देश भर में आज यानी कि 12 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जा रही है। हिन्दू धर्म के अनुसार आज के दिन को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन जो कोई भी मनुष्य दान-पुण्य करता है उसपर भगवान की असीम कृपा बनी रहती है। सिर्फ दान और पुण्य ही नहीं बल्कि आज के दिन गंगा स्नान का भी बहुत महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन जो कोई भी इंसान गंगा में डुबकी लगाता है उसके सभी पाप धुल जाते हैं। साथ ही आज के दिन जो कोई भी इंसान ज़रूरतमंदों को दान-दक्षिणा देता है उस पर भगवान का आशीर्वाद हमेशा के लिए बना रहता है।
जानें क्या है कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा की शुरुआत 12 नवंबर, मंगलवार से होगी। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 11 नवंबर 2019 को शाम 06 बजकर 02 मिनट से ही हो चुकी है और इसका समापन 12 नवंबर 2019 को शाम 07 बजकर 04 मिनट पर होगा.
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा-पाठ के द्वारा देवी-देवताओं को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन जो कोई भी पूरी श्रद्धा और विधि से भगवान की पूजा अर्चना करते हैं उनपर और उनके परिवार पर हमेशा ही भगवान की कृपा बनी रहती है। इसके अलावा भगवान आज सच्ची निष्ठा से पूजा करने वालों को सभी प्रकार की परेशानियों से भी मुक्त कर देते हैं। अगर किसी भी इंसान को अपनी जन्मपत्री में मौजूद किसी भी दोष का निवारण करना हो तो आज के दिन पूजा-पाठ करने से भगवान उनकी ये समस्या भी दूर कर देते हैं।
इस त्यौहार से जुड़ी एक मान्यता के अनुसार आज के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। बताया जाता है कि त्रिपुरासुर नामक एक राक्षस था जिसने प्रयाग में एक लाख साल तक घोर तपस्या की. त्रिपुरासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे दीर्घायु का वरदान दिया लेकिन इससे त्रिपुरासुर में अहंकार आ गया और वह स्वर्ग में देवी-देवताओं के कामकाज में बाधा डालने और देवताओं को आए दिन तंग भी करने लगा. त्रिपुरासुर की इस बात से तंग आकर सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि उन्हें इस त्रिपुरासुर नामक राक्षस से मुक्ति मिले। तब सभी देवताओं के हित के लिए भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध कर दिया। इसलिए ही कई जगहों पर कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
यहाँ पढ़ें: कार्तिक पूर्णिमा की पौराणिक कथा
देश में जगह-जगह लगता है मेला
आज के दिन को गंगा दशहरा भी कहा जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन देश में जगह-जगह मेलों का आयोजन भी होता है। इन मेलों में स्नान का भी अपना अलग महत्व है। कार्तिक मेला का मुख्य स्नान 12 नवंबर, मंगलवार को होना है। इन मेलों में दूर-दूर से लोग पहुँचते है। कार्तिक मेलों में भारी भीड़ होने के अनुमान के चलते ही प्रशासन ने सुरक्षा के लिहाज़ से भारी मात्रा में पुलिस बल भी तैनात किये हैं। गढ़मुतेश्वर में कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान का पौराणिक महत्व बताया गया है. हर साल इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आस्था की डुबकी लगाने के लिए जुटते हैं.