ये है भोलेनाथ का अनोखा मंदिर, विशेषता जानकर दंग रह जाएंगे आप

आज सोमवार का दिन है और सोमवार का दिन भगवान शिव को प्रिय है। आज हम आपको इस ख़बर के माध्यम से भोलेनाथ का एक प्रसिद्ध मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। यह अनोखा मंदिर बुंदेलखंड क्षेत्र छतरपुर ज़िले में स्थित है। इस मंदिर को बुंदेलखंड का केदारनाथ भी कहा जाता है। मंदिर का नाम है – जटाशंकर धाम। 

यह मंदिर हिन्दुओं की आस्था का बड़ा केन्द्र है। इसी वजह से यहाँ श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। हालाँकि अमावस्या के दिन यहाँ भारी भीड़ रहती है। यह शिव जी का एक चमत्कारिक मंदिर है, जिसकी अनोखी विशेषताएँ हैं। इसकी चमत्कारिक विशेषताएँ सबको हैरान कर देती हैं।

मंदिर के जल से मिलती है रोग-दोष से मुक्ति 

मान्यता के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त इस मंदिर के दर्शन करने के आता है उसके सारे रोग-दोष एवं कष्ट दूर हो जाते हैं। क्योंकि यहाँ के जल से लोगों की कई तरह की बीमारियों को दूर करने की शक्ति है। इसलिए यहाँ पर हज़ारों श्रद्धालु अमावस्या के दिन दर्शन के लिए आते हैं। 

मंदिर में हैं तीन अनोखे जल कुंड 

मंदिर परिसर में तीन छोटे-छोटे कुंड हैं। इन कुंडों की विशेषता ये है कि यहाँ जल कभी नहीं सूखता है। सबसे ख़ास बात ये है कि इन कुंडों का पानी तापमान के हिसाब से परिवर्तित हो जाता है। मसलन ग्रीष्मकालीन समय में कुंड का पानी ठण्डा हो जाता है। जबकि शीतकालीन समय में कुंड का पानी गर्म रहता है। ऐसा क्यों होता है यह अभी भी रहस्य का विषय बना हुआ है। 

साथ ही इन कुंडों का पानी कभी ख़राब नहीं होता है। लोग यहाँ स्नान करते हैं। स्नान से कई तरह की बीमारियाँ दूर हो जाती हैं। लोग कुंड के चमत्कारिक जल को अपने घर ले जाते हैं। साथ ही जो लोग नए वाहन को खरीदते हैं। वे लोग भी सबसे पहले अपने वाहन की पूजा इस मंदिर में करवाते हैं। ताकि वाहन दुर्घटना आदि से बचा रहे। 

14वीं शताब्दी का बना है ये मंदिर

मंदिर के इतिहास के अनुसार, जटाशंकर धाम 14वीं शताब्दी का बना हुआ है। इस मंदिर को राजा विवस्तु ने बनवाया था। कहा जाता है कि भगवान शिव राजा के स्वप्न में पधारे थे और उन्होंने ही इस स्थान के बारे में राजा को बताया था। इसके बाद राजा ने इस स्थान को ढूंढा और यहाँ निकले शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा राजा ने ही विधिवत रूप से करवायी थी।

प्राकृतिक दृष्टि से यह मंदिर बहुत ही सुंदर स्थान पर बना हुआ है। क्योंकि इसके चारों ओर पहाड़ हैं, जिसके कारण यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को प्रकृति की सौंदर्यता को देखने का अवसर मिलता है। यहाँ बंदरों के अलावा अन्य प्रकार के जानवर भी पाए जाते हैं।

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