सुखी जीवन का राज़ – मालव्य पंच महापुरुष योग

मालव्य पंच महापुरुष योग कुंडली में बनने वाले महान शुभ एवं राज योगों में से एक योग है। यह आपके जीवन में सफलता और समृद्धि को बढ़ने वाला प्रबल राजयोग है। एस्ट्रोसेज राजयोग रिपोर्ट आपकी यह जानने में सहायता करती है कि आपकी कुंडली में क्या यह योग विद्यमान है और उस योग का आपके व्यक्तिगत जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। 

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मालव्य योग को वैदिक ज्योतिष में काफी महत्व दिया गया है और जिन पंच महापुरुष योगों को ज्योतिष शास्त्र के विभिन्न ग्रंथों में महिमामंडित किया गया है, उन्हीं में से एक महान योग मालव्य पंच महापुरुष योग है। हमारी कुंडली हमारे जीवन के भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में बताती है। इसी तरह यह समझने के लिए कि हमारी कुंडली में क्या ख़ास बातें हैं जिन्हें जानना हमारे लिए बहुत जरुरी है, बृहत् कुंडली एक सरल तरीका है। 

इस योग का निर्माता शुक्र ग्रह होता है। इसके अलावा, अन्य पंच महापुरुष योगों में हंस योग, रूचक योग, भद्र योग एवं शश योग आते हैं। ज्योतिष शास्त्र में अनेक ऐसे योगों के बारे में बताया गया है जो व्यक्ति के आंतरिक और बाह्य व्यक्तित्व के विकास हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हीं में से मुख्य पंच महापुरुष योगों के अंतर्गत मालव्य योग का निर्माण भी होता है। 

वास्तव में किसी भी व्यक्ति का जीवन सबकुछ आसान नहीं होता बल्कि उसकी कुंडली में उपस्थित ग्रहों द्वारा निर्मित योग ही उसके जीवन का आधार बनते हैं और कुंडली में उपस्थित ग्रहों की दशा, उनका आपसी संबंध और कुंडली के विभिन्न भावों पर आधिपत्य रखना तथा विभिन्न योग, करण और नक्षत्र के शुभ एवं अशुभ प्रभाव के कारण जीवन में व्यक्ति को मिलने वाले सुख और दुख का विवेचन और उसका निर्धारण होता है। इसी से यह भी पता चलता है कि व्यक्ति जीवन में किस प्रकार के सुख अथवा दुख भोग सकता है और कब उसकी जिंदगी में शुभ समय आएगा। जहां एक तरफ कुंडली में मजबूत शुभ योग व्यक्ति को उत्तरोत्तर वृद्धि कराते हैं और उसके जीवन में भौतिक सुखों की वृद्धि करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ बनने वाले अशुभ योग उसके जीवन में कमियों को बढ़ाते चले जाते हैं और व्यक्ति परेशान होकर इधर-उधर भटकता रहता है लेकिन, आज हम जिस योग की बात करने जा रहे हैं, वह एक महान शुभ योग है जो नैसर्गिक रूप से शुभ ग्रह कहे जाने वाले शुक्र के कारण निर्मित होता है। तो आइए जानते हैं इस योग के निर्माण होने के बारे में और यह भी जानेंगे कि कौन सा ग्रह इसके निर्माण के लिए जिम्मेदार है।

शुक्र ग्रह और सुख

जब भी हम राज योगों की बात करते हैं तो उसका तात्पर्य होता है जीवन में सुख और समृद्धि का समय। कोई भी राजयोग व्यक्ति के जीवन में सफलता देता है और उसके जीवन में सुख समृद्धि बढ़ाता है। कोग्निऐस्ट्रो रिपोर्ट से करियर में सफलता पाना और भी आसान हो जाता है क्योंकि करियर के सही चुनाव से वास्तविक रूप में इससे व्यक्ति का जीवन सुखमय तरीके से व्यतीत होता है। हम यहाँ पंच महापुरुष योग की बात करेंगे जिसका निर्माण शुक्र ग्रह द्वारा होता है लेकिन इस योग को जानने से पहले यह जानते हैं कि आखिर शुक्र ग्रह किस प्रकृति का है और शुक्र ग्रह का विशेष परिणाम और प्रभाव क्या है।

वैदिक ज्योतिष में जन्म कुंडली में नैसर्गिक रूप से शुभ ग्रहों में बृहस्पति के बाद जिस ग्रह का नाम आता है, वह शुक्र है। इसे भोर का तारा या संध्या का तारा भी कहा जाता है क्योंकि यह अन्य ग्रहों के मुकाबले काफी चमकीला दिखाई देता है और आकाश में सुबह और शाम के समय चमकीले सितारे के रूप में देखा जा सकता है। शुक्र ग्रह को ज्योतिष में स्त्री प्रधान ग्रह कहा जाता है, इसलिए यह व्यक्ति में स्त्रियोचित् सद्गुणों की वृद्धि करता है। सभी प्रकार के सौंदर्य और खूबसूरती का कारक कहा जाने वाला शुक्र ग्रह जीवन में सुख का मुख्य कारक है। हमारे जीवन में जितने भी भौतिक सुख हैं, वह सभी शुक्र के प्रभाव से हमें प्राप्त होते हैं। शुक्र से प्रभावित जातक सौंदर्य प्रसाधन, हॉस्पिटैलिटी, महिलाओं से संबंधित कार्य, खूबसूरती और बनावटी कार्यों जैसे सजावट के कार्य, इंटीरियर डिजाइनिंग जैसे कार्यों से सफलता अर्जित करते हैं। शुक्र ग्रह वृषभ तथा तुला राशि का स्वामी होता है और मीन इस की उच्च राशि तथा कन्या की नीच राशि मानी जाती है। इस ग्रह के मुख्य नक्षत्र भरणी, पूर्वाफाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा हैं। 

वैदिक ज्योतिष में आध्यात्मिक भाव को देखा जाए तो शुक्र ग्रह को देवताओं के गुरु शुक्राचार्य की संज्ञा भी दी गई है। जिस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है, उसे जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। शुक्र को एक सफल वैवाहिक जीवन में सफलता की गारंटी के रूप में देखा जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र मजबूत स्थिति में है, ऐसे व्यक्ति को दांपत्य सुख का आनंद मिलता है और उसे सभी प्रकार के भौतिक सुख प्राप्त होते हैं। इसके विपरीत, शुक्र की विपरीत या अशुभ स्थिति होने पर व्यक्ति के जीवन में सुखों की कमी आती है। दांपत्य जीवन में तनावपूर्ण स्थितियां बनती हैं और व्यक्ति यौन जनित रोगों का शिकार भी हो सकता है। इस प्रकार शुक्र ग्रह काफी महत्वपूर्ण ग्रह है जो वर्तमान समय में सभी सुखों के कारक के रूप में जाना जाता है। आज इस शुक्र ग्रह से संबंधित मालव्य पंच महापुरुष योग की हम बात करने जा रहे हैं ,जो शुक्र ग्रह के शुभ प्रभाव को और भी कई गुना बढ़ाने वाला महान योग है। हम इस महान राजयोग की बात करें, उससे पूर्व पंच महापुरुष योग के बारे में जान लेते हैं।

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ग्रहों से बनने वाले राजयोग

वैदिक ज्योतिष में पंच महापुरुष योग को काफी महत्व दिया गया है। उनके मूल अर्थ पर जाएं तो पंच मतलब पाँच और महा का तात्पर्य महान से होता है। पुरुष अर्थात् सक्षम व्यक्ति या ऐसा व्यक्ति जो जीवन में आदर्श स्थापित करे। इस प्रकार पांच प्रकार से पंच महापुरुष योग बनते हैं क्योंकि वह पांच महान ग्रहों मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र अथवा शनि के द्वारा निर्मित होते हैं, इसलिए जिस व्यक्ति की कुंडली में भी पंच महापुरुष योग विद्यमान हो जाता है, उसके जीवन में संघर्षों में कमी आती है।

राज योग क्या होते हैं, इसे जानने के लिए वैदिक ज्योतिष के एक महान ग्रंथ बृहज्जातकम् के आश्रयफलाध्याय का यह द्वितीय श्लोक कुंडली में बनने वाले राजयोग के बारे में भली प्रकार समझाने में सहयोग करता है:

जनयति नृपमेकोऽप्युच्चगो मित्रदृष्टः प्रचुरगुणसमेतं मित्रयोगाच्च सिद्धम्।

विवसुविसुखमूढव्याधितो बन्धुतप्तो वधदुरितसमेतः शत्रुनिम्नर्क्षगेषु।।२।।

इस योग के अनुसार किसी भी जन्म कुंडली में यदि एक ग्रह अपने परम उच्च बिंदु अर्थात् अपनी परम उच्च अवस्था में स्थित हो और कुंडली में अपने मित्र ग्रहों से दृष्ट हो अर्थात् उसके मित्र ग्रह उस ग्रह को देखते हों तो वह राजा जैसी स्थिति प्राप्त करता है। इसका मतलब यह है कि ऐसे योग वाला व्यक्ति जीवन में सभी प्रकार के सुख प्राप्त करता है और राजा जैसा जीवन व्यतीत करता है। ऐसे व्यक्ति को समृद्धि प्राप्त होती है और उसे धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती और वह उन्नति के शिखर पर चढ़ता चला जाता है।

इसके विपरीत, यदि जन्म कुंडली में कोई ग्रह अपनी परम नीच अवस्था अथवा नीच राशि में स्थित हो या किसी शत्रु ग्रह की राशि में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को धन की हानि अथवा धन से रहित होना पड़ता है। उसके सुखों में कमी आती है और वह व्यक्ति रोगी तथा बीमारियों से परेशान हो सकता है। उसको जीवन में बंधन में बंधने के कारण परेशानी उठानी पड़ सकती है। वह कष्ट प्राप्त करता है। कई बार उसका अपमान होता है और वह अत्यंत पाप कर्म करने वाला निकृष्ट व्यक्ति भी बन सकता है।

इसका तात्पर्य यह है कि कुंडली में जो ग्रह उच्च स्थिति में हो वह मजबूत होता है और यदि मित्र ग्रहों से देखा जाए तो उसकी क्षमता में बढ़ोतरी होती है और वह अच्छा फल प्रदान करने में पूरी तरह सक्षम होता है तथा व्यक्ति को एक राजा के समान बना देता है। यही वजह है कि पंच महापुरुष योग जो ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण निर्मित होते हैं, व्यक्ति को राजा के समान वैभवशाली बना सकते हैं और यही वजह है कि विभिन्न ज्योतिष ग्रंथों में राजयोग को बहुत महत्व दिया गया है।

इस लेख के माध्यम से शुक्र ग्रह द्वारा बनने वाले मालव्य पंच महापुरुष योग के बारे में प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है। यदि आप जानना चाहते हैं कि क्या आपकी कुंडली में है योग बन रहा है अथवा अगर बन रहा है तो उस योग का क्या फल मिलेगा। इस सब के बारे में जानकारी पाने के लिए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

मालव्य पंच महापुरुष योग क्या है?

मालव्य पंच महापुरुष योग शुक्र ग्रह के कारण नियमित होता है। आइए जानते हैं क्या हैं वे नियम, जिनके आधार पर कुंडली में यह शुभ योग निर्मित होता है:

मालव्य पंच महापुरुष योग के कुंडली में निर्माण होने का नियम यह है कि शुक्र ग्रह कुंडली के केंद्र भावों में अपनी उच्च राशि, अपनी मूल त्रिकोण राशि या फिर अपनी स्वराशि में स्थित हो। इसका तात्पर्य यह है कि किसी भी कुंडली में यदि शुक्र अपनी उच्च अवस्था में मीन राशि में, अपनी मूल त्रिकोण राशि तुला में अथवा अपनी स्वराशि वृषभ में स्थित हो तो वह मालव्य पंच महापुरुष योग का निर्माण करता है। यदि चंद्रमा से भी शुक्र केंद्र में हो तो इस राज योग के और भी अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं। इसके साथ ही यदि पाप ग्रहों का संबंध शुक्र से ना हो और ना ही उनकी दृष्टि शुक्र पर हो तो यह राजयोग अत्यंत शक्तिशाली हो जाता है और मजबूती से अपने प्रभाव देने में सक्षम होता है।

यदि आप की जन्म कुंडली में मालव द पंच महापुरुष योग निर्मित हो रहा है तो आपका जीवन इच्छाओं से भरा होगा आप महत्वाकांक्षी होंगे और अपने जीवन काल में अपनी इच्छाओं को पूरा करने में सफल रहेंगे। इस योगों के प्रभाव से आपके नेटवर्क बहुत सुंदर होंगे और उनमें अलग सा आकर्षण होगा जो लोगों को प्रभावित करेगा। आप धार्मिक स्वभाव के होंगे और आप धार्मिक कार्यों के साथ-साथ, मंत्र, तंत्र, यंत्र और अन्य साधनाओं को करने वाली निपुण होंगे। आप दूसरों की भलाई और उनका सहयोग करने के लिए सदैव तत्पर रहेंगे। आपको महिलाओं से विशेष रूप से अच्छा बर्ताव करना चाहिए क्योंकि उनसे जुड़े किसी मामले में आप पड़ सकते हैं इसलिए यदि इस प्रकार की किसी स्थिति का निर्माण हो रहा हो तो आपको उस से दूर रहने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए। आपका व्यवहार बहुत अच्छा रहेगा और यही सौम्यता लोगों को आप के प्रति आकर्षित करेगी। वे आपकी तारीफ करेंगे और आपको पसंद भी करेंगे, इसलिए आप सदैव महिलाओं का सम्मान करें क्योंकि इस योग में जन्म लेने से महिलाओं के कारण इस योग का अच्छा परिणाम आपको शीघ्रता और प्रभावशाली तरीके से प्रभाव प्राप्त होगा।

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मालव्य पंच महापुरुष योग का महत्व

हर कोई व्यक्ति चाहता है कि उसको जीवन में हर प्रकार का सुख मिले ताकि वह अपने जीवन को आनंदित रूप से व्यतीत कर सकें। इसके लिए कुंडली में ऐसे योगों का होना भी आवश्यक है जो उसे सभी भौतिक सुख संसाधनों को उपलब्ध करा सके और व्यक्ति उनका लाभ उठा सके। यही प्रभाव शुक्र ग्रह द्वारा बनने वाले मालव्य पंच महापुरुष योग का होता है। इसका महत्व यही है कि ऐसा योग व्यक्ति को सौंदर्य और कला का प्रेमी बनाता है। ऐसे व्यक्ति में खुद सौंदर्य होता है। लोग उसके व्यक्तित्व से प्रभावित होते हैं। उसके अंदर कोई ना कोई कलात्मक गुण अवश्य विद्यमान होता है। वह अच्छा काव्य पाठ करने वाला, अच्छे गीत लिखने या गाने वाला, संगीत में महारत हासिल रखने वाला, फिल्म अभिनेता या अभिनेत्री अथवा किसी अन्य कला या उसी तरह के कार्यों में वह अपना जीवन यापन भी कर सकता है और उसमें अपना नाम कमाते हुए सफलता अर्जित कर सकता है। ऐसे व्यक्ति में साहस और पराक्रम की कोई कमी नहीं होती। शारीरिक रूप से भी वह सक्षम होता है और उसकी तर्क करने की क्षमता मजबूत होती है। सबसे अच्छी बात यह है कि इस योग के प्रभाव से वह व्यक्ति समय पर उचित निर्णय लेने की क्षमता से परिपूर्ण होता है, जिससे जीवन में समस्याओं में कमी आती है।

मालव्य पंच महापुरुष योग का प्रभाव 

यदि ज्योतिषीय ग्रंथ बृहत पाराशर होरा शास्त्र की बात की जाए, जिसकी रचना स्वयं महर्षि पाराशर ने की थी, तो उनके अनुसार जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में मालव्य योग निर्मित होता है तो वह व्यक्ति के जीवन में सद्गुणों को भर देता है। ऐसा व्यक्ति देखने में चंद्रमा के समान कांति वाला होता है और गौर वर्ण होता है। उसका कद मध्यम और धवल तथा स्वच्छ दंतावली युक्त अर्थात् साफ-सुथरे दाँतो से युक्त, लंबी भुजाओं वाला और दीर्घायु प्राप्त करने वाला व्यक्ति होता है। ऐसा व्यक्ति आकर्षक होता है तथा जीवन में सभी प्रकार के भौतिक और सांसारिक सुखों का भोग करता हुआ जीवन व्यतीत करता है। 

इससे ज्ञात होता है कि मालव्य पंच महापुरुष योग किसी भी व्यक्ति के जीवन को सुखों से भर देने वाला महान योग होता है, इसलिए इस योग का प्रभाव व्यक्ति को जमीन से आसमान तक पहुंचा सकता है और उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण हो सकती हैं, जिससे वह एक सशक्त और लक्ष्मीवान व्यक्ति बनता है।

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मालव्य पंच महापुरुष योग का फल

स्त्रीचेष्टो ललिताङ्गसन्धिनयनः सौन्दर्यशाली गुणी 

तेजस्वी सुतदारवाहनधनी शास्त्रार्थवित्पंडितः।

उत्साहप्रभुशक्तिमन्त्रचतुरस्त्यागी परस्त्रीरतः   

सप्त्यब्दमुपैति सप्तसहितं (७७) मालव्ययोगोद्भवः।।

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि मालव्य पंच महापुरुष योग का निर्माण शुक्र ग्रह की विशेष स्थिति के कारण होता है। यदि आपका जन्म मालव्य पंच महापुरुष योग के अंतर्गत हुआ है तो आपको सुंदरता में विशेष रूप से अनुराग होगा और आप स्वयं भी सौन्दर्यवान होंगे। सबसे अधिक सुंदर आपकी आंखें हैं। इस योग के प्रभाव से आप गुणवान भी होंगे और तेजस्वी प्रकृति के व्यक्ति होंगे।

जिन लोगों की कुंडली में मालव्य योग विद्यमान होता है, उनकी संतान उत्तम होती है और उनका जीवन साथी भी अच्छा होता है, जिससे दांपत्य जीवन का भी सुख मिलता है और संतान का सुख भी प्राप्त होता है। ऐसे लोग धनवान होते हैं और उनका शास्त्रों का अध्ययन करने और उन्हें जानने का मन होता है और यदि प्रयास करें तो उसमें सफलता भी मिलती है। वे उत्साह से भरपूर होते हैं और ईश्वर के प्रति उनमें प्रबल आस्था होती है। विभिन्न प्रकार के मंत्रों के जानकार होते हैं तथा उनकी प्रवृत्ति में चतुरता होती है। उनके अंदर त्याग की विशेष भावना पाई जाती है और वह त्याग करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। हालांकि उनके साथ एक समस्या भी होती है कि विपरीत लिंगी जातकों में उनकी उत्कसुता ज्यादा हो सकती है और यदि यह स्वयं पर नियंत्रण रख पाने में असफल रहें तो विवाहेत्तर संबंधों की ओर बढ़ जाते हैं। इसके अतिरिक्त ,यदि आपकी कुंडली में यह योग विद्यमान है तो आप लक्ष्मीवान हो सकते हैं और आपकी जितनी इच्छाएं और महत्वाकांक्षायें हैं, उन्हें पूरा करने में आपको सफलता भी मिलेगी।

वैसे तो पंच महापुरुष योग का प्रभाव व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन में परिलक्षित होता ही रहता है लेकिन जब जब उस ग्रह की दशा आती है, जो महापुरुष योग बना रहा है तो व्यक्ति को और भी अच्छे परिणाम मिलते हैं। ठीक उसी प्रकार जिन लोगों की कुंडली में पंच महापुरुष योग के अंतर्गत मालव्य महापुरुष योग विद्यमान है तो उनकी कुंडली में जब भी शुक्र ग्रह की महादशा अथवा अंतर्दशा या प्रत्यंतर दशा अपना प्रभाव दिखाएगी, वह व्यक्ति मालव्य पंच महापुरुष योग के सभी फलों का भोग करते हुए जीवन व्यतीत करेगा और उसके जीवन में सुखों की कोई कमी नहीं रहेगी। 

अर्थात् शुक्र ग्रह की दशा उसके जीवन में उत्थान का कारण बनेगी और वह सभी ऊँचाइयों को चढ़ता हुआ आगे बढ़ेगा। ऐसा व्यक्ति होटल व्यवसाय, मॉडलिंग, सौंदर्य प्रसाधन, अभिनय और कलात्मक कार्यों से संबंधित क्षेत्र से जुड़कर काम करता है तो उसे अपार सफलता मिलती है।

यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि केवल कुंडली में मालव्य पंच महापुरुष योग का निर्माण हो जाना ही उस योग से मिलने वाले फलों की गारंटी नहीं देता। तभी तो यह देखना भी आवश्यक होता है कि वह योग किस परिस्थिति में फलीभूत होगा। इस प्रकार यह योग अनेकों लोगों की कुंडली में बन सकता है लेकिन सभी को उसका प्रभाव नहीं मिलता और कभी कभी अल्प फल ही मिलता है। उसके कुछ विशेष कारण होते हैं जैसे कि यदि शुक्र मालव्य पंच महापुरुष योग आपकी कुंडली में बना रहा है लेकिन वह आपकी कुंडली के लिए शुभ कारक ग्रह नहीं है अथवा वह किसी पाप ग्रह से पीड़ित अवस्था में है तो इस ग्रह योग की स्थिति मजबूत नहीं होगी और वह अपने फल दे पाने में पूरी तरह सक्षम नहीं हो पाएगा। यदि सामान्य रूप से बात की जाए तो ऐसा समझ सकते हैं कि यदि कुंडली धनु लग्न की है तो शुक्र उस कुंडली में छठे और ग्यारहवें भाव का स्वामी होगा, इसलिए वह ज्यादा शुभ कारक ग्रह नहीं माना जाएगा। ऐसे में यदि शुक्र चतुर्थ भाव में मीन राशि में उच्च का होकर बैठा हो तो वह इतना मजबूत (शुभ रूप में) नहीं होगा, जितना कि मकर लग्न में दशम भाव में अपनी स्व राशि तुला राशि में बैठकर होगा और यदि इस शुक्र के साथ कुछ पापी ग्रह भी बैठे हों या उस पर शनि, मंगल अथवा राहु का प्रभाव हो तो उसके फल देने की क्षमता और भी कम हो सकती है। यही वजह है कि कई लोग कहते हैं कि हमारी कुंडली में इतना बड़ा योग है फिर भी हमें इसके परिणाम नहीं मिल रहे। इसीलिए इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए फल कथन करना आवश्यक होता है।

मालव्य पंच महापुरुष योग उदाहरण कुण्डली

ज्योतिष में उदाहरण देकर कई बातों को आसानी से समझाया जा सकता है। इसी कड़ी में हम आपको मालव्य पंच महापुरुष योग निर्मित होने वाली कुंडलियों का उदाहरण दे रहे हैं, जिनमें ग्रह स्थिति को देखकर आप मालव्य पंच महापुरुष योग के बनने की स्थिति और उसके प्रभाव को बहुत ही सरलता से समझ सकते हैं:

(उदाहरण कुण्डली -1)

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ऊपर दी हुई उदाहरण कुंडली – 1 मकर लग्न की है, जिसके लिए शुक्र पंचम और दशम भाव अर्थात् त्रिकोण और केन्द्र भाव का स्वामी होकर एक प्रबल योग कारक ग्रह होता है। इस कुंडली में शुक्र अपनी मूल त्रिकोण राशि तुला में दशम भाव में अर्थात् कुंडली के केंद्र भाव में स्थित है। इस प्रकार यह एक उत्तम मालव्य पंच महापुरुष योग निर्मित कर रहा है।

(उदाहरण कुण्डली -2)

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ऊपर दी हुई उदाहरण कुंडली में मीन लग्न में शुक्र देव विराजमान है जो कि शुक्र की उच्च राशि में इस प्रकार यहां मालव्य पंच महापुरुष योग का निर्माण हो रहा है।

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