मंगल गोचर: भूमि पुत्र का यह गोचर कराएगा संपत्ति सुख में इजाफ़ा? गोचरफल से जानें जवाब

वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह को ऊर्जा, भूमि, शक्ति, भाई, साहस, पराक्रम, इत्यादि का कारक माना गया है। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि जिन जातकों की कुंडली में मंगल शुभ स्थिति में हो या मजबूत अवस्था में हो ऐसे जातक निडर और साहसी स्वभाव के होते हैं। वहीं इसके विपरीत अगर कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में बैठा हो या फिर पीड़ित अवस्था में हो तो ऐसे जातकों को जीवन के तमाम क्षेत्रों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

इस विशेष ब्लॉग में हम बात करेंगे जल्द होने वाले मंगल ग्रह के गोचर की। साथ ही जानेंगे ज्योतिष में मंगल का महत्व और इसके नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के कुछ सरल ज्योतिषीय उपायों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी।

ज्योतिष में मंगल ग्रह

ज्योतिष में मंगल ग्रह को बेहद ही महत्वपूर्ण ग्रह का दर्जा दिया गया है। यदि किसी जातक की जन्मकुंडली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम, और द्वादश भाव में मंगल बैठा हो तो ऐसी स्थिति में मंगल से निर्मित होने वाला मंगल दोष व्यक्ति की कुंडली में बनने लगता है। यह मंगल दोष विवाह में देरी, विवाह में रुकावटें और परेशानियों आदि का कारण भी बनता है। ऐसे में इस दोष से जल्द से जल्द छुटकारा पाने के उपाय बताए गए हैं जिन्हें करने से व्यक्ति को राहत मिल सकती है।

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मंगल से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल ग्रह बली अवस्था में हो तो ऐसे व्यक्ति निडर होकर अपना कोई भी निर्णय लेते हैं, वे जीवन में ऊर्जावान रहते हैं, उनकी उत्पादक क्षमता में वृद्धि होती है। वहीं इसके विपरीत यदि कुंडली में मंगल पीड़ित अवस्था में हो तो ऐसे जातकों के जीवन में तमाम समस्याएं खड़ी होने लगती है, दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है, और ऐसे जातक अपने शत्रुओं से घिरे रहते हैं और उनसे परेशान रहते हैं।

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मंगल के उपाय

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि कुंडली में मौजूद कुछ बड़े दोषों में से एक होता है। मंगल दोष कुंडली में मंगल ग्रह की वजह से उत्पन्न होता है ऐसे में जिन भी जातकों की कुंडली में यह दोष होता है उन्हें मंगलवार का व्रत करने और हनुमान जी की पूजा करने की विशेष सलाह दी जाती है। इसके अलावा हम कुछ उपाय कर सकते हैं जैसे कि,

  • मंगलवार के दिन किसी से भी पैसा उधार ना लें। 
  • नियमित रूप से भगवान हनुमान की पूजा करें। 
  • भगवान कार्तिकेय की पूजा करें। 
  • सुंदरकांड का पाठ करें। 
  • मुमकिन हो तो मंगलवार के दिन व्रत करें। 
  • इसके अलावा मंगलवार के दिन मंगल ग्रह से संबंधित चीजें जैसे लाल मसूर, गेहूं इत्यादि का दान करके भी मंगल दोष से छुटकारा पा सकते हैं। 
  • इसके अलावा मूंगा रत्न को मंगल ग्रह से संबंधित माना जाता है। ऐसे में जिन जातकों के जीवन में मंगल परेशानी की वजह बना होता है उन्हें मूंगा रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। हालांकि कोई भी रत्न विद्वान ज्योतिषियों से परामर्श के बाद ही धारण करें तो इससे व्यक्ति को शुभ परिणाम मिलते हैं।

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मंगल गोचर का राशि अनुसार प्रभाव और उपाय

मेष राशि 

मेष राशि के जातकों के लिए मंगल लग्नेश है और यह मेष राशि के आठवें भाव यानी कि रहस्य विज्ञान और अनिश्चितता के भाव का भी स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातकों के लिए मंगल उनके सातवें भाव और बारहवें भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए मंगल उनके छठे भाव यानी कि सेवा और प्रतिस्पर्धा के भाव और ग्यारहवें भाव यानी कि आय और लाभ के भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कर्क राशि 

कर्क राशि के जातकों के लिए मंगल उनके दो महत्वपूर्ण भावों अर्थात पांचवें भाव यानी कि शिक्षा, संतान के भाव और दसवें भाव यानी कि करियर के भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

 सिंह राशि 

सिंह राशि के जातकों के लिए मंगल उनके चौथे भाव यानी कि सुख, आराम और नौवें भाव यानी कि धर्म के भाव का स्वामी है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार मंगल सिंह राशि के जातकों के लिए ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों के लिए मंगल उनके तीसरे भाव यानी कि बल, भाई-बहन के भाव और आठवें भाव यानी कि विरासत और अनिश्चितता के भाव के स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

तुला राशि 

तुला राशि के जातकों के लिए मंगल उनके दूसरे भाव यानी कि धन और परिवार के भाव तथा सातवें भाव यानी कि वैवाहिक सुख और संगठन के भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए मंगल उनके लग्न भाव तथा छठे भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए मंगल उनके पांचवें भाव यानी कि शिक्षा और संतान के भाव और बारहवें भाव यानी कि भूमि, यात्रा और व्यय के भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के लिए मंगल उनके चौथे भाव यानी कि आराम और माता के भाव तथा ग्यारहवें भाव यानी कि आय और लाभ के भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कुम्भ राशि 

कुंभ राशि के जातकों के लिए मंगल उनके तीसरे भाव यानी कि संचार, लघु यात्रा और मित्र के भाव तथा दसवें भाव यानी कि कर्म भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मीन राशि 

मीन राशि के जातकों के लिए मंगल उनके दूसरे भाव यानी कि धन और परिवार के भाव तथा नौवें भाव यानी कि पिता और भाग्य के भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

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