साथ मिल जाते हैं तो ऐसे में वह जातकों को रक्त संबंधित बीमारियां दे सकते हैं। इसके अलावा मंगल से बनने वाले मंगल दोष की वजह से विवाह में रुकावटें भी आती हैं।

पाएं अपनी कुंडली आधारित सटीक शनि रिपोर्ट

क्या होता है मांगलिक दोष? दरअसल ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब व्यक्ति की जन्म कुंडली में मंगल पहले, चौथ, सातवें, आठवें या फिर द्वादश भाव में मौजूद होते हैं तो कुंडली में मांगलिक दोष का निर्माण होने लगता है। जिन जातकों की कुंडली में मंगल दोष होता है उन्हें इसके दुष्प्रभाव से विवाह में देरी होने लगती है। अगर विवाह किसी तरह हो भी जाए तो उसमें परेशानियां उठानी पड़ती हैं, विवाह से संबंधित अनेकों  परेशानियों इस दोष के चलते होने की संभावना बढ़ जाती है। 

इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष होता है या मंगल से संबंधित कोई भी दोष होता है तो उन्हें कैंसर, ट्यूमर और रक्त संबंधित परेशानियां होने का खतरा बना रहता है। यही वजह है कि ज्योतिष के जानकारी जल्द से जल्द मंगल दोष निवारण के शांति उपाय करने की सलाह देते हैं। क्या कुछ हैं ये उपाय चलिए अब डाल लेते हैं इस पर भी एक नजर।

करियर की हो रही है टेंशन! अभी ऑर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट

मंगल दोष दूर करने के कारगर उपाय 

  • अगर आपकी कुंडली में भी मंगल दोष का निर्माण हो रहा है (या अगर आप जानना चाहते हैं कि कहीं आपकी कुंडली में मंगल दोष तो नहीं तो आप अभी विद्वान ज्योतिषों से परामर्श ले सकते हैं) तो आप मंगलवार के दिन व्रत प्रारंभ कर दें और हनुमान भगवान की नियमित रूप से पूजा करें। 
  • इसके अलावा मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करना भी बेहद ही शुभ रहता है।
  • मंगल दोष से पीड़ित व्यक्ति को मूंगा रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। 
  • इसके अलावा मुमकिन हो तो आप अपनी यथाशक्ति अनुसार गरीबों और जरूरतमंद लोगों को गुड़ का दान करके भी अपनी कुंडली में मौजूद मंगल दोष से छुटकारा पा सकते हैं।

कुंडली में है राजयोग? राजयोग रिपोर्ट से मिलेगा जवाब

मंगल का कुंभ राशि में होना

जब मंगल ग्रह का कुंभ राशि में गोचर होता है तो अक्सर देखा गया है कि ऐसे में जातकों के अंदर आशा, उत्साह और स्वतंत्रता का भाव ज्यादा देखने को मिलता है। मंगल ग्रह अग्नि तत्व का ग्रह है और कुंभ राशि की बात करें तो यह एक वायु तत्व की राशि मानी गई है। ऐसे में जब यह दोनों साथ होते हैं तो व्यक्ति में ऊर्जा बढ़ती है, रोमांच बढ़ता है और नई चीजों को करने की जिज्ञासा और जुनून भी बढ़ता है। ऐसे जातक अपने आप को आगे दिखने में तत्पर नजर आते हैं, इन्हें नई चीज़ें ढूंढना और खोजना अच्छा लगता है।

कुंभ राशि में मंगल का गोचर कार्यक्षेत्र के लिहाज से अनुकूल परिणाम प्रदान कर सकता है। इस दौरान जातक नई जगह पर संभावना की तलाश करने में आगे नजर आएंगे। मंगल और कुंभ मिलकर जातकों को जोखिम भरे कार्य करने की प्रवृत्ति भी प्रदान करता है। इसके अलावा इस दौरान जातक अच्छे वक्ता साबित होंगे, संचार का क्षेत्र हो या फिर मार्केटिंग से जुड़ा काम इसमें व्यक्ति को सफलता मिल सकती है। बात करें प्रेम और वैवाहिक संबंधों की तो इस दौरान लोगों में रोमांस की अधिकता भी नजर आ सकती है। आप प्यार करने और उसे इजहार करने में आगे रहेंगे।

अंत में अब आगे बढ़ते हैं जान लेते हैं मंगल का कुंभ राशि में गोचर सभी 12 राशियों के जातकों को किस तरह से प्रभावित करेगा। साथ ही जान लेते हैं इस दौरान किए जाने वाले कुछ सरल उपायों की भी जानकारी।

जीवन में किसी भी दुविधा का हल जानने के लिए विद्वान ज्योतिषियों से अभी पूछें प्रश्न

मंगल का कुंभ राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि 

मेष राशि के जातकों के लिए मंगल पहले भाव और आठवें भाव के स्वामी हैं जो आध्यात्मिक रुचि …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातकों के लिए, मंगल सातवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं और मंगल का कुंभ राशि में गोचर…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए मंगल आपके छठे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। मंगल का कुंभ राशि में गोचर आपके…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कर्क राशि 

कर्क राशि के जातकों के लिए मंगल पांचवें और दसवें भाव के स्वामी हैं और मंगल का कुंभ राशि में गोचर आपके…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

सिंह राशि 

सिंह राशि के जातकों के लिए मंगल चौथे और नौवें भाव के स्वामी हैं। मंगल का कुंभ राशि में गोचर आपके सातवें…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों के लिए,मंगल तीसरे और आठवें भाव के स्वामी हैं और मंगल का कुंभ राशि में गोचर …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

तुला राशि 

तुला राशि के जातकों के लिए मंगल दूसरे और सातवें भाव के स्वामी हैं और मंगल का कुंभ राशि में गोचर…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए मंगल पहले और छठे भाव के स्वामी हैं और मंगल का कुंभ राशि में गोचर…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए, मंगल बारहवें और पांचवें भाव के स्वामी हैं और मंगल का कुंभ राशि में गोचर…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के लिए मंगल चौथे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और मंगल का कुंभ राशि में गोचर…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कुंभ राशि 

कुंभ राशि के जातकों के लिए मंगल तीसरे और दसवें भाव के स्वामी हैं और मंगल का कुंभ राशि में गोचर…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए मंगल दूसरे और नौवें भाव के स्वामी हैं और मंगल का कुंभ राशि में गोचर …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.