इष्ट देव या देवी का निर्धारण हमारे जन्म-जन्मान्तर के संस्कारों से होता है। ज्योतिष में जन्म कुंडली के पंचम भाव से पूर्व जन्म के संचित धर्म, कर्म, ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा,भक्ति और इष्टदेव का बोध होता है। जन्मकुंडली के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के इष्ट देवी या देवता निश्चित होते हैं। यदि उन्हें जान लिया जाए तो कितने भी प्रतिकूल ग्रह हो, आसानी से उनके दुष्प्रभावों से रक्षा की जा सकती है। वास्तव में सभी दैवीय शक्तियां अलग-अलग निश्चित चक्र में हमारे शरीर में पहले से ही विराजमान होती हैं |
हम पूजा अर्चना के माध्यम से ब्रह्माण्ड से उपस्थित दैवीय शक्ति को अपने शरीर में धारण कर शरीर में पहले से विद्यमान शक्तियों को सक्रिय कर देते हैं, और इस प्रकार से शरीर में पहले से स्थित ऊर्जा जाग्रत होकर अधिक क्रियाशील हो जाती है। इसके बाद हमारे सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है। ज्योतिष के माध्यम से हम पूर्व जन्म की दैवीय शक्ति अथवा ईष्टदेव को जानकर तथा मंत्र साधना से मनोवांछित फल को प्राप्त करते हैं।
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यही कारण है अधिकांश विद्वान पंचम भाव के आधार पर इष्टदेव का निर्धारण करते हैं और वहीं कुछ लोग पंचम भाव और उस भाव से सम्बन्धित राशि तथा राशि के स्वामी के आधार पर ईष्टदेव का निर्धारण करते हैं। नवम भाव से उपासना के स्तर का ज्ञान होता है ज्योतिष के माध्यम से हम पूर्व जन्म की दैवीय शक्ति अथवा ईष्टदेव को जानकर तथा मंत्र साधना से मनोवांछित फल को प्राप्त करते है। अपनी जन्म कुंडली आधारित इष्टदेव जानना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें।
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कैसे करें इष्टदेव की पहचान
भक्ति और आध्यात्म से जुड़े अधिकांश लोगों के मन में हमेशा यह प्रश्न उठते रहता है मेरा ईष्टदेव कौन हैं और हमें किस देवता की पूजा अर्चना करनी चाहिए? किसी भक्त के प्रिय शिव जी हैं तो किसी के विष्णु तो कोई राधा कृष्ण का भक्त है तो कोई हनुमानजी का और कोई-कोई लोग तो सभी देवी देवताओ का एक साथ स्मरण करते हैं। परन्तु एक उक्ति है कि “एक साधै सब सधै, सब साधै सब जाय”। जैसा की आपको पता है कि, अपने अभीष्ट देवता की साधना तथा पूजा अर्चना करने से हमें शीघ्र ही मन चाहे फल की प्राप्ति होती है। आज मैं इस लेख के माध्यम से आपके अन्तर्मन् में उठने वाले सवालों का जबाब देने की कोशिश करता हूँ।
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इष्टदेव निर्धारण के विविध आधार
ईष्टदेव को जानने की विधियों में भी विद्वानों में एक मत नही है।
- कुछ लोग नवम भाव और उस भाव से सम्बन्धित राशि तथा राशि के स्वामी के आधार पर ईष्टदेव का निर्धारण करते है।
- वहीं कुछ लोग पंचम भाव और उस भाव से सम्बन्धित राशि तथा राशि के स्वामी के आधार पर ईष्टदेव का निर्धारण करते है।
- कुछ विद्वान लग्न लग्नेश तथा लग्न राशि के आधार पर इष्टदेव का निर्धारण करते है।
- त्रिकोण भाव में सर्वाधिक बलि ग्रह के अनुसार भी इष्टदेव का चयन किया जाता है।
- कुंडली में आत्मकारक ग्रह के आधार पर इष्टदेव का निर्धारण करना चाहिए।
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जन्मराशि के अनुसार इष्टदेव
मेष- मेष राशि वाले लोग सूर्य देव की पूजा करें।
वृष- वृष राशि वाले लोगों के लिए विष्णु जी की पूजा करना शुभ रहेगा।
मिथुन- मिथुन राशि वाले लोग माता लक्ष्मी की पूजा करें।
कर्क – कर्क राशि वाले लोग हनुमान जी का पूजन करें।
सिंह- सिंह राशि वाले लोग गणेश जी को अपना इष्ट मानकर पूजा करें।
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कन्या- कन्या राशि वाले लोगों के लिए मां काली का पूजन करना लाभकारी रहेगा।
तुला- तुला राशि के लोग कालभैरव या शनि देव की पूजा करें।
वृश्चिक- वृश्चिक राशि के जातक कार्तिकेय जी की पूजा करें।
धनु- धनु राशि के जातक हनुमान जी की पूजा करें।
मकर- मकर राशि के लोगों के लिए दुर्गा जी की पूजा करना लाभकारी रहेगा।
कुम्भ- कुम्भ राशि के जातक विष्णु जी या सरस्वती जी की पूजा करें।
मीन- मीन राशि वाले लोग शिव जी की पूजा करें तथा पूर्णिमा के चाँद को अर्घ्य देकर दर्शन करें।
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