वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में बनने वाले योग शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के होते हैं। मान्यता है कि जब किसी जातक की कुंडली में शुभ योगों का निर्माण होता है तो उसे को धन, वैभव, मान-सम्मान, यश आदि की प्राप्ति होती है। दूसरी ओर, यदि किसी जातक की कुंडली में अशुभ योग बनते हैं तो उसके बनते हुए काम भी बिगड़ जाते हैं और जीवन संघर्षों से भर जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के तमाम शुभ योगों में से कुछ ऐसे भी योग हैं, जो अत्यंत फलदायी होते हैं। एस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग में आपको उन 6 शुभ और प्रभावशाली योगों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी, जो आपके जीवन में अद्भुत बदलाव लेकर आ सकते हैं।
यह ब्लॉग हमारे विद्वान और अनुभवी ज्योतिषियों द्वारा ख़ास आपके लिए तैयार किया गया है। आइए जानते हैं कुंडली में बनने वाले 6 महायोगों के बारे में, लेकिन उससे पहले जान लेते हैं कि योग क्या होता है और कुडंली में ये कैसे बनते हैं।
कुंडली में शुभ और अशुभ योगों के बारे में जानने के लिए, करें विद्वान ज्योतिषियों से बात
किसी जातक की कुंडली में योग कैसे बनते हैं?
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जब किसी जातक की जन्म कुंडली में ग्रहों का संयोजन होता है तो उससे योग (शुभ/अशुभ) बनते हैं। यही वजह है कि किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले उस दिन का शुभ मुहूर्त पता करने के लिए कहा जाता है। शुभ मुहूर्त की गणना हिन्दू पंचांग के अनुसार की जाती है, जिसमें तिथि, दिन, समय, ग्रह, नक्षत्र आदि देखे जाते हैं।
कुंडली में बनने वाले अशुभ योग को दोष कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष में कुछ अशुभ योग यानी कि दोष भी हैं, जिनके परिणाम अशुभ माने जाते हैं, जैसे कि ग्रहण योग (जो राहु और केतु के संयोजन से बनता है), चांडाल योग (जो बृहस्पति और राहु के संयोजन से बनता है) आदि। आइए अब उन 6 शुभ योगों के बारे में जानते हैं, जो हमेशा शुभ फल प्रदान करते हैं।
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ज्योतिष में 6 सबसे शुभ और प्रभावशाली योग
1. अमृत सिद्धि योग
अमृत सिद्धि योग तब बनता है, जब कोई विशेष दिन किसी विशेष नक्षत्र के तहत आता है। अर्थात यह योग किसी ख़ास दिन पर ख़ास नक्षत्र के होने से ही बनता है। उदारहण के तौर पर, यदि सोमवार का दिन मृगशिरा नक्षत्र के तहत आता है तो अमृत सिद्धि योग बनेगा।
मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं तथा सकारात्मक परिणाम की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कि किसी दिन कौन सा नक्षत्र होने से अमृत सिद्धि योग का निर्माण होता है।
दिन | नक्षत्र |
सोमवार | मृगशिरा |
मंगलवार | अश्विनी |
बुधवार | अनुराधा |
गुरुवार | पुष्य |
शुक्रवार | रेवती |
शनिवार | रोहिणी |
रविवार | हस्त |
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अमृत सिद्धि योग पर इन कामों में मिलती है सफलता
- विदेश यात्रा
- कोई कांट्रैक्ट साइन करना
- वाहन, सोना या भूमि ख़रीदना
- नौकरी के लिए आवेदन देना
- परीक्षा देना
- कोई केस फाइल करना
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2. सिद्धि योग
सिद्धि योग को सिद्ध योग भी कहा जाता है। यह योग किसी विशेष दिन, नक्षत्र और तिथि के संयोजन से बनता है। मान्यता है कि इस योग में किया गया कोई भी कार्य शुभ फल प्रदान करता है। यदि आप इस योग में कोई कार्य करना चाहते हैं तो आप हिन्दू पंचांग की सहायता से इसकी योग की गणना कर सकते हैं कि इसका निर्माण कब होगा।
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किसी जातक की कुंडली में सिद्धि योग का प्रभाव
- जिन जातकों की कुंडली में सिद्धि योग होता है, वे पेशेवर रूप से अच्छा प्रदर्शन करते हैं, फिर वो चाहे किसी भी क्षेत्र में काम कर रहे हों।
- ऐसे लोग अपने काम के प्रति समर्पित होते हैं तथा हर काम को बड़ी ही समझदारी से करते हैं।
- ऐसे जातक आमतौर पर सुंदर और ख़ुशमिज़ाज होते हैं तथा एक सौहार्दपूर्ण जीवन जीते हैं।
- ऐसे लोग ज़्यादातर दयालु स्वभाव के होते हैं, इसलिए इन्हें दान-पुण्य करना बेहद संतोषजनक लगता है।
आइए जानते हैं सिद्धि योग का निर्माण करने वाले कुछ विशेष दिनों और तिथियों के बारे में:
दिन | तिथि |
मंगलवार | जया तिथि (तृतीया, अष्टमी, या त्रयोदशी) |
बुधवार | भद्रा तिथि (द्वितीया, सप्तमी, या द्वादशी) |
गुरुवार | पूर्ण तिथि (पंचमी और दशमी, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन) |
शुक्रवार | नंदा तिथि (प्रतिपदा, षष्ठी, या एकादशी) |
शनिवार | रिक्ता तिथि (चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी) |
3. सर्वार्थ सिद्धि योग
सर्वार्थ सिद्धि योग तीन शब्दों से मिलकर बना है। सर्वार्थ का अर्थ है ‘सभी पहलुओं में’, सिद्धि यानी कि प्राप्ति, योग का अर्थ है संयोजन। यदि आप अपने जीवन से संबंधित कोई महत्वपूर्ण कार्य शुरू करने की योजना बना रहे हैं तो यह योग अत्यंत शुभ माना गया है। कहा जाता है कि इस योग में किसी भी महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत करने से सफलता अवश्य मिलती है। इस योग का निर्माण कुछ विशेष नक्षत्रों और दिनों के संयोजन से होता है। आइए जानते हैं कि किस विशेष नक्षत्र और दिन के संयोजन से यह योग बनता है:
दिन (वार) | नक्षत्र |
रविवार | अश्विनी, पुष्य, उत्तरा भाद्रपद, उत्तरा फाल्गुनी, मूल, आर्द्रा |
सोमवार | श्रवण, रोहिणी, मृगशिरा, अनुराधा, पुष्य |
मंगलवार | अश्लेषा, कृतिका, अश्विनी |
बुधवार | आर्द्रा, अनुराधा, रोहिणी, मृगशिरा |
गुरुवार | अश्विनी, अनुराधा, रेवती, पुष्य, पुनर्वसु |
शुक्रवार | श्रवण, अश्विनी, पुनर्वसु, रेवती, अनुराधा |
शनिवार | स्वाति, श्रवण, रोहिणी |
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4. पुष्कर योग
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, पुष्कर योग का निर्माण तब होता है, जब सूर्य विशाखा नक्षत्र में तथा चंद्रमा कृतिका नक्षत्र में होता है। सूर्य और चंद्रमा की यह स्थिति बेहद शुभ मानी जाती है। यही वजह है कि ज्योतिष शास्त्र में पुष्कर योग विशेष महत्व दिया गया है। मान्यता है कि सभी महत्वपूर्ण कार्य इस योग में किए जाने चाहिए क्योंकि इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
5. गुरु पुष्य योग
गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र पड़ने पर गुरु पुष्य योग बनता है। साथ ही जब बृहस्पति पुष्य नक्षत्र में उच्च का होता है, तभी इस योग का निर्माण होता है। यह योग सोना या सोने से बनी वस्तुओं की ख़रीदारी के लिए बेहद शुभ माना जाता है। कुछ लोग इस योग को नए व्यवसाय की शुरुआत करने के लिए भी शुभ मानते हैं। पूरे साल में यह योग दो या तीन बार ही बनता है।
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6. रवि पुष्य योग
वैदिक ज्योतिष में रवि पुष्य योग को अत्यंत शुभ माना गया है क्योंकि यह सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। यह योग रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र पड़ने पर बनता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस योग में धन की देवी माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था। यही वजह है कि यह योग धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों को करने के लिए अनुकूल माना जाता है। कहा जाता है कि इस योग में किए गए शुभ कार्यों में सफलता तेज़ी से मिलती है।
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