हिन्दू कैलेंडर का तीसरा महीना यानि ‘ज्येष्ठ मास’ (जिसे बहुत सी जगहों पर जेठ महीना भी कहा जाता है) 17 मई से शुरू हो चुका है। यूं तो ज्येष्ठ माह हर साल ही आता है हालांकि इस वर्ष इसका महत्व अन्य वर्षों की तुलना में कहीं अधिक माना जा रहा है। ऐसा क्यों? आपके इसी सवाल का जवाब ऐस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग के माध्यम से हम आपके लिए लेकर आए हैं।
इसके अलावा इस खास अंक में हम आपको ज्येष्ठ माह से जुड़ी कुछ ऐसी रोचक बातें भी बताने वाले हैं जो शायद आपको न पता हो, साथ ही यहाँ जानिए इस 29 दिनों की अवधि में कौन-कौन से व्रत त्योहार आएंगे, ग्रहों और नक्षत्रों की चाल क्या कमाल दिखाएगी, इस माह किस देवी-देवता की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति हो सकती है, और इस दौरान क्या कुछ करना शुभ-अशुभ माना गया है।
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ज्येष्ठ माह 2022 के व्रत-त्योहार
सबसे पहले जान लेते हैं इस महीने कौन-कौन से व्रत-त्योहार किए जाएंगे और उनका क्या महत्व होता है।
दिन और वार | व्रत-त्योहार | महत्व और शुभ संयोग |
17 मई, 2022, मंगलवार | ज्येष्ठ मास आरंभ प्रतिपदा तिथिबड़ा मंगल व्रतनारद जयंती | इस वर्ष कुल 5 बड़े मंगल पड़ रहे हैं। 17 मई, 24 मई, 31 मई, 7 जून और 14 जून |
19 मई, बुधवार | एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत | |
22 मई, रविवार | भानु सप्तमी | |
26 मई, गुरुवार | अपरा एकादशी व्रत | अपरा एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति की चल अचल संपत्ति में वृद्धि होती है। बात करें इस वर्ष अपरा एकादशी क्यों खास मानी जा रही है तो दरअसल इस वर्ष अपरा एकादशी के दिन आयुष्मान योग का शुभ संयोग बन रहा है। इसमें बेहद ही शुभ योग कहा जाता है। |
27 मई, शुक्रवार | प्रदोष व्रत | |
30 मई, सोमवार | शनि जयंतीदर्श अमावस्यासोमवती अमावस्यावट सावित्री ज्येष्ठ अमावस्या | शनि जयंती पर इस वर्ष सर्वार्थ सिद्धि योग और सुकर्मा योग का शुभ संयोग बन रहा है।सोमवार के दिन पड़ने की वजह से ज्येष्ठ मास की अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाएगा और इस वर्ष अमावस्या शनि के केंद्र योग में पड़ रही है जिसे बेहद शुभ संयोग माना जा रहा है। इसके अलावा इस दिन सर्वार्थसिद्धि और चंद्र बुध आदित्य योग भी बन रहे हैं। इस दिन शनि देव का जन्मदिन भी मनाया जाएगा। बात करें इस दिन मनाए जाने वाले एक और अहम व्रत की तो वह है वट सावित्री व्रत जो सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए मनाती हैं। इस साल वट सावित्री व्रत भी चंद्र बुध आदित्य योग के शुभ संयोग में मनाया जाएगा। |
03 जून, शुक्रवार | विनायक चतुर्थी व्रत | |
07 जून, मंगलवार | मासिक दुर्गाष्टमी व्रत | |
09 जून, गुरुवार | गंगा दशहरा | ज्येष्ठ माह की दशमी तिथि के दिन ही माँ गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। ऐसे में इस दिन को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष गंगा दशहरा के दिन व्यतिपात नामक शुभ योग का भी निर्माण हो रहा है। |
10 जून, शुक्रवार | निर्जला एकादशी व्रत | इस वर्ष वरियान योग से खास बनेगा निर्जला एकादशी व्रत। सभी एकादशी व्रत में निर्जला एकादशी को सबसे कठिन माना जाता है क्योंकि यह जेठ की गर्मी में पड़ता है और इसमें अन्न जल कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता है। |
11 जून, शनिवार | गायत्री जयंती | मान्यता है कि परिघ योग में किया गया हर कार्य सफल होता है और इस वर्ष गायत्री जयंती इसी शुभ परिघ योग में मनाई जाएगी। |
12 जून, रविवार | प्रदोष व्रत | |
14 जून, मंगलवार | ज्येष्ठ पूर्णिमा, वट पूर्णिमा व्रत |
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ज्येष्ठ माह में ग्रहों की चाल दिखाएगी क्या कमाल?
17 मई को मंगल मीन में गोचर कर चुके हैं। इस गोचर से मिथुन राशि, सिंह राशि, कन्या राशि, मकर राशि, धनु राशि, मीन राशि के जातकों को सावधान रहने की विशेष सलाह दी जाती है।
23 मई शुक्र का मेष राशि में गोचर हो जाएगा। इस गोचर से मेष राशि, मिथुन राशि, कर्क राशि, तुला राशि, धनु राशि, के जातकों को अपार धन लाभ के योग बनते नज़र आ रहे हैं।
03 जून को बुध ग्रह वृषभ में मार्गी हो जाएंगे। बुध का यह स्थिति परिवर्तन विशेष तौर पर मेष राशि, कर्क राशि, सिंह राशि, कुंभ राशि और मीन राशि के जातकों के लिए बेहद शुभ परिणाम लेकर आएगी। इस दौरान आपको हर क्षेत्र में सफलता और भाग्य का भरपूर सहयोग प्राप्त होगा।
05 जून को शनि ग्रह कुंभ राशि में वक्री हो जाएगा। शनि का यह परिवर्तन मेष राशि, वृषभ राशि, धनु राशि के लोगों के लिए शुभ परिणाम देने वाला साबित होगा।
ज्येष्ठ माह का महत्व
ज्येष्ठ माह में भगवान विष्णु, सूर्य देव, और हनुमान जी, की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। इस वर्ष ज्येष्ठ मास मंगलवार के दिन से प्रारंभ हुआ है। बात करें इस माह की खासियत की तो इस साल जेठ का महीना मंगलवार को ही शुरू हुआ है और इसका समापन भी मंगलवार को होगा। इसके अलावा एक और खासियत यह है कि इस वर्ष जेठ के महीने में पांच बड़े मंगल पड़ रहे हैं। यानी 17 मई, 24 मई, 31 मई, 7 जून, और 14 जून। इस दौरान विशेष तौर पर हनुमान जी की पूजा करके आपको अपने जीवन में बजरंगबली का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।
ज्येष्ठ मास में यानी जेठ माह में सूरज अपने उग्र रूप यानी प्रचंड रूप में होता है। इस दौरान सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती हैं। सूर्य की जेष्ठता के चलते ही इस महीने को ज्येष्ठ महीने का नाम दिया गया है। इसके अलावा ज्येष्ठा नक्षत्र के चलते भी इस माह को ज्येष्ठ माह कहा जाता है।
ज्येष्ठ माह की विशेषता
बात करें इस महीने की विशेषता की तो इस महीने में कई ऐसी खास बात है जो ज्येष्ठ माह को अन्य महीनों की तुलना में अलग बनाती है। पहली तो यही कि ज्येष्ठ माह में दिन बड़े होते हैं और रातें छोटी होती है। इस मास में सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती है और यही वजह है कि इस दौरान गर्मी बहुत ज्यादा होती है। इसके अलावा गर्मी के चलते ही इस मास में जल का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस महीने अनुशासित जीवन शैली को अपनाना चाहिए और इस दौरान धर्म कर्म करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
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ज्येष्ठ माह और नौतपा: जानें क्या है सूर्य से संबंध?
जब बात ज्येष्ठ महीने की होती है तो नौतपा का जिक्र अवश्य होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर नौतपा होता क्या है? दरअसल नौतपा को भीषण गर्मी का संकेत माना जाता है। नौतपा शुक्ल पक्ष में आद्रा नक्षत्र से नौ नक्षत्र आगे की अवधि यानी कि 9 दिनों की समय अवधि के लिए रहता है। नौतपा के दौरान ग्रहों की स्थिति तेज हवा, बवंडर, और बारिश के संकेत दे रही है।
बात करें इस इस वर्ष के नौतपा अवधि की तो, इस वर्ष 25 मई से 2 जून तक नौतपा रहने वाला है।
इस दौरान क्या करें-क्या न करें
- इस महीने बाल गोपाल का अभिषेक करने का विशेष महत्व बताया गया है। इसके अलावा उन्हें माखन मिश्री का भोग लगाएं और भगवान को चंदन का लेप लगाएं।
- पशु, पक्षियों, जीव जंतुओं के लिए पानी की व्यवस्था करें।
- इसके अलावा आप राहगीरों के लिए भी पानी की व्यवस्था कर सकते हैं।
- इसके अलावा मुमकिन हो तो इस महीने में जरूरतमंद लोगों को छाते, अन्न, पेय वस्तुओं आदि का दान भी किया जा सकता है जिसे बेहद ही शुभ माना गया है।
- किसी गौशाला में हरी घास का दान करें और गायों का ध्यान रखें।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
- इस महीने भगवान हनुमान की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है क्योंकि कहते हैं कि ज्येष्ठ के महीने में ही हनुमान जी की मुलाकात भगवान श्रीराम से हुई थी।
- इसके अलावा महाभारत के अनुसार कहा जाता है कि, ज्येष्ठामूलं तु यो मासमेकभक्तेन संक्षिपेत्। ऐश्वर्यमतुलं श्रेष्ठं पुमान्स्त्री वा प्रपद्यते, अर्थात ज्येष्ठ महीने में जो व्यक्ति केवल एक समय भोजन करता है वह अपने जीवन में तमाम धन, धान्य और धनसंपदा का मालिक बनता है।
बात करें ज्येष्ठ महीने में क्या कुछ नहीं करना चाहिए तो,
- इस महीने विशेष तौर पर बैंगन नहीं खाने की सलाह दी जाती है।
- इसके अलावा इस दौरान दिन में सोने से बचना चाहिए।
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ज्येष्ठ माह में कर लिए ये उपाय तो सूर्यदेव की मिलेगी प्रसन्नता
चूंकि ज्येष्ठ का महीना इतना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है ऐसे में स्वाभाविक है इस महीने को हर एक व्यक्ति अपने लिए उत्तम बनाना अवश्य चाहेगा। तो आइये आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं कुछ ऐसे उपायों के बारे में जिन्हें आप इस दौरान करके भगवान विष्णु, हनुमान जी, और माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा पा सकते हैं।
- 29 दिनों की इस समय अवधि के लिए सूर्य निकलने से पहले सो कर उठ जाएँ और अनुशासित जीवन शैली का पालन करें।
- सुबह जल्दी स्नान करके माँ लक्ष्मी का ध्यान करें।
- बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।
- इसके अलावा एक सरल उपाय यह भी किया जा सकता है कि इस महीने विशेष तौर पर पशु पक्षियों और बेजुबान जीवो के लिए अपने घर के आस-पास पानी पीने के पानी की व्यवस्था करें।
- इसके अलावा आप चाहें तो लोगों के लिए प्याऊ आदि भी लगवा सकते हैं। इस उपाय को करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और साथ ही कुंडली में मौजूद ग्रह दोष भी खत्म होने लगते हैं। यह उपाय विशेष तौर पर उन लोगों को करने की सलाह दी जाती है जिनकी कुंडली में बुध और शनि ग्रह अशुभ अवस्था में होता है। यदि आपको भी जानना है कि आपकी कुंडली में कौन सा ग्रह शुभ या कौन सा ग्रह अशुभ स्थिति में तो विद्वान ज्योतिषियों से अभी परामर्श लें।
- तिल का दान करें। ऐसा करने से भगवान विष्णु की प्रसन्नता हासिल होती है।
- ज्योतिष के अनुसार इस महीने का स्वामी ग्रह मंगल को माना गया है। ऐसे में आप मंगल से संबंधित चीजों का भी दान कर सकते हैं। मंगल से संबंधित चीजों की बात करें तो मसूर की दाल, तांबे की वस्तु, गुड आदि इसमें आते हैं।
- इसके अलावा जैसा कि हमने पहले भी बताया कि ज्येष्ठ महीने में पांच बड़ा मंगल आने वाले हैं ऐसे में मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर में भगवान हनुमान को तुलसी के पत्तों की माला पहनाएं और उन्हें हलवा पूरी का भोग लगाएं। मुमकिन हो तो हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, और सुंदरकांड का पाठ भी करें।
- शनि के प्रकोप से मुक्ति पाना चाहते हैं तो इन पांच मंगलवार में से किसी भी एक मंगलवार के दिन तुलसी, पीपल, भगवान हनुमान, और शनि मंदिर में जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- इसके अलावा मिठाई और ठंडे फल जरूरतमंदों और गरीबों के बीच दान करें। इससे भी शुभ फल की प्राप्ति होगी।
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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।