ज्येष्ठ अमावस्या 2023: इस दिन बेहद शुभ योगों में किया जाएगा अमावस्या-वट सावित्री व्रत!

हिंदू धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख शांति के लिए करती हैं। 

Varta Astrologers

आज अपने इस ज्येष्ठ अमावस्या विशेष ब्लॉग में हम जानेंगे ज्येष्ठ अमावस्या व्रत इस वर्ष किस दिन किया जाएगा? इस दिन वट सावित्री व्रत का क्या महत्व होता है और साथ ही इस दिन से जुड़ी कुछ बेहद ही महत्वपूर्ण जानकारी आपको इस ब्लॉग के माध्यम से हम आपको प्रदान करेंगे।

दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें कॉल/चैट पर बात और जानें करियर संबंधित सारी जानकारी

2023 में ज्येष्ठ अमावस्या कब है?

19 मई, 2023 (शुक्रवार)

ज्येष्ठ अमावस्या मुहूर्त नई दिल्ली के लिए

मई 18, 2023 को 21:44:36 से अमावस्या आरम्भ

मई 19, 2023 को 21:24:26 पर अमावस्या समाप्त

नोट: अपने श्हर के अनुसार इस दिन का शुभ मुहूर्त जानने के लिए यहाँ क्लिक करें 

ज्येष्ठ अमावस्या व्रत 2023 कब?

इस वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या 18 मई रात्रि 9 बजकर 42 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 19 मई को रात्रि 9 बजकर 22 मिनट पर होगा। इसके अलावा इस दिन यानी ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शोभन योग का निर्माण भी हो रहा है जो शाम 6 बजकर 17 मिनट तक रहने वाला है। 

यहां आपकी जानकारी के लिए हम बता दें कि, ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इस दिन को बेहद शुभ माना जाता है क्योंकि कहते हैं कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन ही शनिदेव का भी जन्म हुआ था।

वट सावित्री व्रत महत्व 

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री का व्रत किया जाता है तो आइए जान लेते हैं इसका क्या ज्योतिषीय महत्व होता है? तो दरअसल इस व्रत के बारे में शास्त्रों में लिखे उल्लेख के अनुसार कहते हैं कि, वट सावित्री का व्रत सुहागिन महिलाएं करती हैं जिससे उनके परिवार में सुख शांति समृद्धि आती है, उनके पति को लंबी आयु का वरदान मिलता है, और जीवन के तमाम समस्याएं दूर होती हैं।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

इस वर्ष बेहद ही शुभ योग में किया जाएगा जेष्ठ अमावस्या का व्रत 

जैसा की हमनें पहले भी बताया कि जेष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री का व्रत किया जाता है। इस दिन शनि जयंती यानी शनिदेव का जन्मोत्सव भी है। साथ ही इस महत्वपूर्ण दिन शोभन योग भी बन रहा है। इसके अलावा इस वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शश राजयोग का भी निर्माण हो रहा है जो बेहद ही शुभ राजयोग माना गया है। 

ऐसे में ज्येष्ठ अमावस्या का यह व्रत पितरों की आत्मा की शांति के लिए, और जिन जातकों की कुंडली में शनि का प्रकोप है या शनि की ढैया साढ़ेसाती का प्रभाव चल रहा है उनके लिए भी बेहद ही अनुकूल रहने वाला है।

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन क्या करें? 

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंड दान, दान-पुण्य, धार्मिक कार्य, शनि देव का पूजन, वट सावित्री का व्रत, इत्यादि किया जाता है। 

  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य ज़रूर दें और मुमकिन हो तो बहते जल में तिल अवश्य प्रवाहित करें। 
  • इसके बाद पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान-पुण्य आदि करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान दक्षिणा अवश्य दें। 
  • चूंकि इसी दिन शनिदेव का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन शनि मंदिर में जाकर शनि देव को सरसों का तेल, काले तिल, काले कपड़े, और नीले रंग के फूल अवश्य चढ़ाएँ और वहीं बैठ कर शनि चालीसा का पाठ करें। 
  • अगर आपके जीवन में कोई समस्या का बेवजह की रुकावट आ रही है तो इस दिन सूर्य देवता, चन्द्र देव आदि की पूजा करें और अपनी यथाशक्ति के अनुसार जरूरतमंद लोगों को दान अवश्य करें।

पाएं अपनी कुंडली आधारित सटीक शनि रिपोर्ट

ज्येष्ठ अमावस्या व्रत लाभ 

कहते हैं जो कोई भी व्यक्ति सही रीति रिवाज और नियम के साथ ज्येष्ठ अमावस्या का व्रत करता है उन जातकों का मन शुद्ध होता है और उन्हें भगवान की कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा ऐसे जातकों को स्वस्थ शरीर और निरोगी काया का भी वरदान प्राप्त होता है। पितरों की आत्मा को शांति और पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान की कृपा से ऐसे जातकों के सभी मनोकामनाएं भी अवश्य पूरी होती है।

क्या यह जानते हैं आप? शनि अमावस्या या ज्येष्ठ अमावस्या के दिन यज्ञ और हवन का विशेष महत्व होता है। ऐसे में इस दिन देश में जगह-जगह पर यज्ञ और हवन कराए जाते हैं और लोग पंडितों को घर बुलाकर विशेष रीति और नियम से भी यज्ञ और हवन करवाते हैं।

करियर की हो रही है टेंशन! अभी ऑर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट

ज्येष्ठ अमावस्या उपाय

चूंकि ज्येष्ठ अमावस्या का व्रत धार्मिक के साथ-साथ ज्योतिषीय दृष्टि से भी बेहद ही महत्वपूर्ण होता है ऐसे में इस दिन कुछ विशेष ज्योतिषीय उपाय करने से व्यक्ति के जीवन में तमाम तरह के लाभ और पुण्य की प्राप्ति होती है। 

  • जैसे इस दिन शनि देव की पूजा करने से कुंडली में मौजूद शनि दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है और कुंडली में शनि को मजबूत किया जा सकता है। 
  • इस दिन की पूजा में शनि के प्रिय मंत्र ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’ का जाप अवश्य करें। 
  • ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों को शांति मिलती है। 
  • इस दिन यदि मुमकिन हो तो कुछ समय के लिए किसी नीम के पेड़ की छाया में अवश्य बैठें। ऐसा करने से भी शनि देव की कृपा प्राप्त होती है। 
  • यदि आप लंबे समय से नौकरी के लिए प्रयत्न कर रहे हैं और इसमें आपको सफलता नहीं मिल रही है तो भी ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि मंदिर में जाकर शनि देव की मूर्ति पर तेल से अभिषेक करें। इससे जल्द नौकरी मिलने की संभावना बढ़ जाती है। 
  • इसके अलावा इस दिन कुछ मंत्रों का जप विशेष फलदाई होता है नीचे हम आपको उन मंत्रों की जानकारी प्रदान कर रहे हैं। आप अपनी श्रद्धा और इच्छा के अनुसार इनमें से किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं।

शनिदेव के लिए मंत्र: ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ 

भगवान शिव के लिए मंत्र: ‘ॐ नमः शिवाय’ 

माँ लक्ष्मी के लिए मंत्र: ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं नमः’ 

भगवान विष्णु के लिए मंत्र: ‘ॐ नमो नारायणाय’

अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित  से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!

ज्येष्ठ अमावस्या पर क्या ना करें 

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन क्या कुछ करके आप अपने जीवन में शुभ फल की प्राप्ति को सुनिश्चित कर सकते हैं इस बारे में तो हमने आपको जानकारी दे दी। अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन क्या कुछ हमें भूल से भी नहीं करना होता है। तो, 

  • इस दिन मांस मदिरा का सेवन ना करें। 
  • किसी से धन उधार पर ना लें। 
  • मुमकिन हो तो कोई नई वस्तु ना खरीदें। 
  • इसके अलावा इस दिन किसी भी तरह का गलत काम ना करें। 
  • झूठ ना बोलें, किसी का बुरा ना करें, किसी का बुरा ना चाहें और जितना हो सके अपना ध्यान और समय व्रत पूजा आदि में लगाएं।

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.