आज सावन सोमवार के दिन अमरनाथ यात्रा के लिए उमड़ा श्रद्धालुओं का जमावड़ा

अमरनाथ यात्रा फिलहाल अपने चरम पर है और साथ ही अपने चरम पर है देशभर में सावन माह की धूम। ऐसे में आकड़ों को देखें तो सवान माह का यूँ तो अभी पहला ही सोमवार निकला है और आज दूसरा सोमवार ही है लेकिन बावजूद इसके अभी तक लाखों श्रद्धालु सावन के पवित्र महीने में बाबा बर्फानी के दर्शन का लाभ ले चुके है। साथ ही उम्मीद की जा रही है कि सावन माह के आने वाले दिनों में अभी और ज्यादा बाबा बर्फानी के भक्तों की तादाद बढ़ जाएगी। इसी संभावना को देखते हुए सरकार द्वारा भी अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए जा रहे हैं। भारतीय सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस के साथ ही ITBP, NDRF, SDRF, MRT के जवान श्रद्धालुओं की चौकसी के लिए पूरी तरह तैयार नज़र आ रही है।

सावन में अमरनाथ यात्रियों की संख्या में हुई रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी

यूँ तो इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से ही शुरू हो गई थी, जो सावन माह के खत्म होने तक यानी 15 अगस्त तक जारी रहेगी। महादेव के धाम अमरनाथ में इस वर्ष भी प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा सावन माह की पवित्रता को देखते हुए भक्तों की संख्या में भी बड़ा इजाफ़ा दर्ज किया जा रहा है और अभी सावन महीने की समाप्ति तक इस संख्या में और ज्यादा बढ़ोतरी होने की उम्मीद जताई जा रही है।

सावन के पहले सोमवार को लगभग 3,178 श्रद्धालुओं का जत्था हुआ यात्रा के लिए रवाना

जैसा सभी जानते हैं कि अमरनाथ की गुफा में प्रति वर्ष रहस्यमय तरीके से बर्फ का शिवलिंग कुदरत द्वारा बनाया जाता है, जिसे लोग भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों का प्रतीक मानकर उनके दर्शन करते हैं। महादेव के बर्फानी रूप के दर्शन के लिए सावन के पहले सोमवार को देशभर से लगभग 3,178 श्रद्धालुओं का एक और जत्था रवाना हुआ। प्रशासन की माने तो इस साल यात्रा शुरू होने के बाद से ही अब तक यानी महज 21 दिनों में 2.7 लाख से अधिक शिवजी के भक्तों ने समुद्र तल से 3,888 मीटर ऊपर स्थित उनके बर्फानी स्वरूप के दर्शन कर लिए है।

अमरनाथ यात्रा होती है बेहद दुर्गम

अमरनाथ की यात्रा के समय भक्तों को बेहद दुर्गम पहाड़ी रास्तों को पार कर गुफा तक पहुँचना होता है। इसलिए यहाँ की यात्रा करना बेहद कठिन माना जाता है। बाबा बर्फानी की इस गुफा तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं। तीर्थयात्री या तो 14 किमी छोटे बालटाल मार्ग से जाते हैं या फिर 45 किमी लंबे पहलगाम मार्ग से होकर बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए गुजरते हैं। बालटाल मार्ग से जाने वाले श्रद्दालुओं को दर्शन करने वाले दिन ही बेस कैंप वापस लौट आना होता है। जम्मू में स्थित होने के कारण इन दोनों ही रास्तों में जगह-जगह आर्मी के जवान तैनात होते है। इसके अलावा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए शिविर और भंडारे व रात्रि विश्राम के इंतज़ाम भी किये जाते हैं।

अभी यात्रियों की संख्या में और भी होगा इज़ाफा

इन कठिनाओं के बावजूद भी भक्तों की संख्या में कोई भी गिरावट नहीं आई है। आंकड़ों की बात करें तो श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड के अधिकारियों का मानना है कि एक जुलाई को यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 21 दिनों में 2,72,004 श्रद्धालुओं ने पवित्र शिवलिंग के दर्शन कर लिए हैं। जिसमें भगवती नगर यात्री निवास से 3,178 यात्रियों का एक जत्था सावन के पहले सोमवार को सुरक्षा सहित दो काफिलों में रवाना किया गया। इनमें से 1,544 यात्री बालटाल आधार शिविर जा रहे हैं जबकि 1,634 यात्री पहलगाम आधार शिविर जा रहे हैं। स्थानीय मुस्लिम समुदाय भी इस वर्ष हिंदुओं की इस तीर्थयात्रा को सुरक्षित और यात्रियों को सुविधा मुहैया कराने के लिए बढ़-चढ़कर सहायता करते दिखाई दे रहे हैं।

सन 1850 में हुई थी पवित्र गुफा की खोज

हिन्दू धर्म के अनुसार, अमरनाथ गुफा में बर्फ की विशाल संरचना बनती है जो भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों की प्रतीक है। इस पवित्र गुफा की खोज सन 1850 में बूटा मलिक नाम के एक मुस्लिम चरवाहे ने की थी। पौराणिक मान्यताओं की माने तो एक सूफी संत ने उस चरवाहे को कोयले से भरा एक बोरा दिया था, जो बाद में सोने से भरे बोरे में बदल गया था। जिसके चलते लगभग 150 सालों से आज तक चरवाहे के वंशजों को पवित्र गुफा पर आने वाले चढ़ावे का कुछ भाग दिया जाता है।

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