Kanya Sankranti 2021: कन्या संक्रांति महत्व, पूजन विधि और इससे जुड़ी पौराणिक कथा

हिंदू मान्यता के अनुसार जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो इसे संक्रांति कहते हैं। ऐसे में जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करने जा रहा है तो इसे कन्या संक्रांति या अश्विन संक्रांति के रूप में जाना जाएगा। कन्या संक्रांति के शुभ दिन पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है और इस दिन को उनकी जयंती के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी के कहने पर ही भगवान विश्वकर्मा ने इस संसार की रचना की थी। इसलिए माना जाता है कि जो कोई भी व्यक्ति इस दिन समर्पण और भक्ति के साथ पूजा करता है, उसके सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और उसे भरपूर धन की प्राप्ति होती है।

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कन्या संक्रांति पर लोग अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध पूजा और तपस्या अनुष्ठान के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के दान, पुण्य आदि करते हैं। लोग इस दिन अनुष्ठान के रूप में अपनी आत्मा और शरीर से छुटकारा पाने के लिए पवित्र जल में स्नान भी करते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि इस साल कन्या संक्रांति 17 सितंबर को मनाई जाएगी।

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एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम बात करेंगे कन्या संक्राति के महत्व, इस दिन की पूजा विधि, और इस दिन से संबंधित व्रत कथा के बारे में।

कन्या संक्रांति शुभ मुहूर्त 

पुण्य काल मुहूर्त: सितंबर 17,2021 सुबह 06:17 से दोपहर 12:15 तक

महापुण्य काल मुहूर्त: सितंबर 17, 2021 सुबह 06:17 से सुबह 08:10 तक

कन्या संक्रांति पर सूर्योदय: सितंबर 17,2021 सुबह 06:17 तक

कन्या सक्रांति पर सूर्यास्त: सितंबर 17,2021 शाम 06:24 तक

कन्या संक्रांति महत्व 

कन्या संक्रांति के दिन मुख्य रूप से मशीनों और औजारों की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि ऐसा करने से काम के प्रति समर्पण और दृढ़ संकल्प के साथ व्यक्ति का भविष्य और भी बेहतर और उज्जवल हो जाता है क्योंकि ऐसा करना अर्थात इस दिन पूजा करना व्यक्ति के जीवन में समृद्धि लेकर आता है। बहुत सी जगहों पर इस दिनों को बेहद ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने के लिए बहुत से लोग भगवान विश्वकर्मा की मूर्तियों को अपने कार्यालय और कार्यस्थल पर लेकर आते हैं।

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कन्या संक्रांति पूजन विधि 

  • इस दिन जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त करने के बाद भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें।
  • पूजा से पहले भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति को अच्छे से सजाएं।
  • भविष्य में अपनी प्रगति के लिए कारीगर अपने कार्यालयों में विश्वकर्मा पूजा का आयोजन करते हैं।
  • इस दिन मशीनों की पूजा की जाती है और फूलों से बनी मालाएं भगवान विश्वकर्मा को अर्पित की जाती हैं।
  • अपनी मशीनरी के सुचारू संचालन के लिए प्रार्थना करें।
  • भगवान विश्वकर्मा को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद लोगों में बांटें। मुख्यरूप से  इस दिन के प्रसाद में पारंपरिक भोजन जैसे खीर, खिचड़ी, लड्डू, फल आदि शामिल होते हैं।
  • वास्तु और इंजीनियरिंग क्षेत्र से संबंधित लोगों के अलावा, शिल्पकार, लोहार, वेल्डर और कर्मचारी भी इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं।

कन्या संक्रांति के दिन इस मंत्र का करें जाप 

कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद लेने के लिए इस मंत्र का पाठ करें:

  || ॐ विह्वकर्मय नम: ||

|| ॐ विश्वकर्मा नमः ||

कन्या संक्रांति पर बन रहा है बुधादित्य योग 

किसी भी व्रत त्यौहार को शुभ योग और भी ख़ास और महत्वपूर्ण बनाते हैं। ऐसे में कन्या संक्रांति के दिन बन रहा बुधादित्य योग भी इस दिन के महत्व को कई गुना बढ़ाने वाला है। 

कैसे हो रहा है इस योग का निर्माण? दरअसल बुध ग्रह पहले से ही अपनी राशि कन्या में मौजूद हैं इसके बाद अब 17 सितंबर को इसी राशि में सूर्य प्रवेश कर जायेंगे, जिसके चलते सूर्य और बुध की युति से बुधादित्य योग का निर्माण होगा।

क्या होता है बुधादित्य योग? ज्योतिष के अनुसार बुधादित्य योग से व्यक्ति को धन संपदा के साथ साथ मान सम्मान की भी प्राप्ति होती है। जिस भी व्यक्ति की कुंडली में यह शुभ योग होता है ऐसे लोग वैभव के साथ आजीवन भाग्य का साथ हासिल करते हैं।

कन्या संक्रांति से जुड़ी पौराणिक कथा 

कन्या संक्रांति के शुभ दिन को भगवान विश्वकर्मा की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। भगवान विश्वकर्मा को एक महान इंजीनियर माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि, वो भगवान विश्वकर्मा ही हैं जिन्होंने इस पूरे संसार को भगवान ब्रह्मा के निर्देश के अनुसार बनाया है। उन्होंने द्वारका या पांडवों की माया सभा के निर्माण के साथ-साथ देवताओं के विभिन्न हथियारों का भी निर्माण किया है।

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कन्या संक्रांति पर सूर्य इन राशियों के लिए साबित होगा अशुभ 

मेष राशि, मिथुन राशि, तुला राशि, मकर राशि 

कन्या संक्रांति का सूर्य किन राशियों के लिए साबित होगा शुभ

सिंह राशि, वृश्चिक राशि, धनु राशि 

कन्या संक्रांति के महा उपाय 

  • सूर्यदेव को नियमित जल चढ़ाएं।
  • बड़े-बुजुर्गो का सम्मान करें और कहीं भी जानें से पहले उनका आशीर्वाद लेकर ही जायें।
  • अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा केसरिया रंग शामिल करें।
  • सूर्य मंत्र का नियमित रूप से जप करें।
  • आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करें।

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