Kamika Ekadashi: बेहद शुभ है सावन माह की यह एकादशी-3 पवित्र योगों में कर ली इस दिन की पूजा तो जीवन हो जाएगा सिद्ध!

कामिका एकादशी 2022 के हमारे इस विशेष ब्लॉग में हम आपको बताने जा रहे हैं कामिका एकादशी व्रत की पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व के बारे में। साथ ही हमारे इस विशेष ब्लॉग में हम आपको बताएँगे इस एकादशी पर बनने वाले 3 शुभ योगों एवं उनमें पढ़े जाने वाले मंत्रो के बारे में, जिसके उच्चारण मात्र से आपको मिल सकती है हर प्रकार के आर्थिक संकट से मुक्ति। यदि आप भी इस शुभ एकादशी व्रत के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें।

सनातन धर्म में प्रत्येक वर्ष 24 एकादशी व्रत आते हैं और हर एकादशी व्रत का भक्तों के लिए विशेष महत्त्व माना गया है। पंचांग के अनुसार श्रावण मास कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी का व्रत रखा जाता है। जो इस बार 24 जुलाई को है, किन्तु भारत के कुछ राज्यों में यह एकादशी पर्व आषाढ़ मास में भी मनाया जाता है। कामिका एकादशी, शयनी एकादशी के बाद और श्रावण पुत्रदा एकादशी से पहले आती है। मान्यता है कि यदि कोई जातक इस दिन भगवान विष्णु का ध्यान करके पूरी श्रद्धा भक्ति से व्रत एवं प्रभु की पूजा करता है तो उसके सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। 

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चातुर्मास भगवान कृष्ण की पूजा करने के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है, और कामिका एकादशी इस समय में पड़ने वाली सबसे पहली एकादशी है इसलिए प्रभु कृपा प्राप्त करने के लिए इस व्रत का महत्त्व बहुत अधिक माना गया है। कामिका एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और मान्यताओं के अनुसार यदि कोई व्यक्ति पूरी विधिपूर्वक यह व्रत करता है तो उसे जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है। इस दिन किए पूजन से पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है। इस शुभ एकादशी के दिन किया गया किसी भी प्रकार का दान-पुण्य जीवन के कष्टों को दूर कर मोक्ष के द्वार खोलता है।  

कामिका एकादशी व्रत: तिथि एवं शुभ मुहूर्त

कामिका एकादशी 2022 तिथि: 24 जुलाई, रविवार

एकादशी तिथि प्रारंभ: 11 बजकर 29 मिनट से (23 जुलाई, 2022)

एकादशी तिथि समाप्त: 13 बजकर 47 मिनट तक (24 जुलाई, 2022) 

कामिका एकादशी पारण समय: 05:38:09 से 08:21:52, 25 जुलाई को

अवधि: 2 घंटे 43 मिनट

नोट: ऊपर दिया गया मुहूर्त नई दिल्ली के लिए मान्य है। अपने शहर के अनुसार इस दिन का मुहूर्त जानने के लिए यहाँ क्लिक करें। 

कामिका एकादशी व्रत महत्व 

इस व्रत के बारे में मान्यता है कि इस व्रत को करने से पापों से मुक्ति मिलती है। यह एकादशी कष्टों का निवारण करने वाली और भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करने वाली मानी गई है। बताया जाता है कि कामिका एकादशी की व्रत कथा खुद भगवान श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को और वशिष्ठ मुनि ने राजा दिलीप को सुनाई थी जिसे सुनकर उन्हें पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इस दिन जो व्यक्ति श्री हरि का पूजन-व्रत करता है उसके पितरों के भी सभी कष्ट अवश्य ही दूर हो जाते हैं।  

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कामिका एकादशी 2022: व्रत एवं पूजा के लाभ

सावन 2022 का आरंभ हो चुका है और इस महीने में आने वाली पहली एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। जहां सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है, वहीं एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए सबसे फलदायी माना जाता है। इस प्रकार, कामिका एकादशी पर व्रत का पालन करने से जातक को भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान शिव के आशीर्वाद की भी प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि कामिका एकादशी का व्रत करने से भक्तों को सभी तीर्थों की यात्रा करने के समान लाभ प्राप्त होता है। आपके पुराने सभी पापों की समाप्ति होती है और ब्रह्महत्या के दोष से भी मुक्ति मिलती है, साथ ही श्री विष्णु की कृपा से जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कामिका एकादशी पर बन रहे 3 शुभ योग

साल 2022 की कामिका एकादशी बहुत शुभ होने वाली है क्योंकि इस बार इस एकादशी पर 3 विशेष शुभ योगों, वृद्धि योग, ध्रुव योग और द्विपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है। वृद्धि योग में पूजा-पाठ करने से मिलने वाले पुण्य फलों में वृद्धि होती है साथ ही समाज में मान-सम्मान और यश बढ़ता है। ध्रुव योग पर किए गए कार्यों में कभी भी असफलता का सामना नहीं करना पड़ता, इस विशेष योग में कठिन से कठिन कार्य भी सरलता के साथ पूरा हो जाता है।

ध्रुव योग को भवन निर्माण से जुड़ें कार्यों को करने के लिए अच्छा माना जाता है। इसके अलावा कामिका एकादशी के इस दिन पर द्विपुष्कर योग जैसे शुभ योग का भी निर्माण हो रहा है। इस योग में किसी भी कार्य को करने से परिणामों में दोगुना वृद्धि होती है। इस योग पर कार्य करने अथवा दान करने से पद-प्रतिष्ठा और धन-धान्य में बढ़ोतरी होती है। द्विपुष्कर योग को बहुमूल्य वस्तुओं की खरीदारी के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।  

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कामिका एकादशी के दिन प्रातः काल से वृद्धि योग शुरू हो जाएगा अर्थात यह विशेष योग 24 जुलाई 2022 को सुबह से शुरू होकर दोपहर 2 बजकर 2 मिनट तक रहेगा क्योंकि वृद्धि योग का आरंभ सुबह जल्दी हो जाएगा इसलिए भक्तों को सुबह-सवेरे ही भगवान विष्णु की पूजा करने की सलाह दी जाती है।

वृद्धि योग के अतिरिक्त इस दिन ध्रुव योग और द्विपुष्कर योग का भी निर्माण हो रहा है। द्विपुष्कर योग 24 जुलाई की रात 10:00 बजे से शुरू होकर 25 जुलाई की सुबह 5 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इस दिन में विशेष यह भी है कि इस दिन रात 10:00 बजे तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा और इसके बाद मृगशिरा नक्षत्र की शुरुआत हो जाएगी।

कामिका एकादशी व्रत की पूजा विधि

किसी भी व्रत-पूजा को करने के लिए सही पूजन विधि को अपनाना बेहद ज़रूरी होता है। अन्यथा की गयी पूजा से उचित फल नहीं मिलता है। ऐसे में कामिका एकादशी व्रत की भी पूजन विधि बताई गयी है, जिसके अनुसार इस दिन

  • प्रातःकाल उठकर स्नान आदि करें और पूजा से पहले भगवान विष्णु के व्रत का संकल्प लें। 
  • अपने घर के मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई करें और वहां एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।
  • इसके बाद पूजा की शुरुआत करें। 
  • इस पूजा में भगवान विष्णु को फल-फूल, तिल, दूध, पंचामृत, इत्यादि अवश्य चढ़ाएं।
  • फिर भगवान के सामने देसी घी का दीपक जलाकर व्रत कथा पढ़ना शुरू करें। 
  • व्रत के दिन भगवान विष्णु के नाम का जप करें और भजन-कीर्तन करें। 
  • इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बेहद फलदायी बताया गया है।
  • पूजा के पश्चात भगवान को माखन मिश्री का भोग लगाएं और अंत में आरती के साथ पूजा का समापन करें। 
  • एकादशी के अगले दिन यानि द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दान अवश्य दें इसके बाद ही भोजन करें।

कामिका एकादशी पर इन मंत्रों का जाप होगा फलदायी

वित्तीय लाभ के लिए मंत्र

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

मनोकामना पूर्ति के लिए मंत्र

  • श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
  • ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
  • ॐ विष्णवे नम:।।

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आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए मंत्र

।। दन्ताभये चक्र दरो दधानं,कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

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