हिन्दू पूजा पद्धति में दीपक (दीया) का विशेष महत्व है। इसलिए हिन्दू घरों में रोजाना सुबह और शाम पूजा के समय दीप प्रज्वलित किया जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत सबसे पहले दीया जलाकर ही की जाती है। दीया जलाने की यह परंपरा हमारे दैनिक जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है। आपने बहुत से बॉलीवुड फिल्मों और टीवी सीरियल में भी दीया जलाने की इस प्रथा को ज़रुर देखा होगा। हालाँकि, हम में से बहुत से लोग नहीं जानते हैं कि हमारे हिंदू शास्त्र में बताई गई इस पवित्र प्रक्रिया के पीछे का वास्तविक महत्व क्या हैं। इसलिए हम इस लेख के जरिये आपको घर में पूजा के समय दीया जलाने के धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं की आखिर घर में दीया जलाना क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है।
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दीया जलाने का धार्मिक और ज्योतिषीय कारण
हिन्दू संस्कृति के निमित्त होने वाले सभी कर्म काण्ड धार्मिक भावना के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी सटीक बैठते हैं। उन्हीं में से एक महत्वपूर्ण उदाहरण है – घर में पूजा के समय दीया जलाना। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, यह दीपक, न केवल हमारे घरों से, बल्कि हमारे दिल और दिमाग से भी अंधेरा दूर करता है और हमें शुद्ध करता है। वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी और आकाश इन सभी पंच तत्वों में से अग्नि को सबसे शुद्ध माना गया है। रामायण काल में सीता जी से भगवान् श्री राम ने इसलिए अग्नि परीक्षा की मांग की थीहमारी क्योंकि संसार में सबसे ज्यादा शुद्ध अग्नि ही है। इसलिए दीया जलाकर अग्नि के रूप में हम हमारे ईश्वर को अपनी सच्ची श्रद्धा भाव व्यक्त कर सकते हैं। ऋग्वेद में, अग्नि को ‘पावक’ कहा जाता है जिसका अर्थ है शुद्ध। इसलिए, हमारे घर पर दीया जलाने से महान सात्विक वातावरण बनाने में मदद मिलती है जो यह सुनिश्चित करता है कि सब कुछ अच्छा, सही और पवित्र होगा।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक संधि काल में नकारात्मक शक्तियाँ बेहद प्रभावशाली होती हैं। उन्हीं नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के लिए संधि काल यानि सुबह और शाम को दीप प्रज्वलित करने का विधान है। संधि काल में दीया जलाने से हमारे जीवन में आने वाले नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और जीवन में प्रकाश एवं ऊर्जा आती है। साथ ही घर पर नियमित रूप से दीया जलाने से व्यक्ति की कुंडली पर सूर्य के प्रभाव को उजागार कर उसे शुभ फलदायी बनाता है। व्यक्ति के जीवन पर सूर्य के सकारात्मक प्रभाव पड़ने की वजह से व्यक्ति शाही जीवन जीता है।
हमें रोजाना अपने घरों में दिन की शुरुआत दीया जलाकर प्रभु की प्रार्थना करते हुए निम्नलिखिति मंत्र जाप के साथ करनी चाहिए।
दीप मंत्र
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा ।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते ।।
दीपज्योति:परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दन: ।
दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते ।।”
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घर में दीया जलाने का महत्व
- जैसे ही हम दीया / दीपक जलाते हैं, यह हमारे घरों से अंधेरे को हटा देता है। दीया जलाने से हमारे आस-पास की नकारात्मक शक्तियों का भी खात्मा होता है और हमारे भीतर सकारात्मक शक्तियों का संचार होता है।
- दीये से निकलने वाला प्रकाश ज्ञान का द्योतक है, जबकि वह जिस अंधकार को काटता है वह हमारी अज्ञानता का प्रतीक है।
- दीये में प्रजवल्लित होने वाला प्रकाश अग्नि का रूप होता है, जिसे पंच तत्वों में सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है। दीया जलाने का अर्थ है की हमारा परिवेश अब शुद्ध और पवित्र हो गया है।
- हमारे घरों में दीपक जलाना शुभता, पवित्रता, आध्यात्मिकता और हमारे आस-पास समृद्धि को बढ़ाता है, क्योंकि प्रकाश इन विशेषताओं का प्रतीक है।
- दीया का हर हिस्सा हिंदू धर्म के तीन मुख्य देवी-देवताओं में से एक का प्रतीक है। घी, तेल और ज्योति, देवी लक्ष्मी जिन्हें धन की देवी कहा जाता है का प्रतीक माना जाता है।
- ज्योति की चमक देवी सरस्वती का प्रतीक है, जो हमें शिक्षा और ज्ञान के साथ श्रेष्ठ बनाती है।
- दीये से निकलने वाली गर्मी देवी दुर्गा को दर्शाती है जो सभी बुराईयों को जलाकर नष्ट कर देती है।
- जब हम एक दीपक जलाते हैं, तो अग्नि हमेशा ऊपर की तरफ इंगित करती है, यह दर्शाता है कि यह आपकी आत्मा को ईश्वर से मिलाने की कोशिश कर रहा है।
- दीया हमारे चारों ओर सकारात्मक आभा को सक्रिय करता है, जिससे हमारी सभी समस्याएं दूर रहती हैं।
- यहां तक कि वैज्ञानिक आंकलन के आधार पर भी ये देखा गया है कि दीपक का प्रकाश कमरे से नकारात्मक आभा को दूर करता है, हमारे परिवेश को सकारात्मकता से भर देता है, और हमारे शरीर में आम बीमारियों के इलाज के लिए हमारी त्वचा में प्रवेश करता है।
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अब आप इस बात से भली भांति अवगत हो चुके होंगे की आखिर क्यों हमारे बड़े बुजुर्ग हमें रोज़ाना नियमित रूप से दीया जलाने के लिए कहते हैं। हम आशा करते हैं की इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए कारगर साबित होगी।