मांगलिक दोष: विवाह में देरी या बाधा को इन उपायों से करें दूर

आज हम जानेंगे कि, मांगलिक दोष क्या होता है और व्यक्ति के जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है और इसे दूर करने के लिए क्या कुछ उपाय किये जा सकते हैं। मांगलिक दोष कुंडली में बनने वाला एक बेहद ही जटिल दोष होता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में यह दोष होता है तो ऐसे व्यक्तियों के माता-पिता और घर के लोग भी इस दोष से भयभीत हो जाते हैं।

अपने इस विशेष ब्लॉग में आचार्य अविनाश पांडे जी इस बात पर प्रकाश डाल रहे हैं कि, मांगलिक दोष क्या होता है? यह दोष कितना क्रूर होता है? साथ ही किन उपायों से इस दोष को अपनी कुंडली और जीवन से दूर किया जा सकता है?

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मंगल दोष क्या है?

ज्योतिष मे मंगल ग्रह की संज्ञा क्रूर ग्रह से की गई है। अतः जहां यह बैठते हैं या देखते हैं उस भाव को प्रायः नष्ट ही करते हैं।

मंगल ग्रह का दुष्प्रभाव व्यक्ति के विवाह मे देरी की वजह बन सकता है। यदि मांगलिक दोष वाले व्यक्ति का विवाह हो भी जाता है तो कुछ समय बाद ही मानसिक तनाव, गृह कलह, घर मे झगड़ा होना, संतान नहीं होना, यहां तक कि कोर्ट-कचहरी तक बात पहुंच कर रिश्ते में दरार और डाइवोर्स तक बात पहुंच जाती है। 

मंगल ग्रह मेष एवम वृश्चिक राशी का स्वामी है। इसकी उच्च राशि मकर है और कर्क नीच राशि है। इसके अलावा मंगल की धनु राशि, सिंह राशि, मीन राशि, जहाँ मित्र राशि होती है वहीं वृष राशि, तुला राशि,  कुंभ राशि इसकी शत्रु राशि मानी गयी है।

इन स्थितियों में मंगल ग्रह देता है अशुभ परिणाम  

  • जब मंगल जातक की कुण्डली मे लग्न यानी प्रथम भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव एवम द्वादश भाव में हो तो इसे मंगल दोष की संज्ञा दी जाती है। अर्थात यहां मंगल ग्रह होने से जातक मंगली कहलाता है जिसका प्रभाव बहुत ही अशुभ प्रभाव माना जाता है।

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मंगल किन परिस्थितियों मे मंगली दोष की वजह नहीं बनता है

अब जानते हैं कि मंगल किन परिस्थितियों मे मंगली दोष की वजह नहीं बनता है। 

  • यदि मंगल ग्रह मेष राशि या वृश्चिक राशि में हों तो मंगल दोष का निर्माण नहीं होता है। अतः यह जातक मांगलिक दोष से मुक्त होते हैं। 
  • यदि मंगल अपनी उच्च राशि मकर राशि मे स्थिति हो तो भी मंगल दोष नहीं बनता है।
  • इसी प्रकार मंगल यदि मित्र राशि सिंह, धनु राशि, मीन राशि एवम कर्क राशि में हो तो भी मंगल दोष का निर्माण नहीं होता है।
  • अब यदि मंगल ग्रह गुरु के साथ स्थित हो या गुरु ग्रह की दृष्टि हो तो भी मंगल दोष प्रभावी नही रहता है।
  • यदि मंगल ग्रह राहु ग्रह के साथ या प्रबल शनि देव के साथ या स्वग्रही शुक्र या उच्च राशि शुक्र के साथ हो तो भी मंगल दोष नहीं लगता है।
  • यदि मंगल सूर्य के साथ स्थिति या अस्त गत हो तो भी मंगल का दोष स्वतः नष्ट करता है।

इस प्रकार कुण्डली में मंगल की स्थिति की अच्छी तरह से जानकारी प्राप्त कर लें। यदि इसी प्रकार के ग्रह वर एवम कन्या दोनो की कुण्डली में तो ही विवाह करना उचित है अन्यथा कोशिश करें की ऐसा विवाह न हो।

मंगल की प्रतिकूल स्थिति का प्रभाव  

मंगल की स्थित से प्रायः आपस मे विवाद, झगड़ा, तनाव, या किसी की मृत्यु तक संभव है या फिर कोर्ट-कचहरी मे रिश्ते में अलगाव या डाइवोर्स तक होने की आशंका बनती है।

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मंगल दोष निवारण के उपाय 

अब जानते हैं कि मंगल ग्रह दोष हो तो इसकी शांति कैसे करें जिससे मंगल ग्रह का बुरा प्रभाव आपके जीवन से कम या दूर किया जा सकता है। 

  • सबसे पहले मंगल ग्रह की मंत्र जप से शांति करें। इसके लिए एक लाल कपड़े पर मंगल यंत्र बनाकर स्थापित करें। फिर लाल फूल, चावल, वस्त्र, रोली, धूपबत्ती से पूजा करें। सामने एक घी का दीपक जलाकर रखें। साफ़ लाल वस्त्र धारण कर लें। मस्तक पर तिलक केसर लगा लें। फिर मंगल देव से अपनी अनिष्ट फल शांति हेतु संकल्प कर लें।

 इसके बाद रुद्राक्ष माला या कमल गट्टा माला 108 मनके वाली ले लें। उसकी कुल मिलाकर 110 माला जप करें। जितनी माला संख्या रोज करें उसको गिनते हुए 110 माला जप करें। अंतिम दिन पर हवन करें, दशांश खैर लकड़ी या कत्था मिलाकर हवन करें। हवन के बाद विद्यार्थियों को दक्षिणा सहित भोजन कराएं।

  • यदि जातक कन्या है तो मंगला गौरी व्रत पूजन करें तो भी मंगल दोष शांति हो जाती है।
  • इसी प्रकार कन्या के लिए मंगल चंडिका स्तोत्र का विधान भी बताया गया है जो कि 108 दिनों तक 21 बार रोज स्तोत्र का पाठ करे।
  • अधिक मांगलिक दोष होने पर एक घट विवाह का विधान भी बताया गया है जिसमें कन्या को पीले वस्त्र धारण कर संकल्प कर माता पिता द्वारा शालिग्राम भगवान का पूजन करना होता है। फिर कन्या संकल्प कर शालिग्राम जी को अर्पण कर दें फिर उस घड़े को एकांत स्थान में तोड़ दे।
  • यदि लड़के की कुण्डली मे मंगल दोष है तो लड़के का विवाह आक के पेड़ से करा दें। भगवान सूर्य की पुत्री अर्की है। इनके साथ आक के पेड़ के रूप मे विवाह करने से मांगलिक दोष नष्ट हो जाता है।

ध्यान रहे ये उपाय एकांत स्थान में बिना किसी के जानकारी में करना चाहिए।

  • इसके बाद मांगलिक जातक को 7.5 रत्ती का पुखराज रत्न गुरुवार के दिन धारण करना चाहिए। पुखराज रत्न धारण करने का विधान जानने के लिए आप हमारा यह लेख पढ़ सकते हैं।

इस प्रकार सभी लोग अपनी कुण्डली मे मांगलिक दोष को देख सकते हैं एवम इसका निवारण भी ज्योतिष अनुसार शास्त्र विधान से कर सकते हैं। यह पूर्णतया प्रमाणिक तरीके हैं जिससे मंगल दोष शांति हो जाता है।

मांगलिक दोष के जातक को वर एवम कन्या दोनो को कुण्डली मे नाडी दोष का परिहार होना आवश्यक है। जातकों को कुण्डली मे मांगलिक दोष में परस्पर स्वामी मैत्री या ग्रह मैत्री 5/5होना बहुत ही आवश्यक है। 

अतः इस लेख में आचार्य अविनाश पांडे जी ने अपने 30 वर्षों के अनुभव के आधार यह लेख संकलित किया है। जिसमे आपको बहुत ही अच्छी सारगर्भित प्रमाणिक जानकारी देने का प्रयास किया है। इस लेख द्वारा समस्त पाठको को स्वयं से कुण्डली मे मांगलिक दोष की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं एवम वर एवम कन्या दोनो को ही मंगल दोष से मुक्ति कर सकते हैं। जिससे उनकी शादीशुदा लाइफ मे कोई दिक्कत नहीं होगी। एवम आप सभी प्रकार से उन्नति की ओर अग्रसर रहेंगे। क्योंकि उच्च राशि मकर राशि का मंगल रुचक नाम का विशेष उन्नति कारक वाहन, आवास, स्थाई संपत्ति, का उत्तम फल प्राप्त कराता है। 

इस संबंध मे कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप एस्ट्रोसेज वार्ता पर आचार्य अविनाश पांडेय जी से जुड़ सकते हैं। 

आशा है कि यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण होगी। पाठक गण इसी प्रकार अपना सहयोग एवम प्यार देते रहें। किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा करें।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

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