लाल किताब क्यों है खास, जानें इससे जुड़ी रोचक जानकारी

लाल किताब (Lal Kitab) को फलित ज्योतिष का महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। इस किताब में ऐसे उपाय दिये जाते हैं जिनको करने से जीवन की परेशानियों को दूर किया जा सकता है। इस किताब से जुड़ी रोचक जानकारियों और इसके इतिहास के बारे में हम आज इस लेख में चर्चा करेंगे और साथ ही इस किताब में दिए गए कुछ महत्वपूर्ण उपायों के बारे में। 

लाल किताब  का इतिहास (Lal Kitab Ka Itihas)

इस किताब के इतिहास को लेकर बहुत स्पष्टरूप से ज्ञात नहीं है। इसका निर्माण मूल रूप से कैसे और किसने किया यह पता नहीं है लेकिन पंजाब के रहने वाले पंडित रूप चंद जोशी ने इसे पांच खंड़ों में प्रकाशित किया था। उन्होंने इस किताब को पांच खंडों में 1939 से 1942 के बीच प्रकाशित किया था। शुरूआत में इस पुस्तक के दस्तावेज मिले तो वह फारसी और अरबी भाषा में थे। संभवत: मुगल काल में इस पुस्तक को लिपिबद्ध किया गया होगा। 

खुदाई के दौरान मिली लाल किताब की पट्टिकाएं

रूप चंद जोशी जिन्होंने यह पुस्तक प्रकाशित करवाई थी वह बंटवारे के बाद चडीगढ़ आ गए थे। वह फौज में अफसर दे और अरबी, फारसी भाषा को उन्हें थोड़ा ज्ञान था। एक बार जब लाहौर में खुदाई काम चल रहा था तो उसमें लोगों को ताम्र की पट्टिकाएं मिलीं जिनमें अरबी और फारसी भाषा में कुछ लिखा हुआ था। रूपचंद जी ने जब पट्टिकाओं में लिखे शब्द पढ़े तो वह चकित हो गए, इन पट्टिकाओं में ज्योतिष से जुड़ी बातें लिखी गई थीं। रूपचंद जी ने इन पट्टिकाओं में लिखी बातों को ढ़ग से समझने के लिए उन्हें अपने पास ही रख लिया। 

उन्हें इन पट्टिकाओं से जो बातें समझ आयी उन्हें उन्होंने अपनी लाल कवर वाली एक पुस्तक में लाल पेन से अंकित कर दिया, उन्होंने उर्दू में इस पुस्तक का अनुवाद किया था। इसके बाद जब उन्होंने यह किताब प्रकाशन के लिए भेजी तो उसमें लेखक में अपना नाम न लिखते हुए गिरधारीलाल लिखा क्योंकि उस समय वह सरकारी पद पर थे और यह कार्य वह नहीं कर सकते थे। उसके बाद यह किताब धीरे-धीरे जनमानस तक पहुंच बनाती गई। यह संभव है कि भारत के पुरातन ज्ञान को सहेजने के लिए किसी ने इन पट्टिकाओं को मुगल काल के दौरान छुपा दिया हो।  

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लाल किताब को माना जाता है पहाड़ों की विद्या

कुछ लोगों का मानना है कि लाल किताब की रचना पहाड़ों में पाई जाने वाली एक विद्या से हुई। इस विद्या के अनुसार एक अकाशवाणी के जरिये लोगों को जीवन को सुधारने की सलाह दी जाती थी। उत्तराखंड और हिमाचल में आज भी लोग इस अकाशवाणी के बारे में चर्चा करते हैं, इसे उत्तराखंड और हिमाचल में धै, ध्योड़ा के नाम से भी जाना जाता है। अकाशवाणी से प्राप्त ज्ञान को पहले तो लोगों ने मुंह जुबानी आने वाली पढ़ियों में आगे बढ़ाया लेकिन रूपचंद जोशी जी ने हिमाचल से इस किताब से संबंधित एक प्राचीन पांडुलिपि प्राप्त होने के बाद इसका प्रकाशन किया। 

लाल किताब में क्या है?

मुख्य रूप से यह किताब व्यक्ति को जीवन को सुधारने के लिए उपाय देती है। इसे फलित ज्यातिष का रूप माना जाता है। इस किताब में इतने सरल उपाय हैं कि उन्हें हर कोई बहुत आसानी से कर सकता है। इस ग्रंथ में मानव के मस्तिष्क के 42 प्रभावों को कुंडली के सभी 12 भावों से जोड़ा गया है।  इसमें न केवल ज्योतिष बल्कि हस्तरेखा विज्ञान का भी समन्वय किया गया है और इन दोनों ही विद्याओं की मदद से इसमें फल बताए जाते हैं। यह पुस्तक मंहगे कर्मकांडों से इतर बहुत सरल उपाय सुझाती है। इसमें मुख्य रूप से किसी काम को 43 दिनों तक करने को कहा जाता है, यह उपाय होता है, इसके साथ ही पानी में कुछ चीजों को बहाकर भी व्यक्ति अपनी परेशानियों को दूर कर सकता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो लाल किताब में दिए गए उपाय बहुत सुलभ होते हैं। जब से लाल किताब अस्तित्व में आयी तब से इसने लाखों लोगों की परेशानियों को हल करने का काम किया है। 

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अन्य भाषाओं में लाल किताब का रुपांतरण

लाल किताब मुख्य रूप से उर्दू और फारसी में लिखी गई मानी जाती है। पहले इसमें मौजूद उपाय लोगों को मुहं जुबानी याद थे लेकिन कालांकतर में हिमाचल, उत्तरांखड और पंजाब से होते हुए इस किताब की पहुंच अफगानिस्तान तक हुई। लाल किताब का रुपांतरण हिंदी भाषा में 1952 में किया गया। चड़ीगढ़ में इसे अरुण प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया था इसलिए इसका नाम वहां अरुण संहिता लाल किताब पुकारा जाता था। इस किताब की भाषा आम लोगों की भाषा की तरह थी इसलिए जब इसका अनुवाद हुआ तो कुछ तथ्य पूर्ण रूप से इसमें समाहित नहीं हो पाए। बावजूद इसके लाल किताब के अनुवाद ने इसे भारत के हर प्रांत के लोगों के लिए सुलभ कर दिया। अब यह पुस्तक विदेशों में भी प्राप्त हो जाती है। हिंदी, अंग्रेजी के साथ इसका अनुवाद अब कई प्रांतीय भाषाओं में भी हो चुका है। 

क्या बनाता है लाल किताब को विशेष 

जैसा कि इस लेख में पहले भी बताया जा चुका है कि लाल किताब में समस्याओं को सुलझाने के जो उपाय हैं वह बहुत सरल हैं और इसलिए यह पुस्तक बहुत विशेष मानी जाती है। इसमें लोगों को महंगे रत्न या कर्मकांड की सलाह नहीं दी जाती बल्कि ऐसे उपाय बताए जाते हैं जो लोग आसानी से कर सकें। इन्हें लाल किताब के टोटके भी कहा जाता है। इस किताब में मुख्य रूप से जो उपाय हैं वह कन्याओं का आशीर्वाद, वृक्षों में जल अर्पित करना, पानी में सिक्के आदि बहाना जैसे हैं लेकिन यह उपाय कुछ निश्चित समय तक करने होते हैं। लाल किताब जटिल समस्याओं का भी बहुत सरल हल बताती है यही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। 

लाल किताब के कुछ उपाय

लाल किताब में यूं तो कई उपाय मिलते हैं लेकिन कुछ विशेष उपायों के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं। 

  • ऐसा माना जाता है कि कुंडली के अनुसार यदि कोई जातक बुधवार के दिन अपना नाक या कान छिदवाए तो उसके जीवन की समस्याओं का अंत हो जाता है। 
  • घऱ में 150 ग्राम से अधिक का हाथी रखने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं। 
  • पारिवारिक शांति के लिए पानीदार नारियल लेकर 21 बार घर के लोगों के ऊपर वारकर उसे पानी में प्रवाहित करने से पारिवारिक जीवन की परेशानियां दूर होती हैं। 
  • लाल किताब(Lal Kitab) के अनुसार यदि आप अपनी इच्छा को पूरा करना चाहते हैं तो 43 दिन तक काली गाय को आलू को पीला करके खिलाएं और इस दौरान खुद गुड़ का सेवन न करें। 
  • लाल किताब के अनुसार यदि प्रतिदिन हनुमान चालीसा का नियम से पाठ किया जाए तो जीवन में किसी तरह की अनहोनी नहीं होती। 

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