कल्कि जयंती: यहाँ होगा भगवान् विष्णु के दशवें अवतार का जन्म !

हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार आज कल्कि जयंती मनाई जा रही है। अब सोचने वाली बात ये है कि जब कल्कि का जन्म अभी हुआ नहीं तो फिर कल्कि जयंती क्यों मनाई जाती है। विष्णु पुराण के अनुसार भगवान् विष्णु के दशवें अवतार के रूप में कल्कि का जन्म होगा जिसके द्वारा कलयुग की समाप्ति होगी। आज हम आपको कल्कि जयंती के महत्व और कल्कि अवतार से जुड़े कुछ बेहद ख़ास तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं आखिर क्यों कल्कि के जन्म से पहले ही मनाई जाती है कल्कि जयंती।

जन्म से पहले ही क्यों मनाई जाती है जयंती

हालाँकि अभी भगवान् विष्णु के दशवें अवतार कल्कि का जन्म नहीं हुआ है लेकिन वाबजूद इसके उनकी जयंती मनाई जाती है। इसके पीछे मुख्य वजह ये है कि भागवत पुराण के अनुसार आज के दिन ही विष्णु जी के दसवें अवतार के रूप में कल्कि का जन्म होगा। इसलिए उनके जन्म से पहले ही इस दिन को कल्कि जयंती के रूप में मनाया जाता है। आपको बता दें कि कल्कि अवतार से पहले ही हमारे देश में कल्कि के बहुत से मंदिर हैं जहाँ लोग इस दिन पूजा पाठ के लिए जाते हैं। माना जाता है कि ये भगवान् विष्णु का एकमात्र ऐसा अवतार है जिसकी पूजा अर्चना उसके जन्म से पहले से ही की जा रही है। पौराणिक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब कलयुग में पाप की सीमा हद से बढ़ जायेगी तब कल्कि का अवतार इस युग का नाश कर फिर से सतयुग की स्थापना के लिए होगा।

यहाँ हो सकता है कल्कि का जन्म

ऐसा माना जा रहा है कि भगवान् विष्णु के दसवें अवतार का जन्म उत्तरप्रदेश के संभल गावं में होगा। विष्णु जी के इस कल्कि अवतार का वर्णन आपको भागवत पुराण के बारहवें स्कंद पुराण में मिल सकता है। जहाँ तक कल्कि के जन्म की बात है तो उनका जन्म संभल गावं के एक ऐसे परिवार में होगा जो विष्णु जी के भक्त होंगें। माना जा रहा है कि उनके माता पिता सभी वेदों के ज्ञाता और विष्णु जी के परम भक्त होंगें। भगवान् विष्णु के राम अवतार की तरह ही कल्कि भी चार भाई होंगें और वो उनके साथ मिलकर ही कलयुग से पाप का नाश कर फिर से धर्म की स्थापना करेंगे। भागवत पुराण में वर्णित कल्कि अवतार के अनुसार कल्कि देवदत्त नाम के सफ़ेद घोड़े पर बैठकर तलवार से पापियों का नाश करेंगे।

कल्कि जयंती के दिन इस प्रकार से करें पूजा

आज के दिन कल्कि पूजा के साथ ही साथ व्रत रखने की भी मान्यता है। आज के दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद कल्कि महाराज की मूर्ती को गंगाजल से स्वच्छ करें। इसके बाद उनकी मूर्ती को लाल रंग के कपड़े पर स्थापित करें। धूप, दीप, फूल और फल आदि के साथ विधिवत रूप से उनकी पूजा करें। आज के दिन व्रत रखने से और भगवान् की पूजा अर्चना करने से कल्कि महाराज का आशीर्वाद मिलता है और परिवार में सुख शांति आती है। इसके साथ ही कल्कि जयंती के दिन व्रत रखने से आप अपने परिवार की रक्षा सभी प्रकार की बुराईयों से भी कर सकते हैं।

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