हिंदू धर्म में हर साल अनेक त्योहार और व्रत मनाये जाते हैं जिनकी अपनी-अपनी मान्यताएं हैं। उन्हीं में से एक है महाशिवरात्रि का व्रत जो भगवान शिव को समर्पित होता है। हिंदू धर्म में भगवान शिव को विध्वंस का देवता माना गया है। चंद्र महीने का हर 14वां दिन शिवरात्रि के तौर पर मनाया जाता है। वहीं, महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।
इस साल महाशिवरात्रि के पावन त्यौहार पर एक ख़ास ज्योतिषीय संयोग बनने जा रहा है। 2023 में महाशिवरात्रि व्रत के दिन ही प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है, जिससे इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। एस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग के माध्यम से हम इस व्रत से जुड़ी तमाम जानकारी हासिल करेंगे जैसे इसकी तिथि, समय और महत्व। साथ ही, हम महाशिवरात्रि के दिन बनने वाले शुभ योग के बारे में भी विस्तार से चर्चा करेंगे।
महाशिवरात्रि और प्रदोष व्रत: तिथि और समय
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। साल 2023 में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी को रात 8 बजकर 5 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 19 फरवरी को 4 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी। महाशिवरात्रि पारण मुहूर्त सुबह 6 बजकर 57 मिनट से दोपहर 03 बजकर 25 मिनट तक है। जबकि शनि प्रदोष व्रत भी महाशिवरात्रि के दिन ही पड़ने जा रहा है। यह प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ेगा इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत के तौर पर मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 17 फरवरी को शुक्रवार की रात 11 बजकर 38 मिनट से प्रारंभ होगी, जबकि इस तिथि का समापन 18 फरवरी को शनिवार की रात 08 बजकर 05 मिनट पर होगा।
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महाशिवरात्रि और प्रदोष व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का व्रत बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि का दिन भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, माता सती के आत्मदाह के बाद भगवान शिव ने वैराग्य जीवन अपना लिया था जिसके बाद सृष्टि के कल्याण के लिए आदिशक्ति ने माता पार्वती के रूप में अवतार लिया। उन्होंने भगवान शिव के लिए कड़ी तपस्या की और उनसे विवाह किया। इसी दिन भोलेनाथ वैराग्य त्याग कर गृहस्थ जीवन में वापस आए थे।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के भक्त व्रत रखते हैं और पूरे विधि-विधान के साथ शिव जी की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, शहद, दूध आदि चीजें चढ़ाई जाती हैं।
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- शिवलिंग की पूजा: भगवान शिव के भक्त बहुत श्रद्धा से शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते हैं और दूध, दही, जल आदि से उनका अभिषेक करते हैं।
- रुद्राभिषेक: भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए इस दिन उनके भक्त भांग, धतूरा, बेलपत्र, शहद, गंगाजल, गन्ने का रस आदि चढ़ाते हैं। इसके अलावा, इस दिन शिवलिंग पर कुमकुम और हल्दी का लेप भी लगाया जाता है।
- कई लोग इस दिन भगवान शिव से जुड़ी पौराणिक कथाओं को सुनते हैं। साथ ही, महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव भक्तों द्वारा मंदिरों में भजन-कीर्तन भी किये जाते हैं।
वहीं, शनि प्रदोष व्रत भी काफ़ी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन लोग व्रत करने के साथ-साथ भगवान शिव, माता पार्वती, श्री गणेश और भगवान कार्तिकेय की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता के अनुसार, इस दिन जो भक्त व्रत और शिव जी की आराधना करते हैं उन्हें मानसिक शांति की प्राप्ति होती है और उनके जीवन से हर तरह की नकारात्मक शक्ति का नाश होता है।
शिवरात्रि पर बनेगा अद्भुत योग
हम आपको ऊपर भी बता चुके हैं कि इस साल महाशिवरात्रि और शनि प्रदोष व्रत एक साथ पड़ने जा रहे हैं। ऐसे में, इस अद्भुत संयोग से एक बेहद शुभ योग बनेगा। महाशिवरात्रि दिन पुत्र प्राप्ति योग का निर्माण होने जा रहा है।
जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि इस योग के प्रभाव से जातकों को पुत्र की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। वहीं इस दिन महाशिवरात्रि भी पड़ रही है। ऐसे में, जातकों को इस योग से विशेष लाभ मिलने के योग बनेंगे।
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