मकर संक्रांति 2020: जानें इस त्यौहार से जुड़ी कुछ खास बातें!

मकर संक्राति 2020: साल 2020 का पहला प्रमुख त्यौहार, जानें उससे जुड़ी कुछ खास बातें!

मकर संक्राति हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है। ज्योतिष गणनाओं के अनुसार पौष माह में जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, उस दिन मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है। इस साल यह त्यौहार 15 जनवरी को मनाया जायेगा। संक्रांति शब्द का हिंदी में अर्थ होता है “सूर्य का एक राशि से अगली राशि में संक्रमण (जाना)’ करना। इस दिन से, सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है। सूर्य की इस गति के कारण, पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में दिन लंबे होने लगते हैं, और रातें छोटी हो जाती हैं। मकर संक्रांति के दिन से ही मौसम में भी परिवर्तन देखने मिलता है। इस त्यौहार को पूरे देश में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है।

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मकर संक्रांति के दिन से ही सभी मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाएगा। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही विवाह, गृह प्रवेश, नया वाहन, भवन क्रय-विक्रय, मुंडन आदि जैसे शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन दान-दक्षिणा का भी विशेष महत्व होता है। ज्योतिष के अनुसार इस दिन दान पुण्य और अनुष्ठान करना फलदायक होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब सूर्य देव मकर राशि में आते हैं, तो शनि की प्रिय वस्तुओं का दान करने से भक्तों पर सूर्य देव की कृपा बरसती है। इसके साथ ही मकर संक्रांति के दिन शनिदेव को तिल से बनी वस्तुओं का दान करने से विशेष कृपा रहती है।

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मकर संक्रांति नई फसल और नई ऋतु के आगमन के तौर पर मनाई जाती है। पंजाब, यूपी, बिहार समेत तमिलनाडु में यह समय नई फसल काटने का होता है, इसलिए किसान मकर संक्रांति को आभार दिवस के रूप में धूमधाम से मनाते हैं। शास्त्रों में इस दिन स्नान, ध्यान  और दान आदि करने का बहुत महत्व बताया गया है। मकर संक्रांति के इस विशेष त्योहार को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उदाहरण के लिए, मकर संक्रांति उत्सव पंजाब और विभिन्न उत्तर भारतीय राज्यों में “लोहड़ी” के रूप में मनाया जाता है। इस दिन असम में “माघ या भोगली बिहू” और गुजरात राज्य में “उत्तरायण” मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन तमिलनाडु में “पोंगल” मनाया जाता है।

आमतौर पर, यह त्यौहार हर साल 14 जनवरी को होता है, लेकिन इस साल यह त्यौहार 15 जनवरी, 2020 यानि बुधवार को मनाया जाएगा। अलग-अलग जगहों पर लोग इसे अपनी परंपरा के अनुसार मनाते हैं। कुछ लोग आपस में पतंगबाज़ी प्रतियोगिता करते हैं, तो वहीँ कुछ लोग इसे स्वादिष्ट व्यंजन आदि बनाकर कर, घर को सजा कर मनाते हैं। आगे बढ़ने से पहले, चलिए आपको मकर संक्रांति के लिए मुहूर्त बता देते हैं, ताकि विशेष लाभ के लिए आप बताये गए शुभ मुहूर्त पर ही पूजा-पाठ करें।

मकर संक्रांति: मुहूर्त

पुण्य काल मुहूर्त

07:15  to 12:30 on 15 जनवरी, 2020 

महा पुण्य काल मुहूर्त

07:15 to 09:15 on 15 जनवरी, 2020 

संक्रांति पल

01:53


नोट: यह समयावधि केवल नई दिल्ली के लिए मान्य है। अपने शहर के लिए सटीक मुहूर्त प्राप्त करने के लिए
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मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व

भारत में मकर संक्रांति का धार्मिक और सांस्कृतिक नज़रिये से बहुत महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। ज्योतिष में शनि मकर और कुंभ राशियों का स्वामी है, इसीलिए यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है। एक दूसरी कथा के अनुसार एक बार जब पृथ्वी पर असुरों का पाप ज़्यादा बढ़ गया था, तब मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार किया था, और उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से ही भगवान विष्णु की इस विजय को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा। एक अन्य मान्यता के अनुसार महाभारत काल में भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति के दिन को अपना शरीर त्यागने के लिए चुना था।

मकर संक्रांति पर की जाने वाली पूजा की विधि 

मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की विशेष रूप से पूजा की जाती है। जब पिता (सूर्य) अपने बेटे (शनि) से मिलते हैं, तो सभी नकारात्मकताएं और झगड़े समाप्त हो जाते हैं। इसीलिए इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजा करने से भगवान सूर्य जल्दी प्रसन्न होते हैं, और अपना आशीर्वाद देते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं मकर संक्रांति के दिन की जाने वाली विशेष पूजा विधि –

  • कोई भी अनुष्ठान शुरू करने से पहले अपने पूरे घर को साफ करें।
  • संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • यदि आप पूजा अनुष्ठान कर रहे हैं, तो आपको सबसे पहले अपने माथे पर “रोली” और चावल के आटे का तिलक लगाना चाहिए।
  • इसके बाद, भगवान शनि की एक मूर्ति लें और इसे एक चौकी पर रखें।
  • भगवान से आशीर्वाद लेने के लिए एक थाली में कुछ पैसे के साथ घेवर, तिल लड्डू (तिल से बने) जैसी मिठाइयों का प्रसाद लें।
  • अब, सूर्य देव की पूजा करें और उनके नाम पर एक दीपक जलाएं। इसके बाद 12  बार सूर्य मंत्र का पाठ करें।
  • पूजा अनुष्ठान पूरा होने के बाद ग़रीबों और ज़रूरतमंदों को दान करें।

हमारे सभी पाठकों को मकर संक्रांति की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं। एस्ट्रोसेज के साथ जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद !!

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