मदर्स डे 2021: इन उपायों से बनाए माँ के साथ अपना रिश्ता और भी मज़बूत !

कहते हैं धरती पर अगर कोई भगवान है तो वो है “माँ”! माँ के साथ एक ऐसा रिश्ता होता है, जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। वैसे तो माँ के लिए कोई एक दिन नहीं हो सकता, लेकिन वो अलग बात है कि एक खास दिन को माँ के नाम समर्पित कर दिया गया है। हर साल मई महीने के दूसरे हफ्ते में रविवार के दिन “मदर्स डे” मनाया जाता है। इस साल यह खास दिन रविवार, 09 मई को मनाया जा रहा है। यह बात बतलाने वाली नहीं है कि अपनी सारी परेशानियों, दुखों को एक तरफ कर अपने बच्चों की हर खुशी का ध्यान रखती है माँ! मदर्स डे का दिन लोगों को अपनी माँ से जुड़ी भावनाओं को जाहिर करने का मौका देता है। इसीलिए इस खास दिन को और भी खास बनाने के लिए ज़रूर पढ़ें हमारा यह लेख।

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‘माँ ‘ शब्द का केवल उच्चारण करने से ही मनुष्य में विश्वास और प्रेम की भावना उत्पन्न होती है। इस ब्रह्माण्ड का निर्माण भी बिना माँ के संभव नहीं है, इसलिए हम अपनी प्रकृति यानि धरती को भी माँ कहकर संबोधित करते हैं। एक माँ और उसके बच्चे के बीच का रिश्ता बहुत ही अनमोल होता है और उस रिश्ते का वर्णन करने के लिए शब्द हमेशा कम पड़ेंगे। मां भगवान का बनाया सबसे नायाब तोहफ़ा है। हर इंसान के जीवन में माँ ही वो महिला होती है, जो बिना आपके कुछ बोले ही आपकी भावनाओं को समझ जाती है। दुनिया वालों के लिए एक व्यक्ति चाहे कितना भी बुरा क्यों ना हो, लेकिन वही इंसान माँ के लिए वह सबसे प्यारा होता है। शायद इसलिए आज तक कोई भी मां की ममता को शायद कोई नहीं समझ सका। 

माँ को कहते हैं त्याग की मूर्ति 

माँ से बच्चे का रिश्ता तब शुरू होता है, जब कोई महिला गर्भधारण करती है। 9 महीने माँ बच्चे को अपनी कोख़ में रखती है। इस दौरान न जाने कितने बदलावों से होकर उसे गुज़ारना पड़ता है। चलने-फिरने, खाने-पीने, सोने यहाँ तक की खांसते समय भी उसे बेहद ध्यान रखना होता है। मूड स्विंग्स, शरीर में बदलाव, ज़ी मिचलना, खाने में स्वाद नहीं आना, बार-बार उलटी आना, प्रसव के समय हुई पीड़ा और भी ऐसी और इससे भी बड़ी कई चीज़ें जो एक माँ ख़ुशी-ख़ुशी इस उम्मीद में सहती है कि 9 महीने बाद जब वो पहली बार अपने बच्चे को गोद में लेगी, तो उस पल की ख़ुशी उसके इन बीते 9 महीनों में झेले सारे दुःख-दर्द को गायब कर देगी। सिर्फ पैदा होने पर ही नहीं बल्कि अपनी ज़िंदगी की आखिरी सांस तक माँ अपनी ख़ुशी, सेहत और सारी चीज़ों से पहले अपने बच्चों की ख़ुशी के लिए प्रार्थना करती है। लेख की शुरुआत से पहले एस्ट्रोसेज की तरफ से हर माँ को, हर स्त्री को नमन ! 

यहाँ से हुई मदर्स डे मनाने की शुरुआत 

अगर बात करें माँ को समर्पित मदर्स डे की शुरूआत कि तो माँ के लिए इस खास दिन को मनाने से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस खास दिन की शुरुआत 1912 में अमेरिका से हुई थी। वर्जीनिया में एना मारिया जार्विस जो कि एक प्रतिष्ठित अमेरिकन एक्टिविस्ट थीं, उन्होंने ही मदर्स डे की शुरुआत की। एना अपनी माँ को अपनी प्रेरणा मानती और उनसे बेहद प्यार करती थीं। उन्होंने कभी शादी नहीं की और माँ की मौत होने के बाद अपना प्यार जताने व उनके प्रति सम्मान दिखाने के लिए उन्होंने इस दिन की शुरुआत की। जिसके बाद से पूरी दुनिया में 10 मई को मदर्स डे के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। 

मान्यताओं के अनुसार, मदर्स डे की शुरुआत ग्रीस से हुई थी, जहाँ ग्रीस के लोग इस दिन ग्रीक देवताओं की माता की “स्यबेसे” पूजा करते थे। ईसाई समुदाय के लोग मदर्स डे के दिन को “वर्जिन मेरी” का दिन मानते हैं। वहीँ यूरोप और ब्रिटेन जैसे देशों में “मदरिंग संडे” मनाया जाता है। भारत में, हम मई महीने में दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाते हैं। इस साल यह खास दिन 09 मई को है।

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अब, जैसा कि हम माताओं और मातृत्व की बात कर रहे हैं, तो आइए अब हम ग्रहों की स्थिति के आधार पर ज्योतिष्य विश्लेषण कर के आपको बताते है कि किस व्यक्ति को माँ का आशीर्वाद और असीम ममता मिलती है और ग्रहों की किन स्थितियों के कारण कुछ लोग इस प्यार से वंचित रह जाते हैं –

सबसे पहले हम बात करते हैं उन कारकों के बारे में जो यह दर्शाते हैं कि किस वजह से एक व्यक्ति को माँ का प्यार, देखभाल और बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका मिलती है।

चंद्रमा की मजबूत स्थिति

हमारी कुंडली में मन और माता का कारक ग्रह होता है चंद्रमा। यह न केवल हमारी  भावनाओं और हमारे मन का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि यह एक व्यक्ति के बचपन और उसकी माँ के साथ जुड़ाव को भी दर्शाता है। चंद्रमा का कुंडली में सही स्थान माँ के साथ हमारे संबंधों को मज़बूत बनाता है। चंद्रमा की मजबूत स्थिति इस बात का इशारा करती है कि एक बच्चे के जीवन में माँ बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और बच्चे में माँ से मिलते-जुलते बहुत सारे लक्षण होंगे। आप देखेंगे कि जब भी माँ के साथ किसी बच्चे का रिश्ता मजबूत होता है, तो वह बच्चा सुरक्षित व आत्मविश्वासी हो जाता है और उसकी निर्णय लेने की क्षमता बहुत मजबूत हो जाती है। चलिए बताते हैं किन-किन परिस्थितियों और कुंडली में किस भाव में होने पर चंद्रमा शुभ फल देता है-

  • यदि चंद्रमा वृषभ राशि में अपनी उच्च स्थिति में हो, तो यह काफी शुभ परिणाम देता है।
  • चंद्रमा अपनी स्वराशि कर्क में रहे, तो यह काफी अच्छे फल देता है।
  • यदि केंद्र (1.4,7,10) और त्रिकोण स्थान (5,9) में चंद्रमा रहे, तो यह अच्छी स्थिति मानी जाती है।
  • यह बृहस्पति और शुक्र जैसे लाभकारी ग्रहों के साथ हो, तो उत्तम प्रभाव पड़ता है।
  • यदि यह छठे(6), आठवें(8) या बारहवें(12) भाव में या फिर शनि, राहु और केतु जैसे ग्रहों के साथ नहीं है, तो भी शुभ फल देता है।

चौथे भाव की मज़बूत स्थिति

कुंडली में चंद्रमा के बाद अन्य महत्वपूर्ण कारक कुंडली में चौथे भाव की स्थिति है। चौथा भाव आमतौर पर आराम, विलासिता और सुख से जुड़ा हुआ है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, माँ की बाँहों और माँ की गोद से ज़्यादा आराम और सुकून देने वाला कुछ भी नहीं होता। माँ की गोद में इंसान अपने आप को सबसे सुरक्षित मानता है। चलिए जानते हैं कि किन परिस्थितियों में कुंडली का चौथा भाव मज़बूत स्थिति में रहता है-

  • यदि किसी जातक की कुंडली में चौथे घर का स्वामी अपने ही घर में विराजमान है और लाभ देने की स्थिति में है, तो यह बहुत मजबूत स्थिति मानी जाती है।
  • यदि चौथे घर का स्वामी छठे(6), आठवें(8) या बारहवें(12) भाव में या फिर इन भावों के स्वामी के साथ युति नहीं कर रहा हो तो यह भी स्थिति मजबूत और शुभ फलदायक होती है। 
  • यदि चौथा भाव “पाप कर्तरी योग” में नहीं हो तब भी यह अच्छे फल देता है। पाप कर्तरी योग का मतलब यह हुआ कि कोई भी दूषित ग्रह चौथे भाव के दोनों ओर यानि 3 और 5वे घर में बैठा ना हो।
  • यदि चौथे भाव का स्वामी चंद्रमा, बुध, शुक्र और बृहस्पति जैसे लाभदाता ग्रहों के साथ युति करता है, तो व्यक्ति को अच्छे परिणाम मिलते हैं।

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अब हम बात करते हैं उन कारकों के बारे में जो यह दर्शाते हैं कि किस वजह से एक बच्चा माँ के पालन पोषण और देखभाल से वंचित हो जाता है।

चंद्रमा की कमज़ोर स्थिति

जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि चंद्रमा एक बच्चे के पालन-पोषण और माँ के साथ उसके संबंधों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि कुंडली में चंद्रमा कमजोर स्थिति में है, तो यह दर्शाता है कि बच्चे का माँ के साथ सही संबंध नहीं रहेगा। यह कई कारणों हो सकता है, या तो मां अपनी पेशेवर जीवन यानि करियर में व्यस्त थी, मां एक संघर्षपूर्ण संबंधों में थी या फिर बीमारी या बच्चे के कम उम्र में रहने के समय ही माँ की मौत हो जाने के कारण। यह स्थिति बच्चे को स्वयं के निर्णय लेने में असमर्थ, डरपोक, दूसरों पर निर्भर बना देता है, जिसकी वजह से अपने पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में सफलता प्राप्त करने में उसे काफी परेशानी होती है। चलिए बताते हैं किन-किन परिस्थितियों और कुंडली में किस भाव में होने पर चंद्रमा अशुभ फल देता है-

  • यदि कुंडली में चंद्रमा दुर्बल स्थिति में है तो यह शुभ फल नहीं देता।
  • यदि यह छठे(6), आठवें(8) या बारहवें(12) भाव में या फिर या इन भावों के स्वामियों के साथ हो, तो यह अच्छी स्थिति नहीं मानी जाती।
  • यदि चंद्रमा “पाप कर्तरी योग” में हो,यानि चंद्रमा के दोनों तरफ दूषित ग्रह बैठे हो तब भी यह अच्छे फल नहीं देता है। 
  • यदि कुंडली में चंद्रमा राहु, केतु और शनि जैसे दूषित ग्रहों के साथ युति करता है, तो यह स्थिति शुभ नहीं मानते हैं।

चौथे भाव की कमज़ोर स्थिति

जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि चौथा भाव भी माँ के साथ रिश्ते को मज़बूत या कमज़ोर बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, यदि कुंडली में चौथा घर कमजोर स्थिति में है, तो यह आमतौर पर दर्शाता है कि या तो बच्चा माँ की देखभाल से वंचित रहेगा या फिर माँ के साथ उसके संबंध अच्छे नहीं रहेंगे। चलिए जानते हैं कि किन परिस्थितियों में कुंडली का चौथा भाव कमज़ोर स्थिति में रहता है-

  • यदि कुंडली में चौथे भाव का स्वामी दुर्बल स्थिति में है, तो यह शुभ फल नहीं देता।
  • यदि चौथे भाव का स्वामी छठे(6), आठवें(8) या बारहवें(12) भाव में बैठा हो तो यह शुभ फलदायक नहीं होता है।
  • यदि चौथे भाव में छठे(6), आठवें(8) या बारहवें(12) भाव के स्वामी या फिर शनि, राहु, केतु जैसे दूषित ग्रह विराजमान हो तो यह भी स्थिति मजबूत नहीं मानी जाती है। 
  • यदि चौथे भाव का स्वामी राहु, केतु और शनि जैसे ग्रहों के साथ युति करता है, तो इस स्थिति में चौथा भाव कमज़ोर हो जाता है।

ज़रूर करें ये ज्योतिषीय उपाय

मदर्स डे के मौके पर, हम आपको कुछ उपाय बता रहे हैं, जिनकी मदद से आप अपनी माँ के साथ अपने रिश्ते को बेहतर बना सकते हैं। जैसा कि हमने इस लेख में आपको बताया है कि चंद्रमा माता का प्रतिनिधित्व करता है और माता के चौथे घर का कारक भी होता है। तो, नीचे दिए गए सभी उपाय आपको अपने चंद्रमा को मजबूत करने में मदद करेंगे।

  • माँ का योगदान हम सभी के जीवन में अतुलनीय है, इसलिए, हमेशा माँ, माँ समान महिलाओं और बुजुर्ग महिलाओं का सम्मान करें, क्योंकि इससे आपको चंद्रमा को मजबूत करने में मदद मिलेगी। यह उपाय आपकी माँ के साथ आपके रिश्ते में अधिक सामंजस्य लाएगा।
  • चंद्रमा की स्थिति को मजबूत करने के लिए हर रोज शिव चालीसा का पाठ ज़रूर करें।
  • माँ दुर्गा के आठवें स्वरूप देवी “महागौरी” का भी संबंध चंद्रमा से हैं, इसीलिए इनकी पूजा करने से भी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा मज़बूत होता है। 
  • सोमवार के दिन व्रत करें और यदि आप ऐसा नहीं कर पाते, तो हर महीने की पूर्णिमा तिथि पर उपवास करें।
  • चंद्रमा के होरा के दौरान प्रतिदिन चंद्र मंत्र का जाप करें। 
  • चंद्रमा भगवान विष्णु के श्री कृष्ण अवतार के साथ जुड़े हैं। तो, श्री कृष्ण की पूजा करना या श्री कृष्ण के बारे में कहानियाँ पढ़ना आपको अपने चंद्रमा को मजबूत करने में मदद करेगा। साथ ही यह आपकी माँ के साथ आपके रिश्ते को मज़बूती प्रदान करेगा।
  • गाय को हिंदू धर्म में माता कहा जाता है, इसीलिए गौ माता के साथ समय बिताना या उन्हें खाना खिलाना भी आपके चंद्रमा को बेहतर बनाने में मदद करेगा।
  • चाँदी के बर्तन या चाँदी के गिलास में पानी पीने से भी शुभ फल प्राप्त होंगे और माँ के साथ संबंध बेहतर बनेंगे।

आज मदर्स डे पर एक कार्य ज़रूर करें और वो यह कि जैसे हम नवरात्रि के समय माँ दुर्गा से अपने पूजा के दौरान हुई भूल-चूक के लिए माफ़ी मांगते हैं, वैसे ही आज अपनी माँ से भी जाने अनजाने में उनका कभी दिल दुखाया हो तो उसके लिए माफ़ी मांगे और अपना प्यार दें। साथ ही कोरोना काल के इस समय में अपने-अपने घरों में रहते हुए ही इस दिन को अपनी माँ के साथ बिताएं और इस दिन को उनके लिए खास बनाए। 

आप सभी को मदर्स डे की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। 

आशा करते हैं इस लेख में मदर्स डे से जुड़ी दी गयी जानकारी आपको पसंद आयी होगी। 

 एस्ट्रोसेज के साथ जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। 

Dharma

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