“पचमठा मंदिर” जहाँ दिन में 3 बार रंग बदलती है माँ लक्ष्मी की प्रतिमा !

नवरात्रि खत्म होते ही हर जगह दिवाली की तैयारियों में लोग जुट गए हैं। आने वाली 27 अक्टूबर को प्रकाश का पर्व “दिवाली” मनाई जाएगी। दिवाली नज़दीक आते ही बाज़ार में रंग-बिरंगे दीयों से लेकर लक्ष्मी-गणेश की अलग-अलग प्रकार की मूर्तियां देखने को मिलती हैं। दिवाली पर धन की देवी लक्ष्मी के पूजा का विधान है। इस दिन लोग माँ लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। कहते हैं कि देवी-देवता भी अपने चमत्कार से समय-समय पर भक्तों को चकित करते रहते हैं और अपने होने का एहसास कराते है तो चलिए आज इस लेख में हम आपको माँ लक्ष्मी के एक ऐसे ही चमत्कारी मंदिर के बारे में बताते है, जहाँ माँ की प्रतिमा दिन में 3 बार अपना रंग बदलती है

मध्‍यप्रदेश में स्थित है यह प्राचीन मंदिर

माँ लक्ष्मी का यह मंदिर “पचमठा मंदिर” के नाम से प्रसिद्ध है। मां का यह अद्भुत मंदिर मध्‍यप्रदेश के  जबलपुर में स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर का र्निमाण गोंडवाना शासन में रानी दुर्गावती के विशेष सेवापति रहे दीवान अधार सिंह के नाम से बने अधारताल तालाब में करवाया गया था। इस मंदिर में अमावस की रात को भक्तों का तांता लगता है। यह मंदिर एक जमाने में पूरे देश के तांत्रिकों के लिए साधना का केन्द्र हुआ करता था। कहा जाता है कि इस मंदिर के चारों तरफ श्री यंत्र की विशेष रचना की गयी है।

रंग बदलती है मां की प्रतिमा

मंदिर के पुजारियों का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण करीब 11 सौ साल पहले करवाया गया था। इस मंदिर के अंदरूनी भाग में श्री यंत्र की अनूठी संरचना की गयी है, जो कि हमेशा चर्चा का विषय रहा है। खास बात तो यह है कि आज भी सूरज की पहली किरण सबसे पहले मां लक्ष्मी की प्रतिमा के चरणों पर पड़ती है। इस मंदिर में आने वाले सभी भक्‍तों और पुजारियों का कहना है कि यहां स्थित मां लक्ष्मी की प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रंग बदलती है। कुछ लोग तो केवल इस चमत्कार का अनुभव करने के लिए ही पचमठा मंदिर आते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार यह प्रतिमा प्रात: काल में सफेद, दोपहर में पीली और शाम को नीली हो जाती है।

दिवाली पर होता है खास आयोजन

दिवाली के दिन पचमठा मंदिर में माँ महालक्ष्‍मी के दर्शनों के लिए भक्‍तों का तांता लगा रहता है। इस दिन पचमठा मंदिर में मां लक्ष्मी का खास पूजा व अभिषेक किया जाता है। दिवाली पर मंदिर के पट पूरी रात खुले रहते हैं, और दूर-दराज से लोग यहां दीपक रखने आते हैं। आधी रात होने तक पूरा मंदिर दीपकों की रोशनी से दमक उठता है। इस मंदिर में हर शुक्रवार बहुत ज़्यादा भीड़ रहती है। कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति यहाँ सात शुकवार आकर मां लक्ष्‍मी के दर्शन कर ले, तो उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है। केवल रात को छोड़कर मंदिर के कपाट हर समय खुले रहते हैं। सिर्फ दिवाली के दिन रात के समय में भी पट बंद नहीं होते।

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