केतु ग्रह के दशम भाव में स्थित होने से आपके करियर पर क्या प्रभाव पड़ सकता है इसके बारे में हम आज अपने इस लेख में जानकारी देंगे। वैदिक ज्योतिष में केतु को छाया ग्रह की संज्ञा दी गई है। राहु की तरह व्यक्ति के जीवन में केतु ग्रह का भी महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। यह ग्रह शुभ-अशुभ दोनों तरह के फल प्रदान करता है। मुख्य रूप से केतु को वैराग्य, तंत्र-मंत्र, आध्यात्म आदि का कारक माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार यह ग्रह धनु राशि में उच्च का होता है और मिथुन राशि में नीच का।
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दशम भाव
कुंडली का दशम भाव आपके करियर के साथ-साथ समाज में आपकी प्रतिष्ठा, पिता के साथ आपके संबंधों को भी दर्शाता है। इस भाव की शुभ स्थिति व्यक्ति को करियर क्षेत्र में उन्नति के पथ पर ले जाती है, वहीं यह भाव यदि कमजोर हो तो व्यक्ति को करियर क्षेत्र और समाज में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
आइए अब जानते हैं कि केतु के दशम भाव में स्थित होने से व्यक्ति को कैसे फल मिलते हैं।
- जिन जातकों की कुंडली में केतु ग्रह दशम भाव में शुभ अवस्था में होता है उनको शुभ फल प्राप्त होते हैं। ऐसे लोग आध्यात्मिक विषयों में रुचि रखते हैं और इस क्षेत्र में सफलता भी पाते हैं। ऐसे लोग सामाजिक स्तर पर भी सम्मान प्राप्त करते हैं। लोगों की मदद करना ऐसे लोग पसंद करते हैं। केतु पर यदि बृहस्पति की दृष्टि हो तो ऐसा व्यक्ति वैराग्य की ओर भी बढ़ सकता है।
- केतु दशम भाव में स्थित होकर व्यक्ति को पारिवारिक जीवन में दिक्कतें दे सकता है। ऐसे लोगों के जीवन में सुख की कमी होने की संभावना होती है क्योंकि दशम भाव में बैठा केतु सप्तम दृष्टि से चतुर्थ भाव या सुख भाव को देखता है। ऐसे लोगों के मन में घर से दूर जाने की ख्वाहिश होती है।
- करियर के भाव यानि दशम भाव में केतु के होने से व्यक्ति कार्यक्षेत्र में अलग पहचान बनाने की कोशिश करता है। ऐसे लोग अपनी चतुरता से विपरीत स्थितियों को भी अपने पक्ष में करने की क्षमता रखते हैं। इस भाव में बैठा केतु जितना शुभ होगा उतना ही व्यक्ति में अंतर्ज्ञान होगा। व्यक्ति स्थितयों और व्यक्तियों को तुरंत पहचान जाएगा।
- ऐसे लोगों का व्यवहार स्वार्थी भी हो सकता है। यदि क्रूर ग्रह की दृष्टि केतु पर पड़ती है तो व्यक्ति अपने भले से ऊपर कुछ नहीं सोचता। ऐसा व्यक्ति सामाजिक स्तर पर भी सही तरीके से व्यवहार नहीं करता जिससे मान-प्रतिष्ठा खराब होती है।
करियर पर केतु का असर
जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि दशम भाव में शुभ स्थिति में बैठा केतु करियर में शुभ फल देता है वहीं प्रतिकूल अवस्था में बैठा केतु बुरे प्रभाव देता है। केतु के खराब होने से व्यक्ति भ्रम की स्थिति में पड़ जाता है और किसी एक क्षेत्र में काम करने में उसे परेशानी होती है। ऐसे लोग बार-बार नौकरी में परिवर्तन करने वाले होते हैं। यदि दशम भाव का केतु शुभ हो तो व्यक्ति कई विषयों में महारत रखता है और करियर में भी प्रतिष्ठा पाता है। अपने काम से ऐसे लोग परिवार और समाज के बीच अलग पहचान बना पाने में सक्षम होते हैं। अनुकूल केतु की उपस्थिति व्यक्ति को अच्छा शिक्षक, योग गुरु, आध्यात्मिक विषयों का जानकार, गूढ़ विषयों जैसे- ज्योतिष, विज्ञान आदि का जानकार बनाती है। इन्हीं क्षेत्रों में कार्य करके व्यक्ति केतु के शुभ प्रभाव का अच्छा भुगतान कर सकता है।
केतु ग्रह के उपाय
यदि आपकी कुंडली में केतु ग्रह प्रतिकूल अवस्था में है तो कुछ उपाय करके आप इसे शुभ बना सकते हैं। इन उपायों के बारे में नीचे बताया गया है।
- केतु ग्रह के बुरे प्रभावों से बचने के लिए भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए।
- घर के छोटे सदस्यों के साथ यदि आपके संबंध अच्छे है तो इससे भी केतु ग्रह शांत होता है।
- केतु के शुभ फल प्राप्त करने के लिए आपको तिल के बीज, केला, काले पुष्प आदि दान करने चाहिए।
- करियर में अच्छे फल पाने के लिए आपको केतु यंत्र की स्थापना घर या दफ्तर में करनी चाहिए। इस यंत्र को स्थापित करके यंत्र के साथ माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
- केतु को शांत करने के लिए 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करना भी शुभ माना जाता है।
- अशुभ प्रभावों से बचने के लिए केतु के बीज मंत्र ‘ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः’ का जाप करें।
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