भारतीय वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह को मुख्य तौर पर क्रूर ग्रह व बलशाली (सेना पति) माना जाता है। मंगल को लाल ग्रह भी कहा जाता है। इन्हें कुज नाम से भी जाना जाता है। बृहत् कुंडली की मदद से आप अब विस्तार से जान सकते हैं अपनी कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति और प्रभाव। इसमें आपको अपने सभी प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे और आपके जीवन पर मंगल अथवा अन्य ग्रहों के द्वारा पड़ने वाले प्रभाव को समझने में भी मदद मिलेगी।
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मंगल ग्रह का ज्योतिष में महत्व
मंगल ग्रह को संस्कृत में अंगारक भी कहा जाता है या भौमेय (‘भूमि का पुत्र’)। ये युद्ध के देवता हैं और ब्रह्मचारी हैं। पुराणों के अनुसार इन्हें भगवान शिव के पसीने से उत्पन्न मानते हैं। मंगल जातक को जुझारू बनाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में मंगल मेष एवं वृश्चिक राशि के स्वामी माने जाते है और मेष राशि में 12 अंश तक मूल त्रिकोण का होता है| मंगल ऊर्जा के प्रतीक हैं।
ये सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति के मित्र हैं तो बुध व केतु के साथ इनका शत्रुवत संबंध है। शुक्र और शनि के साथ इनका संबंध तटस्थ है। मंगल मकर राशि में उच्च के रहते हैं तो कर्क राशि में इन्हें नीच का माना जाता है। मंगल दोष से पीड़ित जातक को अपने वैवाहिक जीवन में कष्टों से लेकर दरिद्रता जैसे दु:ख उठाने पड़ते हैं करियर में भी अड़चनें आने लगती हैं। यदि आपको अपने करियर को लेकर कोई समस्या है तो उसका हल अपनी व्यक्तिगत एस्ट्रोसेज कॉग्निस्ट्रो रिपोर्ट से बहुत आसानी से पा सकते हैं।
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मंगल का स्वरूप, कारकत्व व गति
फलित ज्योतिष के महान ग्रंथों जैसे – बृहज्जातक, सारावली, फलदीपिका, बृहत् पाराशर होराशास्त्र, इत्यादि के अनुसार मंगल क्रूर दृष्टि वाला, युवक, पतली कमर वाला, अग्नि के सामान कान्ति वाला, रक्त वर्ण, पित्त प्रकृति का, साहसी, चंचल, लाल नेत्रों वाला, उदार, अस्थिर स्वभाव का है।
साथ ही मंगल ग्रह भाई, साहस, पराक्रम, आत्मविश्वास, खेलकूद, शारीरिक बल, रक्त मज्जा, लाल रंग के पदार्थ, ताम्बा, सोना, कृषि, मिट्टी, भूमि, मूँगा, शस्त्र, सेना, पुलिस, अग्नि, क्रोध, ईंट, हिंसा, मुक़द्दमे बाजी, शल्य चिकित्सा, बारूद, मदिरा, युद्ध, चोरी, विद्युत, शत्रु, तीखा और कड़वा रस, सुनार, आदि का कारक कहा गया है।
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गरुड़ पुराण के अनुसार भूमि पुत्र मंगल का रथ स्वर्ण के समान कंचन वर्ण का है। उसमें अरुण वर्ण के अग्नि से प्रादुर्भूत आठ अश्व जुते हुए हैं। मंगल मार्गी और वक्री दोनों गति से चलते हैं तथा बारह राशियों का भ्रमण लगभग अठारह महीने में कर लेते हैं। कर्क और सिंह लग्न के लिए मंगल योगकारक ग्रह बनते हैं। क्या आपकी कुंडली में मंगल बना रहें हैंं राजयोग, राज योग रिपोर्ट से जानिए।
मंगल ग्रह का गोचर
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देखा जाये तो मंगल ग्रह लगभग डेढ़ से दो महीने के अंतराल में (45 से 57 दिन) स्थान परिवर्तन करता है। मंगल का राशि परिवर्तन करना जातक की कुंडली में भावानुसार सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव डालता है। इस साल, 18 जून 2020 को मंगल 08:12 अपराह्न कुंभ से मीन में प्रवेश करेगा, जिसका असर हर राशि के जातक पर साफ दिखेगा।
मंगल ग्रह मनोगत विज्ञान के एक शिक्षक हैं। उनकी प्रकृति तमस गुण वाली है और वे ऊर्जा, आत्मविश्वास और अहंकार का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्हें लाल रंग या लौ के रंग में रंगा जाता है, चतुर्भुज, एक त्रिशूल, मुगदर, कमल और एक भाला लिए हुए चित्रित किया जाता है। उनका वाहन एक भेड़ा है। वे ‘मंगल-वार’ के स्वामी हैं।
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पौराणिक धर्म ग्रंथों व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देखा जाये तो मंगल एक शुष्क तथा आग्नेय ग्रह हैं तथा मानव के शरीर में मंगल अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा इसके अतिरिक्त मंगल मनुष्य के शरीर में रक्त का कारक माना जाता है। ज्योतिष की गणनाओं के लिए मंगल को पुरूष ग्रह माना जाता है। यह साहस और पराक्रम प्रदान करते हैं और जीवन ऊर्जा बढ़ाते हैं।
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मंगल के प्रबल प्रभाव वाले जातक शारीरिक रूप से बलवान तथा साहसी होते हैं। ऐसे जातक स्वभाव से जुझारू होते हैं तथा विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत से काम लेते हैं तथा सफलता प्राप्त करने के लिए बार-बार प्रयत्न करते रहते हैं और अपने रास्ते में आने वाली बाधाओं तथा मुश्किलों के कारण आसानी से विचलित नहीं होते। मंगल का कुंडली में विशेष प्रबल प्रभाव कुंडली धारक को तर्क के आधार पर बहस करने की विशेष क्षमता प्रदान करता है जिसके कारण जातक एक अच्छा वकील अथवा बहुत अच्छा वक्ता भी बन सकता है।
मंगल के प्रभाव में वक्ता बनने वाले लोगों के वक्तव्य आम तौर पर क्रांतिकारी ही होते हैं। ऐसे लोग अपने वक्तव्यों के माध्यम से ही जन-समुदाय तथा समाज को एक नई दिशा देने में सक्षम होते हैं। युद्ध-काल के समय अपनी वीरता के बल पर समस्त जगत को प्रभावित करने वाले जातक मुख्य तौर पर मंगल के प्रबल प्रभाव में ही पाए जाते हैं।
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