राशि अनुसार जानें आपके लिए कौन सा रत्न धारण करना रहेगा शुभ

वैदिक ज्योतिष में कुल 12 राशियां हैं। इन सभी राशियों का कोई न कोई स्वामी ग्रह होता है। प्रत्येक राशि पर उनके स्वामी ग्रह का पूरा प्रभाव रहता है। ऐसे में जातकों को राशि अनुसार रत्न पहनने की सलाह भी दी जाती है। हालांकि रत्नों को धारण करने से पहले किसी विद्वान ज्योतिषी से बात कर उसके रत्ती के बारे में अवश्य पता कर लें।

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आज हम इस लेख में आपको राशि अनुसार कौन से रत्न धारण करना चाहिए। इस बात की जानकारी देने वाले हैं।

मेष राशि

मेष राशि का स्वामी ग्रह मंगल है। मंगल को सभी ग्रहों के बीच सेनापति का दर्जा प्राप्त है। यह किसी भी जातक की कुंडली में शौर्य और पराक्रम का कारक माना जाता है। मेष राशि के जातकों को मंगल को मजबूत करने के लिए मूंगा पहनने की सलाह दी जाती है।

वृषभ राशि

वृषभ राशि का स्वामी ग्रह शुक्र माना गया है। शुक्र किसी भी जातक की कुंडली में भौतिक सुख और वैवाहिक जीवन का कारक माना जाता है। यदि किसी जातक की कुंडली में शुक्र कमजोर हो तो उस जातक का वैवाहिक जीवन नर्क समान और जीवन में दरिद्रता आ जाती है। वृषभ राशि के जातकों को शुक्र को मजबूत करने के लिए हीरा, ओपल या जरकन धारण करना चाहिए।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के स्वामी ग्रह बुध हैं। बुध बुद्धि, संचार और व्यवसाय का कारक ग्रह माना गया है। बुध अगर कमजोर हो तो ऐसे जातक को गणित में परेशानी होती है और व्यवसाय में घाटा होता है। मिथुन राशि के जातकों को बुध को प्रसन्न रखने के लिए पन्ना धारण करना चाहिए।

कर्क राशि

कर्क राशि का स्वामी ग्रह चंद्रमा है। चंद्रमा किसी भी जातक की कुंडली में मन और मानसिक स्वास्थ्य का कारक होता है। चंद्रमा यदि किसी जातक की कुंडली में कमजोर हो तो ऐसे जातक के जीवन में मानसिक तनाव चरम पर रहता है। कर्क राशि के जातकों को चंद्रमा को प्रसन्न रखने के लिए मोती धारण करना चाहिए।

सिंह राशि

सिंह राशि का स्वामी ग्रह सूर्य है। सूर्य को वैदिक ज्योतिष में सभी ग्रहों के बीच राजा का दर्जा प्राप्त है। सूर्य यदि किसी जातक की कुंडली में कमजोर अवस्था में हो तो उस जातक को समाज में मान-सम्मान प्राप्त करने में कठिनाई का सम्मान करना पड़ता है और साथ ही ह्रदय संबंधी बीमारिया भी use घेर लेती हैं। सिंह राशि के जातकों को सूर्य देवता को प्रसन्न रखने के लिए माणिक रत्न को धारण करना चाहिए।

कन्या राशि

कन्या राशि के स्वामी ग्रह बुध देवता हैं। बुध यदि किसी जातक की कुंडली में कमजोर स्थिति में रहें तो उस जातक को वाणी दोष, कमजोर गणित व कुछ गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कन्या राशि के जातकों को बुध देवता को प्रसन्न रखने के लिए पन्ना धारण करना चाहिए।

तुला राशि

तुला राशि के स्वामी ग्रह शुक्र देवता हैं। शुक्र यदि किसी भी जातक की कुंडली में कमजोर स्थिति में रहें तो ऐसे जातक के जीवन में दरिद्रता आती है व गुप्तांग और चर्म रोग से पीड़ित होना पड़ता है। ऐसी स्थिति में तुला राशि के जातकों को शुक्र को प्रसन्न करने के लिए हीरा, ओपल या जरकन रत्न को धारण करना चाहिए।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के स्वामी ग्रह मंगल हैं। मंगल एक क्रूर ग्रह माने जाते हैं और यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल कमजोर अवस्था में हो तो उस जातक के शत्रु प्रबल होते हैं जिसकी वजह से उसका जीवन मुश्किलों से भर जाता है। ऐसी स्थिति में वृश्चिक राशि के जातकों को मंगल को मजबूत रखने के लिए मूंगा धारण करना चाहिए।

धनु राशि

धनु राशि का स्वामी ग्रह बृहस्पति को माना गया है। बृहस्पति को सभी ग्रहों के बीच गुरु का दर्जा प्राप्त है। गुरु किसी भी जातक की कुंडली में ज्ञान, शिक्षक, बड़े भाई, धार्मिक कार्य आदि का कारक माना जाता है। ऐसी स्थिति में धनु राशि के जातकों को गुरु को मजबूत रखने के लिए पुखराज धारण करना चाहिए।

मकर राशि

मकर राशि का स्वामी ग्रह शनि है। वैदिक ज्योतिष में शनि को एक पापी ग्रह की संज्ञा दी गयी है। शनि किसी भी जातक की कुंडली में न्याय, विज्ञान आदि का कारक माना गया है। ऐसे में मकर राशि के जातकों को शनि देवता को प्रसन्न रखने के लिए नीलम धारण करना चाहिए।

कुंभ राशि

कुंभ राशि का स्वामी ग्रह शनि है। शनि यदि किसी जातक की कुंडली में अशुभ फल देने की स्थिति में हो तो ऐसे जातकों के बने हुए काम बिगड़ने लगते हैं। कैंसर और पैरालिसिस आदि जैसी अनेक गंभीर बीमारियां घेर लेती हैं। ऐसे में कुंभ राशि के जातकों को शनि देवता को प्रसन्न रखने के लिए नीलम धारण करना चाहिए।

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मीन राशि

मीन राशि का स्वामी ग्रह बृहस्पति को माना गया है। यदि किसी भी जातक की कुंडली में बृहस्पति कमजोर स्थिति में मौजूद हो तो ऐसे जातक के जीवन में तरक्की रुक जाती है। जीवन में नौकरी व विवाह आदि में जातकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। मीन राशि के जातकों को बृहस्पति को प्रसन्न रखने के लिए पुखराज धारण करना चाहिए।

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