वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्म कुण्डली में कई प्रकार के योग और दोष बनते हैं। योग सामान्यतः शुभ परिणाम कारक होते हैं, जबकि दोष के कारण जातकों को विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कुंडली में काल सर्प दोष सबसे ख़तरनाक दोष कहा जाता है। कई बार इसे काल सर्प योग भी कहा जाता है। यह योग व्यक्ति की जन्मकुंडली में उसके पूर्व जन्म के बुरे कर्मों के कारण बनता है। इस योग से पीड़ित व्यक्ति शारीरिक और आर्थिक रूप से परेशान रहता है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में काल सर्प योग के निवारण का उपाय भी है। लेकिन काल सर्प योग के उपाय जानने से पहले हमें इस दोष के बारे विस्तार से जानना होगा।
काल सर्प दोष क्या है?
काल सर्प योग जन्म कुण्डली में स्थित एक ऐसा दोष है जिसके कारण पीड़ित व्यक्ति को आर्थिक हानि, शारीरिक कष्ट और संतान संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दोष के प्रभाव से जातक या तो निःसंतान रहता है या फिर उसकी संतान शारीरिक रूप से बहुत ज़्यादा कमज़ोर होती है। जीवन में दरिद्रता रहती है। यहाँ तक कि रोज़ी-रोटी के लिए भी जातक को बड़ा संघर्ष करना पड़ता है। इन सबके अलावा भी काल सर्प दोष योग अन्य समस्याओं का कारण बनता है इसलिए काल सर्प योग को सबसे ख़तरनाक दोष माना जाता है।
काल सर्प योग का कारण और इसके लक्षण
जब जन्मपत्री में राहु और केतु के मध्य सभी ग्रह आ जाते हैं तो इस स्थिति में काल सर्प योग का निर्माण होता है। कुंडली में 12 प्रकार के काल सर्प योग होते हैं। जैसे-
- अनंत काल सर्प योग- कुण्डली के पहले भाव में जब राहु और सातवें भाव में केतु हो तो इस स्थिति में अनंत काल सर्प योग बनता है। इस दोष पीड़ित जातकों को विवाह संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
- कुलिक काल सर्प योग- यदि किसी जातक की कुंडली में दूसरे भाव में राहु स्थित हो और आठवें भाव में केतु बैठा हो तो इस स्थिति में कुलिक काल सर्प योग का निर्माण होता है। इस दोष से पीड़ित जातकों को शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ता है।
- वासुकि काल सर्प योग- यदि कुंडली के तीसरे भाव में राहु और नवम भाव में केतु स्थित हो तो वासुकि काल सर्प योग बनता है। इस योग के कारण जातकों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- शंखपाल काल सर्प योग- जब कुंडली के चौथे भाव में राहु और दशम भाव में केतु बैठा हो तो शंखपाल काल सर्प योग का निर्माण होता है। इस योग के कारण जातक बुरे कार्यों में संलिप्त रहता है।
- पदम काल सर्प योग- कुंडली में राहु जब पाँचवें भाव में और केतु ग्यारहवें भाव में स्थित होता है तो पदम काल सर्प योग बनता है। इस योग के कारण जातक को संतान संबंधी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
- महापदम काल सर्प योग- कुंडली के छठे भाव में राहु और बारहवें भाव में केतु स्थित हो तो महापदम काल सर्प दोष बनता है। यह दोष भी जातक के लिए कष्टकारी होता है।
- तक्षक काल सर्प योग- जब कुंडली के सातवें भाव में राहु विराजमान हो और पहले भाव में केतु, तो इस स्थिति को तक्षक काल सर्प योग कहा जाता है। इस योग के कारण जातक सामान्य से अधिक मोटे हो जाते हैं।
- कारकोट काल सर्प योग- जब जन्मत्री में आठवें भाव में केतु स्थित हो और दूसरे भाव में केतु विराजमान हो तो उस स्थिति में कारकोट काल सर्प योग बनता है। इस योग से पीड़ित जातकों को बचपन में शारीरिक रोगों का सामना करना पड़ता है।
- शंखचूण काल सर्प योग- इस योग में राहु कुंडली के नवम भाव में स्थित होता है और केतु तीसरे भाव में विराजमान होता है। शंखचूण योग से पीड़ित जातकों को पितृ दोष होता है।
- घातक काल सर्प योग- जब राहु जन्मपत्रिका में दसवें भाव में हो और केतु चौथे भाव में स्थित हो तो घातक काल सर्प योग बनता है। यह योग अपने नाम के अनुरूप जातकों के लिए घातक होता है।
- विषधर काल सर्प योग- जब कुंडली के ग्यारहवें भाव में राहु बैठा हो और पाँचवें भाव में केतु स्थित हो तो विषधर काल सर्प योग बनता है। इस योग के कारण व्यक्ति ग़ैरक़ानूनी कार्यों में लिप्त हो जाता है।
- शेषनाग काल सर्प योग- जब जन्म कुंडली में राहु बारहवें भाव में हो और केतु छठे में स्थित तो शेषनाग कालसर्प योग बनता है। यह योग अन्य सभी काल सर्प योगों की तुलना में ज्यादा भयावह है।
यदि उपरोक्त कारणों और लक्षण को पढ़कर आपके मन में काल सर्प दोष को लेकर किसी तरह का संशय है तो आप हमारी मुफ़्त सेवा- काल सर्प दोष रिपोर्ट के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आपकी कुंडली में काल सर्प दोष है या नहीं।
काल सर्प दोष निवारण उपाय
- राहु तथा केतु ग्रह की शांति के ज्योतिषी उपाय करें
- काल सर्प दोष निवारण यंत्र की विधिवत पूजा करें
- सर्प मंत्र और सर्प गायत्री मंत्र का जाप करें
- भैरव देव की उपासना करें
- किसी मंदिर में शिवलिंग स्थापित करें
- श्रीमद् भागवत गीता का पाठ करें
- दुर्गा पूजा करें
- श्री महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें
- नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करें
- शिव जी को चंदन की लकड़ी चढ़ाएँ
- नाग पंचमी के दिन शिव मंदिर की साफ़-सफाई करें
- श्रावण मास में नित्य शिवलिंग पर जलाभिषेक करें
यदि आप किसी प्रकार की कठिनाई या समस्या का सामना कर रहे हैं और उसका ज्योतिषीय समाधान चाहते हैं तो आप हमारी विभिन्न सेवाओं के माध्यम से अपनी समस्या का हल पा सकते हैं। उम्मीद है कि काल सर्प दोष पर लिखा यह लेख आपको पसंद आया होगा।