लक्ष्मी पंचमी व्रत: जानें पूजन विधि और पौराणिक कथा

लक्ष्मी पंचमी पर पूजा करने से होतें है अनेकों लाभ

माता लक्ष्मी जिन्हें हिन्दू धर्म में धन-संपत्ति, वैभव, सुख और समृद्धि इत्यादि की देवी माना गया है, उनका एक ख़ास व्रत त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाये जाने का प्रावधान है। यही वजह है कि इस दिन को लक्ष्मी पंचमी या श्री पंचमी भी कहा जाता है।

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इस दिन माता लक्ष्मी की प्रसन्नता पाने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए पूजा और उपवास भी किया जाता है। जिस किसी भी इंसान को उनके जीवन में सुख-समृद्धि, और धन प्राप्ति की चाह हो उन्हें विशेषकर लक्ष्मी पूजन करने की सलाह दी जाती है। आइये जानते हैं इस वर्ष कब है लक्ष्मी पूजन? इसका मुहूर्त? पूजन विधि और महत्व इत्यादि महत्वपूर्ण बातें।  

जानिए कब है लक्ष्मी पंचमी?

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को किया जाने वाला श्री लक्ष्मी पंचमी व्रत इस वर्ष 29 मार्च, 2020 रविवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन माता लक्ष्मी की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए भक्त दिन भर व्रत रहते हैं और देवी की पूजा-अर्चना करते हैं और रात में माँ लक्ष्मी की विधिवत पूजा करते हैं। 

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लक्ष्मी पंचमी पूजन विधि 

लक्ष्मी पंचमी का ये ख़ास व्रत विशेष विधि से किये जाने की मान्यता है। जानिए क्या है वो विधि :

  1. मान्यता  है कि इस पूजा के लिए चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को स्नान करके साफ़ कपड़े पहनने चाहिए। 
  2. इसके बाद रात में दही और भात भोजन के तौर पर ग्रहण करना चाहिए। 
  3. अगले दिन यानि कि लक्ष्मी पंचमी के दिन जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और फिर माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।
  4. अगर मुमकिन हो तो इस दिन माँ लक्ष्मी को सोने,चाँदी, तांबा का कमल चढ़ाना चाहिए। 
  5. इस दिन की पूजा में अनाज, हल्दी, गुड़, अदरक इत्यादि अवश्य शामिल करना चाहिए।
  6. लक्ष्मी पूजन में कमल के फूल, घी, बेल के टुकड़े जैसी चीज़ों से हवन कराने का भी बहुत महत्व बताया गया है।

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जानिए लक्ष्मी पूजन का महत्व

यूँ तो हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाले हर व्रत, हर त्यौहार का अपना अलग महत्व होता ही है लेकिन इन सभी व्रत-त्योहारों का मुख्य उद्देश्य भक्तों के जीवन में खुशियाँ, और सकारात्मक ऊर्जा लाना अवश्य ही होता है। अब जानते हैं लक्ष्मी पूजन का महत्व, लक्ष्मी पूजन के बारे में बताया जाता है कि क्योंकि चैत्र शुक्ल की पंचमी तिथि को सात कल्पादि तिथियों में से एक माना जाता है और, लक्ष्मी पूजन इसी दिन मनाया जाता है इसलिए ये बेहद सौभाग्यशाली माना गया है।

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इसके अलावा ये दिन नवरात्रि का पांचवा दिन भी होता है इसके चलते भी ये दिन ख़ास होता है। इसके अलावा चैत्र मास के शुक्ल पक्ष से ही हिंदू नव वर्ष की शुरुआत भी होती है, ऐसे में इस दिन को लेकर ये माना जाता है कि अगर नव वर्ष की शुरुआत में ही मां लक्ष्मी की पूजा की जाये तो इससे माँ वर्षभर हम पर मेहरबान रहेंगी। इसके अलावा बात करें अगर अंग्रेजी कलैंडर की तो उसके अनुसार भी यह दिन वित्तीय वर्ष की शुरुआत को दर्शाता है यानि कि इस लिहाज़ से भी धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने के लिए ये दिन सबसे उपयुक्त होता है।

जानिए लक्ष्मी पूजन से जुड़ी कथा

एक बार माता लक्ष्मी देवताओं से रूठकर क्षीर सागर में जाकर मिल गयी। माँ लक्ष्मी के यूँ चले जाने से सभी देवता माँ लक्ष्मी यानि श्री विहीन हो गए। तब इंद्र देव ने माँ लक्ष्मी को पुनः खुश करने के लिये कठोर तपस्या करनी शुरू की और उपवास भी रखा। इंद्र देव को ऐसा करते देखकर बाकी सभी देवताओं ने भी माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए व्रत और तपस्या शुरू कर दी। अपने प्रति सबकी ये भक्ति देखकर देवी लक्ष्मी ने पुनः सबके सामने प्रकट होने का फैसला लिया। बताया जाता है कि इसी के बाद ही माता लक्ष्मी का और भगवान श्री विष्णु का विवाह हुआ। कहा जाता है कि यह तिथि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि ही थी। और यही वजह है कि तबसे इस दिन को लक्ष्मी पंचमी के व्रत के रूप में मनाया जाने लगा।

लक्ष्मी पूजन-व्रत फल

  • कहा जाता है कि इस दिन जो भी इंसान विधिपूर्वक माँ लक्ष्मी की पूजा करता  है वो अपने साथ-साथ अपने 21 कुलों के लिए लक्ष्मी लोक में निवास का मार्ग खोल देता है। 
  • स्त्रियों में जो भी इस व्रत को निष्ठापूर्वक रखती हैं वो इसके फलस्वरूप सौभाग्य, रूप, संतान, और धन से अवश्य समपन्न हो जाती हैं। 
  • विधि-विधान से जो कोई भी मनुष्य इस दिन पूजा-पाठ और व्रत-उपवास रखते हैं उन्हें साल-भर माता का आशीर्वाद प्राप्त रहता है। 
  • अगर आपको जीवन में पैसे की दिक्कत, नौकरी से जुड़ी कोई परेशानी या फिर व्यवसाय में नाकामी हाथ लगती है तो मां लक्ष्मी की विशेष मंत्रोच्चारण के साथ उपासना करें। 

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