लोहड़ी 2024: जानें कब मनाई जाएगी लोहड़ी; सुख-समृद्धि के लिए राशि अनुसार अपनाएं उपाय

एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको लोहड़ी के पर्व के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, इस त्योहार के महत्व, तिथि, पूजा विधि और इस दिन किए जाने वाले खास उपाय के बारे में भी बताएंगे। इसके अलावा, राशि के अनुसार अग्नि देव को अर्पित की जाने वाली चीज़ों के बारे में चर्चा करेंगे। बता दें कि लोहड़ी का पर्व सिख समुदाय में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि साल 2024 में लोहड़ी का पर्व कब मनाया जाएगा।

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भारत विविधताओं का देश है, यहां सभी धर्मों के लोग रहते हैं और धर्मों से संबंधित त्योहारों को धूमधाम से मनाते हैं। ऐसे में, नए साल की शुरुआत होते ही त्योहारों की झड़ी सी लग जाती है, इन्हीं में से एक त्योहार लोहड़ी का है। मकर संक्रांति की तरह लोहड़ी भी उत्तर भारत का प्रमुख त्योहार है। विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में यह त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन लकड़ियों और उपलों से घर के बाहर या फिर खुली जगह पर आग जलाई जाती है। घर के मौजूद लोग उस आग के चारों ओर परिक्रमा करते हैं। तो आइए इसी क्रम में सबसे पहले जानते हैं कि लोहड़ी की तिथि व मुहूर्त के बारे में।

लोहड़ी 2024 : तिथि व समय

वैसे तो हर साल लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाती है, लेकिन इस साल 15 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति मनाई जा रही है। वहीं लोहड़ी का त्योहार मकर संक्रांति की पूर्व संध्या यानी एक दिन पहले मनाया जाता है। ऐसे में इस साल लोहड़ी का पर्व 14 जनवरी 2024 दिन रविवार को मनाया जाएगा। 14 जनवरी को लोहड़ी की पूजा का शुभ मुहूर्त रात 8 बजकर 57 मिनट पर है।

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कैसे मनाई जाती है लोहड़ी, जानिए परंपरा

लोहड़ी के दिन को सर्दियों के अंत का प्रतीक भी माना जाता है। यह पंजाब में रबी फसल की कटाई के जश्न के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार के दिन घर-घर जा कर गीत गाने की परंपरा है। बच्चे घर-घर लोहड़ी लेने जाते हैं और उन्हें गुड़, मूंगफली, तिल व गजक दिया जाता है। इस दिन घर-घर से लकड़ियां लेकर इकट्ठा की जाती है और शाम के समय घरों के आसपास खुली जगहों पर जलाई जाती है। पूजा के दौरान अग्नि में तिल, गुड़ और मक्का का भोग के रूप में चढ़ाया जाता है और उसके बाद सब में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। इस दौरान लोग घरों के बाहर ढोल या डीजे बजाकर पंजाबी गानों में डांस करते हैं। नवविवाहितों के लिए यह त्योहार बेहद खास होता है। आइए जानते हैं क्यों।

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नवविवाहितों के लिए खास है लोहड़ी

जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि लोहड़ी का त्योहार नवविवाहितों के लिए बहुत ही खास माना जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा का जिक्र किया गया है। कथा के अनुसार, जब राजा दक्ष ने भगवान शिव और देवी सती का अपमान किया था तो देवी सती ने आत्मदाह कर लिया था, जिसके बाद भगवान शिव ने क्रोध में आकर राजा दक्ष का सिर धड़ से अलग कर दिया था लेकिन ब्रह्मा जी की कहने पर भगवान शिव ने राजा दक्ष के सिर के बदले उन्हें बकरे का सिर दे दिया। 

इसके बाद देवी सती ने माता पार्वती के रूप में अपना पुनर्जन्म लिया तो राजा दक्ष ने लोहड़ी के अवसर पर माता पार्वती के ससुराल में उपहार भेजा और अपनी भूल के लिए क्षमा मांगा। तब से लेकर आज तक इस दिन नवविवाहित कन्याओं के ससुराल मायके से तोहफे भेजे जाते हैं। इस दिन शादीशुदा जोड़े सजते संवरते हैं। महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और लड़के नई पोशाक पहनते हैं।

लोहड़ी की कहानी

लोहड़ी के दिन दुल्ला भट्टी की कहानी जरूर सुनी जाती है। माना जाता है कि इस कहानी को सुने बिना यह त्योहार अधूरा माना जाता है। बता दें कि दुल्ला भट्टी भारत के मध्यकाल का एक वीर था, जो मुगल शासक अकबर के समय में पंजाब में रहता था।

पौराणिक कथा के अनुसार, मुगल काल में अकबर के दौरान दुल्ला भट्टी जो कि पंजाब में रहता था। कहा जाता है कि दुल्ला भट्टी ने पंजाब की लड़कियों की उस वक्त रक्षा की थी जब संदल बार में लड़कियों को अमीर सौदागरों को बेचा जा रहा था। वहीं एक दिन दुल्ला भट्टी ने इन्हीं अमीर सौदागरों से लड़कियों को छुड़वा कर उनकी शादी करवाई थी। यही वजह है कि हर साल लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी की कहानी महिलाओं की हिफाजत करना सिखाती है और गलत के खिलाफ आवाज उठाने की प्रेरणा देती है।

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लोहड़ी के त्योहार का महत्व

पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों में लोहड़ी के त्योहार का विशेष महत्व होता है और यह दिन किसानों के जीवन में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि इस दिन पुरानी फसल की कटाई की जाती है और गन्ने की फसल की बुवाई होती है। इस दिन किसान मिलकर भगवान को धन्यवाद देते हैं। कई किसान लोग इस दिन से नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि लोहड़ी के दिन अग्नि देव की पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि अग्नि देव की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि, शांति और खुशहाली आती है। साथ ही जीवन में सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं।

लोहड़ी का अर्थ

पौष माह के अंतिम दिन रात में लोहड़ी जलाने की परंपरा है। इस दिन के बाद प्रकृति में कई तरह के परिवर्तन देखने को मिलते हैं। लोहड़ी की रात साल की सबसे लंबी रात होती है और इसके बाद धीरे-धीरे दिन बड़े होने लगते हैं और मौसम भी अनुकूल होने लगता है यानी ठंड कम होने लगती है। यही कारण है कि इसके मौसमी त्योहार भी कहा जाता है। लोहड़ी का अर्थ जानें तो यह तीन शब्दों से मिलकर बना है, जहां ‘ल’ का अर्थ है लकड़ी, ‘ओह’ से गोहा यानी जलते हुए सूखे उपले और ‘ड़ी’ से रेवड़ी होता है इसलिए इस दिन मूंगफली, तिल, गुड़, गजक, चिड़वे, मक्के को लोहड़ी की अग्नि में निछावर करके खाने की परंपरा है।

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लोहड़ी पर किए जाने वाले आसान उपाय

  • मान्यता है कि लोहड़ी पर भगवान शंकर को जो भी भोग लगाएं उसे गरीब कन्याओं को खिलाना चाहिए। इससे कभी भी घर में अन्न की कमी नहीं होती है।
  • इस दिन लाल कपड़े में गेहूं बांधकर किसी गरीब ब्राह्मण को दान करना चाहिए। इससे आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  • लोहड़ी के त्योहार के दिन घर की पश्चिमी दिशा में काले कपड़े पर महादेवी की तस्वीर रखकर सरसों के तेल का दीया जलाना चाहिए। साथ ही, माता पार्वती को धूपबत्ती, सिंदूर, बेलपत्र और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करना चाहिए।
  • इस पावन दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। उसके बाद उन्हें गुड़ की रेवड़ी, गजह, मूंगफली का भोग लगाना चाहिए। फिद सरसो के तेल से दीप प्रज्वलित कर ‘ऊं सती शाम्भवी शिवप्रिये स्वाहा’ के मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।
  • लोहड़ी के द‍िन काली उड़द की खिचड़ी बनाकर उसे काली या सफेद गाय को खिला दें। माना जाता है कि ऐसा करने से परिवार के सदस्यों के बीच भी स्नेह बना रहता है।

लोहड़ी में राशि अनुसार अग्नि में डालें ये चीजें

लोहड़ी में अग्नि का विशेष महत्व है। इस दिन अग्नि में राशि के अनुसार आहुति देना बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं राशि के अनुसार किन चीजों की आहुति देने से सौभाग्य मिलता है।

मेष राशि

मेष राशि के जातक लोहड़ी के शुभ अवसर पर अग्नि में दो लौंग, तिल और गुड़ को अपने सिर से घुमाते हुए दाएं हाथ से डालें। इसके बाद अग्नि देवता से हाथ जोड़कर अपने परिवार व खुद के सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करें।

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों को इस दौरान साबुत चावल और मिश्री अपने दाएं हाथ से अग्नि में डालना चाहिए। इसके बाद अग्नि देवता से सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

मिथुन राशि

इस राशि के जातक को साबुत मूंग की दाल लोहड़ी के दिन अग्नि देवता को अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से कार्यक्षेत्र में आ रही समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

कर्क राशि

इस राशि के जातक को एक मुट्ठी चावल और खील बताशे अग्नि देव को अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से आर्थिक स्थिति में स्थिरता प्राप्त की जा सकती है।

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सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों को साबुत गेहूं के साथ गुड़ अपने दाएं हाथ से अग्नि में डालना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से घर में सुख शांति बनी रहती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों को इस पवित्र दिन एक मुट्ठी मूंगफली और साल लौंग और खील बताशे अग्नि देव को अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।

तुला राशि

तुला राशि वाले लोग लोहड़ी पर मुट्ठी ज्वार, दो लौंग और दो बताशे लेकर अपने दाएं हाथ से अग्नि में डालना चाहिए। इससे परिवार में एकता बनी रहती है और पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ता है।

वृश्चिक राशि

इस राशि के जातकों को लोहड़ी पर एक मुट्ठी मूंगफली, रेवड़ी और चार लौंग अपने दाएं हाथ से अग्नि में डालना चाहिए। इसके साथ ही अग्निदेव से जीवन में आ रही सभी प्रकार की परेशानियों से निजात पाने के लिए प्रार्थना करना चाहिए।

धनु राशि

इस राशि के जातक को चने की दाल, एक हल्दी की गांठ, दो लौंग और बताशे अपने दाएं हाथ से डालना चाहिए। ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और जातक पर अपनी विशेष कृपा बरसाती है।

मकर राशि

मकर राशि वाले लोगों को लोहड़ी पर अपने दाएं हाथ से एक मुट्ठी काली सरसों, दो लौंग और एक जायफल लेकर अग्नि में डालना चाहिए। ऐसा करने से व्यापार में तरक्की मिलती है और बिज़नेस तेजी से फलता-फूलता है।

कुंभ राशि

कुंभ राशि वाले लोग लोहड़ी पर एक मुट्ठी काला चना, दो लौंग और सात बताशे अपने दाएं हाथ से अग्नि में डालना चाहिए। ऐसा करने से भाई-बहनों से रिश्ता मजबूत होता है और हर मान-सम्मान में बढ़ोतरी होती है।

मीन राशि

मीन राशि के जातक लोहड़ी पर एक मुट्ठी पीली सरसों, तीन पत्ती केसर, पांच गांठ साबुत हल्दी और एक मुट्ठी रेवड़ी लेकर परिवार के साथ मिलकर अग्निदेव को अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से आपको विरोधी या फिर कहें शत्रु पर विजय हासिल होता है।

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