महानंदा नवमी 2023: जानें व्रत का महत्व, तिथि और पूजा-विधि

हिंदू धर्म में अनेक प्रकार के व्रत-त्योहारों को मनाया जाता है और प्रत्येक पर्व का अपना महत्व है। कोई व्रत देवी-देवताओं की कृपा प्राप्ति के लिए रखा जाता है, तो कई त्यौहार दूसरे कारणों से भी मनाए जाते हैं जैसे दिवाली और रक्षाबंधन। आज हम ऐसे ही एक खास व्रत के बारे में जानेंगे। 

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माघ महीने की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर मनाया जाने वाला महानंदा नवमी व्रत अत्यंत फलदायी माना गया है। महानंदा नवमी के दिन धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। आर्थिक परेशानी से छुटकारा पाने के लिए इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। इस खास ब्लॉग में हम महानंदा नवमी व्रत की पूजा-विधि, व्रत के नियम, तिथि और दूसरे अहम पहलुओं के बारे में जानेंगे। 

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महानंदा नवमी मुहूर्त

महानंदा नवमी का मुहूर्त 29 जनवरी 2023 को सुबह 09 बजकर 09 मिनट से शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भरणी नक्षत्र में शुरू होगा और जो 30 जनवरी 2023 को 10 बजकर 14 मिनट तक चलेगा। इस दिन माता लक्ष्मी की विधिवत-पूजा की जाती है। आइए अब यह जानते हैं कि इस व्रत में किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।

महानंदा नवमी व्रत की पूजा विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पूरे घर की साफ-सफाई करें।
  • घर साफ करने के बाद स्नान करें और साफ कपड़े पहनकर पूजा स्थान पर बैठें।
  • हालांकि, महानंदा नवमी के दिन गंगा स्नान का अधिक महत्व माना जाता है। इसलिए अगर मुमकिन हो तो गंगा जी में स्नान करें। इसके अलावा, आप नहाने के पानी में भी गंगाजल डाल कर स्नान कर सकते हैं।
  • पूजा स्थान पर माता लक्ष्मी की मूर्ति रखें और उन्हें अक्षत, अगरबत्ती, फूल, मिठाई आदि अर्पित करें।
  • इसके बाद, लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें।

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आइए अब महानंदा नवमी की पौराणिक कथा के बारे में विस्तार से जानते हैं।

महानंदा नवमी की कथा

महानंदा नवमी की पौराणिक कथा के अनुसार, एक साहूकार की बेटी थी जो काफ़ी धार्मिक थी। वह रोज़ाना पीपल के पेड़ की पूजा किया करती थी जहां माता लक्ष्मी का वास होता है। इसी क्रम में, मां लक्ष्मी और साहूकार की बेटी के बीच मित्रता हो गई। इसके बाद, एक दिन मां लक्ष्मी साहूकार की बेटी को अपने घर ले गईं और उसका मान-सम्मान करते हुए उसे उपहार देकर विदा किया। इसी बीच मां लक्ष्मी ने उससे पूछा, तुम मुझे अपने घर कब बुला रही हो? 

यह सुनते ही साहूकार की बेटी उदास हो गई और मन में विचार करने लगी कि वह माता लक्ष्मी का स्वागत कैसे करेगी। हालांकि उसने माता लक्ष्मी को अपने घर आने का न्योता दे दिया। घर आने के बाद साहूकार की बेटी ने अपने पिता को सारी बातें बताई, यह सुनने के बाद वह भी चिंतित हो गए। उसी समय एक कौवे ने साहूकार के घर में हीरे का हार गिरा दिया और चला गया। उस हार को बेचकर साहूकार ने माता लक्ष्मी के स्वागत के लिए सोने से बनी हुई एक चौकी खरीदी।

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उसके बाद माता लक्ष्मी और भगवान गणेश दोनों ही एक साथ साहूकार के घर पहुंचे जहां पिता और पुत्री ने उनका खूब आदर-सत्कार किया। परिवार की सेवा से प्रसन्न होकर साहूकार और उसकी बेटी को माता लक्ष्मी और भगवान गणेश ने आशीर्वाद दिया।

महानंदा नवमी व्रत की पौराणिक कथा के बाद, अब जान लेते हैं कि राशि अनुसार माता लक्ष्मी की पूजा में आप किन चीजों का इस्तेमाल कर सकते है।

राशि अनुसार महानंदा नवमी पूजा में देवी लक्ष्मी को अर्पित करें ये चीज़ें

मेष

माता लक्ष्मी को लाल रंग के पुष्प अर्पित करें और चुन्नी चढ़ाएं।

वृषभ

महानंदा नवमी के दिन पूजा के बाद महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें।

मिथुन

कन्याओं को हलवा खिलाएं और उन्हें तोहफे दें।

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कर्क

घर और कार्यस्थल पर महालक्ष्मी यंत्र रखें और उसकी रोज़ाना पूजा करें।

सिंह

दफ्तर में महालक्ष्मी यंत्र रखें और उसका विधिवत पूजन करें।

कन्या

पूजा के बाद महालक्ष्मी मंत्र का 108 बार जाप करें।

तुला

महानंदा नवमी की पूजा करते वक्त सफेद रंग के कपड़े पहनें।

वृश्चिक

महानंदा नवमी के दिन हवन करें और महालक्ष्मी मंत्र का जाप करते हुए 108 बार आहुति दें।

धनु

महालक्ष्मी की पूजा करने के बाद कथा का पाठ करें।

मकर

महानंदा नवमी के दिन जरूरतमंद लोगों को चने का हलवा खिलाएं।

कुंभ

मां लक्ष्मी के विधिवत पूजन के बाद श्री यंत्र की पूजा करें। साथ ही, घर और दफ्तर दोनों जगह पर इस यंत्र को लगाएं।

मीन

नवमी के दिन मंदिर में सफेद रंग की मिठाई का दान करें।

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