इस विधि से करें कुबेर देव की पूजा भरेंगे धन-धान्य के भंडार

बाज़ार में दिवाली की रौनक दिखने लगी है। हिन्दू धर्म का यह सबसे बड़ा त्यौहार जो है। यह पर्व तीन से चार दिनों तक चलता है। धनतेरस से इस त्यौहार की शुरुआत होती है और गोवर्धन पूजा को इसकी समाप्ति होती है। दिवाली में धन की देवी माँ लक्ष्मी, भगवान गणेश जी की पूजा के साथ-साथ धन के देवता कुबेर जी की पूजा का विधान है। 

मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि कुबेर देव की पूजा के बिना दीवाली पूजा अधूरी होती है। यदि धनतेरस या दिवाली के दिन सच्ची श्रद्धा के साथ कोई व्यक्ति कुबेर भगवान पूजा विधि विधान से करता है तो उसके जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। 

कुबेर ऐसे बने थे धन के देवता 

पौराणिक मान्यता के अनुसार कुबेर देवता अपने पिछले जन्म में एक ब्राह्मण थे। जिनका नाम गुणनिधि था। प्रारंभ में उनका स्वभाव अच्छा था परंतु बुरी संगति में पड़ने के कारण उन्होंने अपने घर की सारी संपत्ति को नष्ट कर दिया। एक दिन वह अपने घर से भागकर जंगल चला गया। वहाँ भूख और प्यार के कारण गुणनिधि तड़प उठा। कहते हैं उस दिन शिवरात्रि थी और भोजन की तलाश में वह एक शिव मंदिर पहुँच गया। 

उसके मन में शिव मंदिर रखे प्रसाद को चुराने का विचार आया। किंतु भक्तों के होने से वह दिन में ऐसा न कर सका। उसने रात तक भक्तों के सोने का इंतज़ार किया। जब भक्त सो गए तब उसने शिव के प्रसाद को चुराकर भागने की कोशिश की, इस बीच मंदिर के पुजारी ने चोर समझकर उस पर बाण चला दिए और इससे उसकी मृत्यु हो गई।

जब उसकी आत्मा को यमदूत ले जा रहे थे तभी भगवान शिव ने अपने सेवकों को उसे लाने का आदेश दिया। सेवक गुणनिधि की आत्मा को शिव के पास ले आए। भगवान शिव ने गुणनिधि से कहा कि मैं तुम्हारी अनचाही भक्ति से प्रसन्न हुआ हूँ। इसलिए तुम्हारे सारे पाप मुक्त हो गए हैं और तुम्हें शिवलोक की प्राप्ति हुई है। इसके बाद गुणनिधि कुबेर देवता बन गए। 

कुबेर देव की सही पूजा विधि

  • कुबेर देव की पूजा धनतेरस और दिवाली के दिन करें। 
  • सबसे पहले एक साफ चौकी लें और उस पर गंगाजल छिड़कें। 
  • अब उस चौकी पर एक लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर भी गंगाजल छिड़कें।
  • चौकी पर अक्षत डालकर गणेश जी, माँ लक्ष्मी और कुबरे की प्रतिमा स्थापित करें। 
  • इसके बाद अपने आभूषण, पैसे और सभी कीमती चीजें भगवान कुबेर के आगे रखें। 
  • आभूषण के डिब्बे पर स्वास्तिक बनाएं या फिर स्वास्तिक बनाकर अपने सभी पैसे और आभूषण उस पर रखें। 
  • कुबेर देव का तिलक करें और सभी आभूषणों और पैसों को अक्षत अर्पित करें।
  • फल और फूल, माला अर्पित करें और आभूषण और पैसों पर भी फूल अर्पित करें।
  • कुबेर त्वं धनाधीश गृहे ते कमला स्थिता। तां देवीं प्रेषयाशु त्वं मद्गृहे ते नमो नम:।। मंत्र का जाप करें। 
  • मिठाई का भोग लगाएं।
  • इसके बाद कुबरे देव की धूप व दीप से आरती उतारें। 
  • अब उन्हें जल अर्पित करें। 
  • अंत में भूच चूक की क्षमा माँगें और उनका आशीर्वाद सदैव जीवन पर बना रहे, ये कामना करें।

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