मंगल कन्या राशि में अस्त: जानें अपनी राशि का हाल व दुष्प्रभाव से बचने के उपाय!

प्रत्येक ग्रह राशि के साथ-साथ अपनी चाल और स्थिति में भी परिवर्तन करते हैं जैसे- वक्री, मार्गी, उदय व अस्त अवस्था में आते हैं। इसी क्रम में सितंबर के महीने में मंगल अस्त होने जा रहे हैं। दरअसल जब कोई ग्रह सूर्य के इतना निकट चला जाए कि वो सूर्य के तेज से प्रभावहीन हो जाए तो ऐसे ग्रह को अस्त ग्रह कहा जाता है। माना जाता है कि जब कोई ग्रह अस्त होते हैं तो वह शुभ फल नहीं देते हैं और ऐसे ग्रह कुपित ग्रह कहलाते हैं। सूर्य से 17 अंश या इससे अधिक समीप आने पर मंगल ग्रह अस्त हो जाते हैं। मंगल के अस्त होने पर व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ सकता है। तो आइए अब आगे बढ़ते हैं और इस ब्लॉग के माध्यम से जानते हैं कि मंगल कन्या राशि में अस्त होने से राशि चक्र की सभी 12 राशियों के जातकों के जीवन पर कैसा प्रभाव पड़ेगा और किन उपायों को अपनाकर उन प्रभावों से बचा जा सकता है लेकिन इससे पहले जान लेते हैं इस मंगल के अस्त होने की समय व तिथि।

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मंगल कन्या राशि में अस्त: तिथि और समय

साहस, वीरता और शौर्य के कारक ग्रह मंगल 24 सितंबर 2023 की शाम 06 बजकर 26 मिनट पर कन्या राशि में अस्त होने जा रहे हैं। अब आगे जानते हैं ज्योतिष में मंगल ग्रह का महत्व।

मंगल का ज्योतिष में महत्व

वैदिक ज्योतिष में मंगल को योद्धा का दर्जा प्राप्त है जो कि स्वभाव से एक गतिशील ग्रह है। यह सौरमंडल का सबसे लाल ग्रह माना जाता है। इसकी दूरी पृथ्वी से काफ़ी है फिर भी इसका असर हमारे जीवन में पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। मंगल ग्रह का वैदिक ज्योतिष में भी काफ़ी अधिक महत्व है। इन्हें आवेश व ऊर्जा का कारक माना जाता है। मंगल मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी हैं। यह मकर राशि में उच्च के होते हैं, जबकि कर्क इनकी नीच राशि मानी जाती है। वहीं नक्षत्रों की बात करें तो मंगल मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्र के स्वामी हैं। 

यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत हो तो वे स्वभाव से निडर और साहसी होते हैं तथा युद्ध में वह विजय प्राप्त करते हैं वहीं यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में बैठे हों तो जातक को विभिन्न क्षेत्रों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, मंगल ग्रह लाल रंग का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में बैठे हों तो यह स्थिति कुंडली में मांगलिक दोष का निर्माण करती है और मांगलिक दोष के कारण जातक को दांपत्य जीवन में कई तरह के उतार-चढ़ाव देखने पड़ते हैं। आइए अब आगे जानते हैं कन्या राशि में मंगल का क्या प्रभाव पड़ता है। 

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कन्या राशि में मंगल का प्रभाव

कन्या राशि में मंगल के प्रभाव से व्यक्ति आत्मविश्वासी, उदार, उत्साहजनक होते हैं और ऐसे जातक काफ़ी रचनात्मक और कलात्मक गुण वाले होते हैं। ख़ास बात यह है कि ये लोग अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और बड़ी चालाकी से एक ही समय में कई काम को संभालने का हुनर रखते हैं। ये लोग गलतियां ढूंढने में माहिर होते हैं लेकिन खुद को दूसरों पर नहीं थोपते। ये जल्दबाजी के कार्यों से बचते हैं और बहुत ही सोच-विचार कर आगे बढ़ते हैं। इनका एक गुण यह भी है कि ये जातक सावधानीपूर्वक अपने कामों को करने की योजना बनाते हैं। ये लोग डॉक्टर, नर्सिंग, सर्जरी के क्षेत्र में जा सकते हैं। इसके अलावा भाषण, वक्ता, उपदेशक, लेखन और संचार माध्यम से अच्छा लाभ अर्जित करते हैं। कार्यक्षेत्र में ये लोग अपने काम को काफ़ी सीक्रेट रखना पसंद करते हैं क्योंकि ये नहीं चाहते कि दूसरे इनके काम में पड़ें। ये जातक हर काम को परफेक्ट तरीके से करना चाहते हैं।

इन जातकों के प्रेम जीवन की बात करें तो ये लंबे समय तक किसी से नाराज़ नहीं रह सकते हैं और अपने रिलेशनशिप में काफ़ी ज्यादा ईमानदार होते हैं। रिश्तों को लेकर भी ये काफ़ी सजग होते हैं। इनका वैवाहिक जीवन मजबूत रहता है। अपने पार्टनर के प्रति समर्पण का भाव रखते हैं। प्रेम में भले ही ज्यादा उत्साहित न दिखें लेकिन मन में कल्पनाओं और सपनों का संसार बसा होता है। ये जिनके साथ भी जुड़ते हैं, उनके साथ एक गहरा रिश्ता बनाते हैं। रिश्ते में आने के लिए सोच-विचार करते हैं, पहले परखते हैं फिर किसी रिश्ते में आने के लिए हामी भरते हैं क्योंकि ये रिश्ते की अहमियत को जानते हैं। भरोसा और सुरक्षा ये दोनों ही बातें इनको रिश्ते में स्वीकार्य होती है। इन्हें दिखावे के संबंधों से दूरी बनाए रखना पसंद होता है।

कुंडली में मंगल की स्थिति कमज़ोर होने पर मिलते हैं ये संकेत

कुछ ऐसे संकेत होते हैं जो पीड़ित मंगल की स्थिति को दर्शाते हैं। आइए जानें उन संकेतों के बारे में:

  • कुंडली में कमज़ोर मंगल की वजह से कई बार आपको बेवजह किसी भी बात पर गुस्सा आ सकता है और धीरे-धीरे आपका स्वभाव चिढ़चिढ़ा होने लगता है।
  • पीड़ित मंगल की वजह से जातक नई शुरुआत करने से बचता है। नई चीजों को आजमाने से भी डरता है क्योंकि आपको लगने लगता है कि शायद इसमें आप असफल हो जाएं।
  • यदि आपकी कुंडली में मंगल कमज़ोर हैं, तो आप ज्यादातर समय थका हुआ महसूस कर सकते हैं। साथ ही, आपका आत्मविश्वास कमज़ोर हो सकता है।
  • पीड़ित मंगल की वजह से व्यक्ति को किसी दुर्घटना का सामना करना पड़ सकता है।
  • इसके अलावा, जातक के पारिवारिक जीवन में भी कई चुनौतियां आती है। जातक को शत्रुओं से पराजय, ज़मीन संबंधी विवाद, क़र्ज़ आदि समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है।
  • स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से देखें तो यदि कुंडली में मंगल पीड़ित हो तो व्यक्ति को रक्त संबंधी रोग, कुष्ठ, खुजली, रक्तचाप, अल्सर, ट्यूमर, कैंसर, फोड़े-फुंसी, ज्वार आदि रोक होने की संभावना रहती है।
  • जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल कमज़ोर होता है वह अक्सर लोगों के प्रति जलन रखता है।
  • विवाह में देरी व रुकावट कुंडली में अशुभ मंगल के सबसे हानिकारक प्रभावों में से एक है। मंगल ही जातक कुंडली में मंगल दोष का कारण बनता है।

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कुंडली में बली मंगल के प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में मंगल की मजबूत स्थिति के फलस्वरूप व्यक्ति के जीवन में विवाह के योग बनते हैं।

  • किसी भी व्यक्ति की कुंडली में मंगल के मजबूत होने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  • कुंडली में बली मंगल के कारण जातक डॉक्टर्स, पुलिस, सेना, प्रॉपर्टी डीलिंग, इलेक्ट्रॉनिक संबंधित क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
  • मंगल की प्रबलता से व्यक्ति निडरता से अपने निर्णय लेता है और ये फैसले उनके लिए अच्छे साबित होते हैं।
  • इसके अलावा कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी जातक चुनौतियों को स्वीकार करता है और उन्हें मात भी देता है।
  • बली मंगल के कारण जातक के भाई-बहन अपने-अपने कार्यक्षेत्रों में अपार सफलता प्राप्त करते हैं।
  • मंगल ग्रह के प्रबल होने से व्यक्ति में अधिक साहस होता है और वह हर साहसिक फैसले लेने में सक्षम होता है।
  • मंगल मजबूत होता है और करियर के क्षेत्र में शुभ फल देता है। व्यक्ति नौकरी व व्यापार दोनों में ही खूब सफलता प्राप्त करता है।

अशुभ मंगल को शुभ बनाने के लिए करें ये ज्योतिषीय उपाय 

आइए जानते हैं कि मंगल ग्रह को किन ज्योतिषीय उपायों से मजबूत किया जा सकता है।

हनुमान जी की पूजा करें

मंगल ग्रह को मजबूत करने का सबसे आसान उपाय है यह कि संकट मोचन हनुमान जी की पूजा करें। साथ ही, मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ कम से कम दो बार करें।

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मंगलवार का व्रत रखें

जिन लोगों का मंगल कमज़ोर होता है उनको कम से कम 12 या 21 मंगलवार का व्रत रखना चाहिए और हनुमान मंदिर में जाकर देसी घी दीपक जलाना चाहिए।

इस मंत्र का करें जाप

यदि आप अपनी कुंडली में मंगल ग्रह को मजबूत करना चाहते हैं, तो सुबह स्नान के बाद लाल रंग के कपड़े पहन लें और हनुमान जी की प्रतिमा के सामने ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: मंत्र का जाप 108 बार करें।

दान-पुण्य करें

मंगल को मजबूत करने के लिए गेहूं, मसूर दाल, कनेर का फूल, गुड, लाल कपड़ा, तांबा, सोना, लाल चंदन आदि का दान करें। ऐसा करने से मंगल दोष से भी छुटकारा पाया जा सकता है।

लाल रंग के पौधे लगाएं

इसके अलावा यदि आप मंगल ग्रह को मजबूत करना चाहते हैं तो मिट्टी के गमले में लाल फूल वाले पौधे लगाएं। ऐसा करने से आपको आर्थिक लाभ भी होगा।

मंगल कन्या राशि में अस्त: जानें सभी राशियों पर इसके सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव!

मेष राशि

कन्या राशि में मंगल बुध ग्रह के विपरीत स्थित होंगे। छठे भाव में मंगल की स्थिति और इसी भाव में मंगल के अस्त होने से मेष राशि के जातकों को स्वास्थ्य और…(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों के लिए मंगल आपके दूसरे और सातवें भाव के स्वामी हैं और अब अस्त अवस्था में आपके पांचवें भाव में विराजमान होंगे। इसके परिणामस्वरूप…(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

चौथे भाव में अस्त अवस्था में मौजूद होंगे। ऐसे में, आपको परिवार में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और इसके परिणामस्वरूप…(विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

अगर आप किसी यात्रा पर जा रहे हैं, तो आशंका है कि सफर में आपको कुछ चुनौतियों से दो-चार होना पड़ें। इसके अलावा, आपको…(विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि

सिंह राशि वालों के लिए मंगल आपके चौथे और नौवें भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके दूसरे भाव में अस्त अवस्था में बैठे होंगे। इसके परिणामस्वरूप…(विस्तार से पढ़ें)

कन्या राशि

कन्या राशि वालों के लिए मंगल आपके तीसरे और आठवें भाव के स्वामी हैं और इसके परिणामस्वरूप मंगल का प्रभाव आप पर दिखाई दे सकता है। अब यह अस्त अवस्था में…(विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि

तुला राशि वालों के लिए मंगल आपके दूसरे और सातवें भाव के स्वामी हैं जो अब अस्त अवस्था में आपके बारहवें भाव में मौजूद होंगे। ऐसे में, इन जातकों को…(विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक राशि

ज्योतिष के अनुसार, मंगल वृश्चिक राशि वालों के लिए पहले और छठे भाव के स्वामी हैं जो अब आपके ग्यारहवें भाव में अस्त अवस्था में स्थित होंगे। इसके फलस्वरूप…(विस्तार से पढ़ें)

धनु राशि

धनु राशि के जातकों के लिए मंगल आपके पांचवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं और इस दौरान वह आपके दसवें भाव में अस्त अवस्था में बैठे होंगे। इसके परिणामस्वरूप…(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए मंगल आपके चौथे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और अब मंगल कन्या राशि में अस्त आपके नौवें में होंगे। इसके फलस्वरूप…(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों के लिए मंगल आपके तीसरे और दसवें भाव के स्वामी हैं जो अब अस्त अवस्था में आपके आठवें भाव में बैठे होंगे। ऐसे में, कुंभ राशि के लोगों को…(विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

मीन राशि वालों के लिए मंगल आपके दूसरे और नौवें भाव के स्वामी हैं जो कि अब आपके सातवें भाव में अस्त अवस्था में विराजमान होंगे। इसके परिणामस्वरूप… (विस्तार से पढ़ें)

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