जानिए मकर-संक्रांति का महत्व और इस दिन की सही पूजन विधि

मकर संक्रांति को हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। ज्योतिषी मान्यताओं के अनुसार पौष माह में जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है उस दिन को मकर संक्रांति कहा जाता है। इस साल मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। संक्रांति शब्द का हिंदी में मतलब होता है, सूर्य का एक राशि से अगली राशि में संक्रमण, यानी चले जाना और जो कि यह मकर राशि में प्रवेश कर रहा है, ऐसे में इस दिन को मकर संक्रांति का जाता है। 

इसी दिन सूर्य उत्तर दिशा की तरफ बढ़ने लगता है। सूर्य की गति की वजह से ही पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध के दिन लंबे होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं। इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन से ही मौसम में भी परिवर्तन देखने को मिलता है। 

एस्ट्रोसेज वार्ता से दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें फोन पर बात

मकर संक्रांति 2021 तिथि और शुभ मुहूर्त 

14 जनवरी, 2021 (गुरुवार)

मकर संक्रान्ति मुहूर्त New Delhi, India के लिए

पुण्य काल मुहूर्त :08:03:07 से 12:30:00 तक

अवधि :4 घंटे 26 मिनट

महापुण्य काल मुहूर्त :08:03:07 से 08:27:07 तक

अवधि :0 घंटे 24 मिनट

संक्रांति पल :08:03:07

अपने शहर का मुहूर्त जानें 

मकर संक्रांति का महत्व 

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के शुभ दिन से ही हिंदू धर्म में हर तरह के मांगलिक कार्यों का शुभारंभ कर दिया जाता है। मकर राशि में सूर्य के प्रवेश के साथ ही शादी, गृह प्रवेश, नया वाहन खरीदना, घर बनाना, घर खरीदना, मुंडन आदि जैसे हर और प्रत्येक शुभ कार्य शुरू कर दिए जाते हैं। इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन दान-दक्षिणा आदि का भी बेहद महत्व बताया गया है। इस दिन जो कोई मनुष्य अपनी स्वेच्छा से ज़रूरतमंदों को दान पुण्य करता है उसे शुभ फल अवश्य प्राप्त होते हैं। 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो सूर्य देव की प्रिय वस्तुओं का दान करने से ऐसे जातकों पर सूर्य देव की कृपा हमेशा बनी रहती है। मकर संक्रांति के दिन तिल से बनी वस्तुओं का दान करने से इंसान पर शनि देव की भी विशेष कृपा बनी रहती है। मकर संक्रांति नई फसल और नए ऋतु के आगमन के तौर पर खुशी प्रकट करने के लिए मनाया जाने वाला एक बेहद ही खूबसूरत त्यौहार है। 

इस त्यौहार को मुख्य रूप से पंजाब, यूपी, बिहार, तमिलनाडु इत्यादि जगहों पर मनाया जाता है। मकर संक्रांति को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। जैसे पंजाब और विभिन्न उत्तर भारतीय राज्यों में इस दिन को ‘लोहड़ी’ के रूप में मनाया जाता है, वहीं असम में इसे ‘माघ या भोगली बिहू’ के नाम से जाना जाता है, गुजरात में मकर संक्रांति को ‘उत्तरायण’ कहा जाता है तो, वहीं मकर संक्रांति को तमिलनाडु में ‘पोंगल’ के नाम से मनाया जाता है। 

यानी कि, नाम बेशक अलग-अलग है लेकिन इस त्योहार का अर्थ और महत्व एक ही होता है। इस त्यौहार के नाम की ही तरह इस त्यौहार को अलग-अलग तरीकों से भी मनाए जाने की परंपरा भारत में देखी जाती है। कुछ लोग इस दिन पतंगबाजी की प्रतियोगिता करते हैं तो वहीं, कुछ लोग इस दिन घरों में स्वादिष्ट व्यंजन आदि बनाकर घरों को सजा कर इस त्योहार को मनाते हैं। 

आपकी कुंडली में है कोई दोष? जानने के लिए अभी खरीदें एस्ट्रोसेज बृहत् कुंडली

मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व 

  • मकर संक्रांति के इस त्योहार का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। ज्योतिष में शनि को मकर और कुंभ राशियों का स्वामी माना गया है।
  • इस त्यौहार से जुड़ी दूसरी कथा के अनुसार कहा जाता है कि, जब पृथ्वी पर असुरों का आतंक बेहद अधिक हो गया था तब मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार किया और लोगों को असुरों के आतंक से बचाया था। भगवान विष्णु ने असुरों के सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। मान्यता है कि, तभी से भगवान विष्णु की असुरों पर विजय को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाने लगा।
  • इसके अलावा इतिहास से जुड़ी एक और मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि, महाभारत काल में भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति के दिन को ही अपने शरीर का त्याग देने के लिए चुना था।

मकर संक्रांति की पूजा विधि 

मान्यता के अनुसार जब भगवान सूर्य अपने बेटे शनि से मिलने जाते हैं तो इस दिन सभी तरह की नकारात्मकताएं, झगड़े, वाद-विवाद इत्यादि समाप्त हो जाते हैं। इस दिन विशेष रूप से भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि, इस दिन जो कोई भी इंसान पूरे विधि-विधान से भगवान सूर्य की पूजा करता है उससे भगवान सूर्य बेहद ही जल्दी प्रसन्न होते हैं और उन पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं। तो आइए जानते हैं मकर संक्रांति की पूजा की सही विधि जिसे अपनाकर आप भी भगवान सूर्य का आशीर्वाद पा सकते हैं। 

  • मकर संक्रांति की पूजा से पहले अपने घर को अच्छी तरह से साफ करें। 
  • संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ कपड़े पहने। 
  • पूजा अनुष्ठान करने वाले इंसान को अपने माथे पर रोली और चावल के आटे का तिलक लगा लेना चाहिए। 
  • इसके बाद भगवान शनि की एक मूर्ति को किसी साफ़ चौकी पर साफ वस्त्र डालकर स्थापित करें। 
  • इसके बाद एक थाली में कुछ पैसे के साथ घेवर, तिल से बने लड्डू इत्यादि प्रसाद रूप में चढ़ाएं। 
  • भगवान सूर्य देव की पूरे मन से पूजा करें और उनके नाम से एक दीपक जलाए। 
  • सूर्य मंत्र का पाठ करें। सूर्य मंत्र: ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।  सूर्य मंत्र:ॐ घृणि सूर्याय नमः!
  • पूजा अनुष्ठान पूरा होने के बाद ग़रीबों और ज़रूरतमंदों को दान करें।

मकर संक्रांति के मौके पर लगते हैं तीर्थ दर्शन और मेले 

देश में कई शहरों में मकर संक्रांति के इस पावन दिन पर मेले आयोजित किए जाते हैं। खासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दक्षिण भारत में इस दिन बड़े भव्य और खूबसूरत मेलों का आयोजन किया जाता है। इस मौके मौके पर लाखों की तादाद में श्रद्धालु गंगा और देश की अन्य पवित्र नदियों के तट पर स्नान और दान इत्यादि करने पहुंचते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि, ‘जो कोई भी व्यक्ति मकर संक्रांति पर देह का त्याग करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति अवश्य होती है और वह जीवन-मरण के चक्कर से मुक्त हो जाता है।’ 

मकर संक्रांति का इतिहास 

इस त्योहार के बारे में प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि, मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जा मिली थी। यही वजह है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का बेहद ही महत्वपूर्ण महत्व माना गया है। मकर संक्रांति को मौसम में बदलाव का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन से वातावरण में गर्मी का एहसास होने लगता है और फिर बसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन हो जाता है। 

अन्य पौराणिक कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन देवता पृथ्वी पर अवतरित होते हैं और गंगा स्नान करते हैं और इसके चलते भी इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व माना गया है। 

जीवन में किसी भी समस्या का समाधान पाने के लिए प्रश्न पूछें  

मकर संक्रांति पर ज़रूर बनाएँ ये पकवान 

मकर संक्रांति के दिन गुड़ और तिल से चीजें बनाई और खाई जाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि तिल और गुड़ दोनों ही शरीर में गर्मी पैदा करने के साथ-साथ हमारे शरीर को कई तरह के पोषक तत्व प्रदान करते हैं। इसके अलावा उत्तर भारत में कई जगहों पर इस दिन खिचड़ी का प्रसाद बनाया जाता है। खिचड़ी के साथ इस दिन तिल की गजक, रेवड़ी, गुड़, इत्यादि का पकवान बनाया और खाया जाता है।

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

नवीनतम अपडेट, ब्लॉग और ज्योतिषीय भविष्यवाणियों के लिए ट्विटर पर हम से AstroSageSays से जुड़े।

आशा है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *