आज कालाष्टमी के दिन को हिन्दू धर्म में काल भैरव जयंती के रूप में मनाया जाता है। कई जगहों पर इसे भैरव जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। काल भैरव को हिन्दू धर्म में शिव जी के प्रचंड रौद्र अवतार का रूप माना जाता है। माना जाता है आज के दिन ही भगवान् शिव ने काल भैरव के रूप में जन्म लिया था। बहरहाल इस दिन काल भैरव की पूजा आराधना का विशेष महत्व है। मान्यता है कि यदि आज के दिन पूरी विधि विधान के साथ उनकी पूजा अर्चना की जाए तो इससे आपके सभी मनोकामनाओं की पूर्ती होती है और साथ ही अन्य लाभ भी मिलते हैं।
कैसे हुआ भैरव देव का जन्म
इस बात से तो आप सभी भली भांति ज्ञात होंगें की काल भैरव को भगवान् शिव का रौद्र रूप माना जाता है और शिव जी के क्रोध से ही भैरव देव का जन्म हुआ है। अब यहाँ सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिससे शिव जी को इतना क्रोध आया और उससे भैरव देव की उत्पत्ति हुई। आपको बता दें कि असल में एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों में इस बात को लेकर लड़ाई चल रही थी की आखिर उनमें से सबसे ज्यादा पूज्य कौन है। तीनों देवताओं में इस बात को लेकर बहस छिड़ गयी और आखिरकार अन्य देवगणों को इस बात का सही निर्णय लेने के लिए बुलाया गया। इसी बीच शिव जी और ब्रह्मा जी के बीच किसी बात को लेकर कहा सुनी हुई जिससे शिव जी काफी गुस्से में आ गया और उनके इस रौद्र रूप से भैरव देव का जन्म हुआ। शिव जी ने भैरव देव के रूप में ब्रह्मा जी के पांच सिरों में से एक सर को काट दिया और तब से उनके पास केवल चार ही सर हैं।
इसी वजह से भैरव देव पर ब्रह्म हत्या का पाप चढ़ गया। माना जाता है कि इसी ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए उन्हें कुछ वर्षों तक बनारस में गरीब ब्राह्मण के रूप में रहना पड़ा था। चूँकि भैरव देव ने उस दिन ब्रह्मा जी को दंड दिया था इसलिए इस दिन को कुछ जगहों पर दंडपाणि जयंती के रूप में मनाया जाता है।
कालाष्टमी के दिन इस प्रकार से करें भैरव देव की पूजा
- आज के दिन भैरव देव की पूजा मुख्य रूप से रात के समय ही की जाती है।
- रात के समय भैरव देव के साथ ही शिव और पार्वती की पूजा अर्चना भी की जानी चाहिए।
- इसके बाद सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर भैरव देव की पूजा की जानी चाहिए।
- पूजा के समय मुख्य रूप से भैरव देव को शमशान घाट से लायी गयी राख चढ़ाई जाती है।
- कालाष्टमी के दिन भैरव देव की सवारी काले कुत्ते की भी पूजा की जाती है।
- पूजा के बाद काल भैरव कथा सुनना भी लाभप्रद माना जाता है।
- इस दिन खासतौर से काल भैरव के मंत्र “ॐ काल भैरवाय नमः” का जाप करना भी अनिवार्य माना जाता है।