माँ लक्ष्मी की बड़ी बहन हैं देवी अलक्ष्मी, जानें कैसे हुई उत्पत्ति और कहाँ करती हैं वास

देवी अलक्ष्मी – एक अनसुनी शक्ति

सनातन धर्म में धन, संपदा और खुशहाली की देवी माँ लक्ष्मी को भला कौन नहीं जानता है। सप्ताह में शुक्रवार का दिन माँ लक्ष्मी को समर्पित किया गया हैI खैर ये तो रही वो बातें जो हर कोई जानता ही है लेकिन क्या आप यह बात जानते हैं कि माँ लक्ष्मी की एक सगी बड़ी बहन भी हैं? जी हाँ और उनका नाम है देवी अलक्ष्मीI आज अपने इस विशेष आर्टिकल के माध्यम से हम आपको देवी अलक्ष्मी के बारे में बताने वाले हैंI

गरीबी, दुःख और दुर्भाग्य की देवी हैं देवी अलक्ष्मी  

माँ लक्ष्मी को सभी अपने घर में आमंत्रित करते है जबकि इसके विपरीत देवी अलक्ष्मी को कोई अपनाना नहीं चाहता हैI माता अलक्ष्मी जिन्हें दरिद्रता देवी या ज्येष्ठा भी कहा जाता है, माता लक्ष्मी की बड़ी बहन हैंI माँ लक्ष्मी का मनमोहक स्वरुप लाल कपड़ो में आभूषणों से सुसज्जित कमल पर विराजमान, सोने और अन्न से भरा कलश हाथों में लिए दिखता हैI माँ को बहुत चंचल माना जाता है इसलिए उनको एक जगह पर बिठाए रखना कठिन कार्य हैI हम सभी जानते हैं कि माँ लक्ष्मी धन-वैभव, सुख-समृद्धि, यश और कीर्ति की देवी हैं। वहीं दूसरी तरफ़ देवी लक्ष्मी की बड़ी बहन देवी अलक्ष्मी को गरीबी, दुःख और दुर्भाग्य की देवी माना जाता हैI 

पुराणों में किए गए वर्णन से पता चलता है कि देवी अलक्ष्मी श्याम वर्ण की हैं, उनके बाल बिखरे हुए हैं, उनकी आँखें लाल रहती हैं और वह हमेशा काले वस्त्र धारण किए रहती हैंI आइये अब आपको बताते हैं कि देवी अलक्ष्मी की उत्पत्ति कैसे हुई थी।

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कैसे हुई देवी अलक्ष्मी की उत्पत्ति?

शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय सबसे पहले हलाहल नाम के विष की उत्पत्ति हुई थी जिसे भगवान शिव ने ग्रहण किया थाI उसके पश्चात अमृत की उत्पत्ति हुई जिसे भगवान श्री हरि विष्णु ने मोहिनी स्वरूप में देवताओं को बांट दिया थाI हलाहल के बाहर आने के साथ उसकी एक बूँद से अलक्ष्मी जी की उत्पत्ति हुईI इसी कारण से अलक्ष्मी को माता लक्ष्मी की बड़ी बहन माना जाता हैI

कहाँ वास करती हैं देवी अलक्ष्मी?

मान्यता है कि जब श्री हरि विष्णु जी का माता लक्ष्मी के साथ विवाह हुआ तब अलक्ष्मी जी सदैव वैकुण्ठ धाम पहुँच जाया करती थीI भगवान जब भी एकांत में होते थे तो देवी अलक्ष्मी उनके पास धूल भरे चरणों और बिखरे बालों में आकर बैठ जाया करती थीI यह देख देवी लक्ष्मी को एक दिन बहुत क्रोध आया और उन्होंने अपनी ज्येष्ठा बहन को श्राप दे दिया कि तुम सदैव उन घरों में निवास करोगी जहां स्वच्छता नहीं होगी और तुम्हारे आगमन से घर में दरिद्रता प्रवेश करेगीI 

माता का क्रोध शांत होने के बाद भगवान विष्णु ने देवी अलक्ष्मी का विवाह उद्यालक नामक महर्षि से करवायाI उद्यालक मुनि अलक्ष्मी जी को अपने साथ आश्रम ले गए जहाँ यज्ञ, धूप, दीप, मंत्र, ध्यान आदि हो रहे थेI माता लक्ष्मी के श्राप के कारण माँ अलक्ष्मी आश्रम को देख क्रोधित हो गई और उन्होनें ऋषिवर को बताया कि यह स्थान उनके रहने योग्य नहीं हैI 

यह सुन उद्यालक ऋषि ने उनसे पूछा कि वह कहाँ वास करना चाहती है? जिस पर देवी अलक्ष्मी ने कहा कि उन्हें वह स्थान प्रिय है जहां आरती, कीर्तन, धूप, दीप का पालन ना होता हो, जहां घर में सदैव क्लेश रहता हो, जहां ब्राह्मणों का सम्मान ना होता हो, जहां बेईमानी का धन रखा जाता हो, घर में हर जगह गंदगी रहती हो, संध्या के समय कोई पुण्य कार्य ना होता हो और जहां द्वेष, ईर्ष्या, पितृ दोष, अकाल मृत्यु जैसे राक्षस वास करते होI 

अलक्ष्मी जी के मुख से यह सब सुन ऋषि दुखी हुए और उन्होंने अलक्ष्मी जी को जंगल ले जाकर एक पीपल के पेड़ के नीचे उनका परित्याग कर दियाI पति द्वारा छोड़े जाने के बाद देवी अलक्ष्मी बैठ कर विलाप करने लगींI देवी अलक्ष्मी का विलाप सुनकर विष्णु जी उन्हें कहते हैं कि वह सभी जगह जो उन्हें प्रिय है वहां वे वास कर सकती हैं लेकिन ऐसी कोई भी जगह जहां भक्ति की गंगा बहती हो, जिन घरों में स्वच्छता, नियम और पुण्य कार्य किए जाते हों, जिस घर में माँ अन्नपूर्णा का सम्मान होता हो, जहां ब्राहमण, भिक्षुक और पशुओं सहित सभी का सम्मान होता हो तथा जहां यज्ञ, सत्संग तथा प्रेम का वास हो वहां देवी अलक्ष्मी का जाना वर्जित रहेगाI

मान्यता है कि पति द्वारा पीपल के पेड़ के नीचे परित्याग के कारण ही देवी अलक्ष्मी ने पीपल के पेड़ पर वास करने लगी थी I यह भी एक कारण है कि सनातन धर्म में पूजनीय होने के बाद भी पीपल का पेड़ लगाना अशुभ माना जाता है I कहा जाता है कि पीपल पर दिन के एक पहर माता लक्ष्मी और रात्रि के पहर माता अलक्ष्मी वास करती हैंI यही वजह है कि घर में यदि पीपल का पेड़ निकल आये तो उसे तोड़ने या जलाने की बजाए पूरे विधि-विधान से दूसरी जगह पर लगाना चाहिए I पीपल के पेड़ को हटाने से पहले  45 दिन पीपल की पूजा की जाती है। इस दौरान उसपर कच्चा दूध चढ़ाया जाता है और फ़िर इसे जड़ सहित निकाल कर किसी दुसरे स्थान पर लगा दिया जाता है I

देवी अलक्ष्मी से जुड़ी एक ऐसी भी कथा है कि चूंकि वे समुद्र से मदिरा लेकर उत्पन्न हुई थीं इसलिए भगवान विष्णु की आज्ञा से उन्हें असुरों को सौंप दिया गयाI यदि माता लक्ष्मी की पूजा के बाद भी घर में धन हानि और कलह-क्लेश रहता हो तो संभव है कि ऐसे घर में देवी अलक्ष्मी का वास हो सकता हैI

कैसे एक दूसरे से अलग हैं माँ लक्ष्मी और देवी अलक्ष्मी?

  • जहाँ देवी लक्ष्मी धन, संपदा और संपन्नता की देवी मानी जाती हैं। वहीं देवी अलक्ष्मी दुःख, गरीबी और दरिद्रता कीI
  • समुद्र मंथन से ही माँ लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई जबकि देवी अलक्ष्मी समुद्र मंथन से निकले हलाहल की बूंद से उत्पन्न हुई थीI
  • माँ लक्ष्मी को जहाँ मिष्ठान और मीठी वस्तुएं पसंद हैं, वहीं देवी अलक्ष्मी को खट्टी और कड़वी चीज़ें प्रिय होती हैंI कहा जाता है कि इसलिए ही घर के बाहर लटके निम्बू मिर्च लटकाया जाता है क्योंकि इससे देवी अलक्ष्मी तृप्त होकर घर के बाहर से ही लौट जाती हैं और वे घर के अंदर प्रवेश नहीं करती हैंI

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