Makar Sankranti 2022: शुभ संयोग में दो दिन मनाई जाएगी मकर संक्रांति, नोट कर लें शुभ मुहूर्त

मकर संक्रांति यानि वह शुभ दिन जब सूर्य ग्रह मकर राशि में प्रवेश कर जायेंगे। सूर्य के गोचर को संक्रांति कहते हैं। ऐसे में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे तो इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जायेगा। मकर संक्रांति वर्ष 2022 का पहला त्यौहार भी है और आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस वर्ष मकर संक्रांति एक नहीं बल्कि दो दिनों तक मनाई जाएगी।

तो आइये इस ब्लॉग के माध्यम से जान लेते हैं इस वर्ष दो दिन क्यों मनाई जाएगी मकर संक्रांति? मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त क्या है? इस मकर संक्रांति को और भी शुभ बनाने के राशिनुसार उपाय? और साथ ही जानते हैं सूर्यदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए इस मकर संक्रांति राशि के अनुसार किन वस्तुओं का दान करना आपके लिए फलदायी हो सकता है?  

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मकर संक्रांति 2022: शुभ मुहूर्त 

इस वर्ष मकर संक्राति 14 और 15 जनवरी को मनाई जाएगी।

पुण्य काल मुहूर्त: 14:12:26 से 17:45:10 तक

अवधि: 3 घंटे 32 मिनट

महापुण्य काल मुहूर्त: 14:12:26 से 14:36:26 तक

अवधि: 0 घंटे 24 मिनट

संक्रांति पल: 14:12:26

जानकारी: यह मुहूर्त दिल्ली के लिए मान्य है। अपने शहर के अनुसार शुभ मुहूर्त जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

मकर संक्रांति- खरमास 

हिन्दू पंचांग के अनुसार बात करें तो इस वर्ष मकर संक्रांति का यह शुभ पर्व शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जायेगा। मकर संक्रांति का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व माना गया है। इस दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश से खरमास का समापन होगा और शुभ और मांगलिक कार्य एक बार पुनः प्रारंभ हो जायेंगे।

खरमास समाप्त होने के बावजूद नहीं हो सकेंगे विवाह, जानें इसकी वजह। दरअसल 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन से खरमास तो समाप्त हो जायेगा लेकिन 22 फरवरी से एक बार फिर गुरु बृहस्पति अस्त हो जायेंगे। गुरु अस्त की यह स्थिति 23 मार्च तक रहेगी ऐसे में इस अवधि में भी विवाह नहीं हो सकेंगे। इसके बाद 04 मार्च से 09 मार्च तक होलाष्टक रहेंगे जिसमें भी विवाह आदि मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। ऐसे में अप्रैल के महीने या उसके बाद ही विवाह का योग बनेगा। 

मकर संक्रांति महत्व 

मकर संक्रांति का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण महत्व यही होता है कि इस दिन से सभी शुभ और मांगलिक कार्य दोबारा शुरू कर दिए जाते हैं। इस दिन अपने इस जन्म के साथ-साथ पिछले जन्म के भी पाप आदि दूर करने के लिए लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए तिल, विशेषतौर पर काले तिल का दान भी करते हैं। मकर संक्रांति को बहुत सी जगहों पर ‘खिचड़ी’ तो कहीं ‘उत्तरायण’ के नाम से भी जाना जाता है।

इसके अलावा इस दिन के ऐतिहासिक महत्व की बात करें तो, इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से मिलने जाते हैं और क्योंकि ज्योतिष में शनिदेव को मकर राशि का स्वामी माना गया है इसलिए ही इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

इतना ही नहीं, माना जाता है कि इसी दिन भीष्म पितामह ने अपने देह का त्याग किया था इसलिए भी इस दिन का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इसके साथ ही मकर संक्रांति के दिन से ही भीषण ठण्ड कम होने लगती है। साथ ही आपको यह भी बताना यहाँ आवश्यक है कि इसी दिन गंगा नदी सागर में जा मिली थी इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। 

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मकर संक्रांति मान्यता 

इस दिन से जुड़ी मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि, जो कोई भी व्यक्ति इस दिन सच्ची श्रद्धा से भगवान गणेश, माँ लक्ष्मी, भगवान सूर्य, भगवान शिव की पूजा करता है ऐसे व्यक्ति का सोया भाग्य भी जाग जाता है और जीवन में सुख समृद्धि अपने आप ही दस्तक देने लगती है। यही वजह है कि इस दिन तिल, गुड़ और खिचड़ी का दान करना भी शुभ माना गया है। कहते हैं ऐसा करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। 

इसके अलावा इस दिन से जुड़ी एक और अनोखी मान्यता के अनुसार माना जाता है कि क्योंकि इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र से मिलने जाते हैं ऐसे में इस दिन यदि कोई भी पिता अपने पुत्र से मिलने जाये तो उनकी सारी समस्याएं अवश्य ही दूर होने लगती हैं।

जानकारी: जैसा की हमने पहले भी बताया कि, मकर संक्रांति को कई जगहों पर ‘उत्तरायण’ के नाम से भी जाना जाता है, ठीक उसी तरह मकर संक्रांति को तमिलनाडु में पोंगल के नाम से जाना और भव्य रूप में मनाया जाता है। ऐसे में हम नीचे आपको उत्तरायण और पोंगल का भी शुभ मुहूर्त प्रदान कर रहे हैं

उत्तरायण संक्रांति मुहूर्त: संक्रांति पल :14:12:26 

यह मुहूर्त दिल्ली के लिए मान्य है। अपने शहर के अनुसार शुभ मुहूर्त जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

पोंगल संक्रांति पल :14:12:26

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मकर संक्रांति शुभ योग 

अब बात करें मकर संक्रांति के दिन बनने वाले शुभ योगों की तो, मकर संक्रांति के दिन ब्रह्मा योग रहने वाला है। इसके अलावा इस शुभ दिन में आनन्दादि योग भी बन रहा है। 

मकर संक्रांति अलग-अलग नाम 

जैसा की हमने पहले भी बताया कि, मकर संक्रांति को कई जगहों पर ‘उत्तरायण’ कहीं ‘खिचड़ी’ तो कहीं ‘पोंगल’ के नाम से जाना जाता है। इन नामों के अलावा इस त्यौहार को असम में बिहू के नाम से मनाया जाता है।

इन सभी अलग-अलग नामों का अर्थ और इस त्यौहार को किन अलग-अलग तरीकों से देश के कोने-कोने में  मनाया जाता है इससे सम्बंधित एक तालिका हम आपको नीचे प्रदान कर रहे हैं।

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मकर संक्रांति के अलग-अलग नाम त्यौहार को मनाने का तरीका  
उत्तरायण उत्तरायण मुख्यरूप से गुजरात में मनाया जाता है। यह पर्व नई फसल और फसल की कटाई से संबंधित होता है। इस दिन बहुत से लोग व्रत भी करते हैं। गुजरात में इस दिन भव्य पतंगोत्सव का भी आयोजन किया जाता है।
पोंगल पोंगल का त्यौहार मुख्यरूप से तमिलनाडु, केरल और आंध्रप्रदेश में मनाया जाता है। यह त्यौहार धान की फसल कटने की ख़ुशी के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह पर्व तीन दिनों तक चलता है और इस दौरान भगवान सूर्य और इन्द्रदेव की पूजा का विधान बताया गया है। 
माघ/भोगली बिहूमकर संक्रांति के इस शुभ दिन को असम में माघ बिहू या भोगली बिहू के नाम से जाना जाता है। इस मौके पर होलिका जलाई जाती है। भोगली बिहू के मौके पर टेकेली भोंगा नाम का एक सुप्रसिद्ध खेल खेला जाता है जिसमें भारी तादात में लोग शामिल होते हैं। साथ ही इस दिन भैंसों की लड़ाई भी होती है।
लोहड़ी लोहड़ी का त्यौहार पंजाब में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दौरान फसलों की कटाई होती है, शाम को होलिका जलाई जाती है और लोग इसके इर्दगिर्द घूमते हैं और अग्नि में तिल, गुड़ और मक्का आदि डालते हैं।

मकर संक्रांति राशि के अनुसार दान 

इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व दो दिनों के लिए मनाया जायेगा। 14 जनवरी को मकर संक्राति शुक्ल और ब्रह्मा योग के शुभ और मंगलकारी योग में मनाई जाएगी। इसके अलावा 15 जनवरी को रोहिणी नक्षत्र रहने वाला है। शास्त्रों के अनुसार सूर्य के अस्त होने से पहले जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है उसी दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है जो की इस वर्ष 14 जनवरी को मनाया जायेगा, वहीं उदया तिथि के महत्व के चलते इस वर्ष 15 जनवरी को भी बहुत से लोग मकर संक्रांति का स्नान-दान और पुण्य करेंगे।

सूर्यदेव की असीम कृपा प्राप्त करने के लिए आपको किस चीज़ का दान करना शुभ रहेगा जानिए विद्वान  ज्योतिषी आचार्या पारुल से का राशिनुसार जवाब:

मेष राशि: तिल और गुड़ से बनी मिठाई अपने पिता के उम्र के किसी गरीब व्यक्ति को दान करें। 

वृषभ राशि: मंदिर में पुजारी को गुड़ और तिल से बनी मिठाई दान करें। 

मिथुन राशि: गरीब और ज़रूरतमंद लोगों को कंबल का दान करें।

कर्क राशि:  अपनी यथाशक्ति अनुसार गरीब लोगों को खिचड़ी खिलाएं। 

सिंह राशि: किसी लाचार व्यक्ति (विशेषतौर पर किसी कुष्ट रोगी) को नारियल का तेल, कंबल, कपड़े, दवा जैसी ज़रूरी चीज़ का दान करें। इसके साथ ही अपने घर में नौकरों को भी कोई तोहफा दें। 

कन्या राशि:  तिल से बनी मिठाईयां, मूंगफली, पॉपकॉर्न गरीब बच्चों को दान में दें। 

तुला राशि: किसी गरीब महिला को ऊनी कपड़ों का दान करें। 

वृश्चिक राशि: आपके घर के आस-पास यदि मजदूर वर्ग के लोग काम कर रहे हों तो उन्हें मूंगफली और गुड़ का दान करें। 

धनु राशि: अपने सामर्थ्य अनुसार गरीब लोगों को खिचड़ी खिलाएं। 

मकर राशि: काले तिल और कंबल का दान करना आपके लिए शुभ साबित हो सकता है।

कुंभ राशि: काले तिल और कंबल का दान करना आपके लिए शुभ साबित हो सकता है।

मीन राशि: ज़रूरतमंद व्यक्ति को जूते/चप्पल का दान करें। 

सूर्यदेव को राशिनुसार ऐसे दें अर्घ्य और पाएं आशीर्वाद 

मकर संक्रांति पर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करना विशेष फलदायी माना जाता है। ऐसे में हमारी विद्वान  ज्योतिषी आचार्या पारुल से जानें इस दिन अपनी राशिनुसार सूर्यदेव को किस तरह से अर्घ्य अर्पित करके आप उनका आशीर्वाद अपने जीवन पर प्राप्त कर सकते हैं। 

मेष राशि:  जल में गुड़ मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें। 

वृषभ राशि:  जल में मिसरी/मिशरी मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।

मिथुन राशि: पानी में गंगाजल मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।

कर्क राशि: जल में चावल (अक्षत) मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।

सिंह राशि: जल में लाल फूल डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।

कन्या राशि: पानी में गंगाजल मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।

तुला राशि: जल में मिशरी/मिसरी मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।

वृश्चिक राशि: जल में रोली मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।

धनु राशि: जल में पीले रंग के फूल डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।

मकर राशि: जल में काले तिल मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।

कुंभ राशि: जल में काले तिल मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।

मीन राशि: जल में पीले रंग के फूल डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।

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इस मकर संक्रांति को बनाएं और भी ख़ास: इस दिन अवश्य करें ये काम 

  • मकर संक्रांति के दिन तेल से मालिश अवश्य करें।
  • सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें। 
  • इस दिन अवश्य लगायें तिल का उबटन। इस काम को करने से आपके शरीर में हमेशा चमक बनी रहती है और बीमारियाँ भी दूर रहती हैं।
  • मकर संक्रांति के दिन तिल से बनी वस्तुओं का सेवन अवश्य करें।
  • इस दिन तिल से हवन करना भी विशेष फलदाई और शुभ बताया गया है।
  • यदि किसी पवित्र नदी में स्नान के लिए नहीं जा सकते हैं तो कम से कम घर के पानी में ही गंगाजल डालकर उससे स्नान करें।

इन पांच राशि वालों के लिए बेहद शुभ रहेगी यह मकर संक्रांति 

14 जनवरी को होने वाला सूर्य का गोचर विशेषतौर पर मेष राशि, सिंह राशि, तुला राशि, वृश्चिक राशि और मकर राशि के लिए शुभ साबित होगा।

  • मेष राशि: आपके काम की सराहना होगी। सरकारी क्षेत्र और नौकरीपेशा जातकों को विशेष लाभ मिलेगा। पदोन्नति और वेतन वृद्धि के भी प्रबल योग बन रहे हैं।
  • सिंह राशि: नौकरीपेशा और सरकारी क्षेत्र से जुड़े लोगों को सफलता मिलेगी। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे जातकों को भी सफलता मिलेगी। अटका हुआ धन वापिस मिलेगी जिससे आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। आपकी कोई मनोकामना अवश्य पूरी होगी।
  • तुला राशि: तुला जातकों को आय के नए स्त्रोत मिलेंगे जिससे आपकी आर्थिक स्थिति में सुधर देखने को मिलेगा। आप धन संचित करने में भी कामयाब रहेंगे। करियर पक्ष के सन्दर्भ में भी अनुकूल परिणाम हासिल करने के लिए तैयार हो जाइये।
  • वृश्चिक राशि: आपका संचार कौसल शानदार रहने वाला है जिससे आपको लाभ मिलेगा। कड़ी मेहनत का फल आपको करियर में सफलता के रूप में निश्चित ही प्राप्त होगा। कार्यक्षेत्र पर आप अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहेंगे।
  • मकर राशि: अचानक से समाज में मान सम्मान और प्रसिद्धि बढ़ेगी। सरकारी क्षेत्र से जुड़े जातकों के लिए यह समय विशेष रूप से शुभ रहेगा। इसके अलावा आपको करियर और कार्यक्षेत्र में भी शुभ परिणाम हासिल होंगे।

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