ग्रहों की वक्री चाल और ग्रहण, जून का महीना क्या कुछ लेकर आने वाला है

जून का महीना काफी गतिशील और ऊर्जा से भरा रहने वाला है क्योंकि इस माह में हम एक लंबे अंतराल के बाद आकाशीय क्षेत्र पर होने वाली एक दुर्लभ और विस्मयकारी घटना के साक्षी रहेंगे । 6 जून से 5 जुलाई 2020 तक, यानि कि महज 30 दिनों के अंदर आपकी कुंडली तीन ग्रहणों से प्रभावित रहने वाली है। इस की शुरुआत 6 जून को होने वाले चंद्र ग्रहण के साथ होगी, फिर इस कड़ी में आगे हम 21 जून को पूर्ण सूर्यग्रहण जुड़ता हुआ देखेंगे और इसका समापन 5 जुलाई को एक और चंद्र ग्रहण के साथ होगा। इसके साथ एक और महत्वपूर्ण खगोलीय घटना यह होगी कि अधिकतम ग्रह मिथुन राशि में विचरण करेंगे और छह ग्रह अपनी गति से अपनी विपरीत गति में चलते हुए प्रतीत होंगे, इसका मतलब है वो “वक्र” गति में रहेंगे, जो नतीजों की प्रक्रिया में और तेज़ी स्फूर्ति लेकर आयेगा। इस समय जानमानस में भावनाओं का अतिरेक रहेगा , इसलिए इस अवधि में कोई भी महत्व पूर्ण फैसला जैसे नौकरी में फेरबदल, शादी, किसी उच्च मूल्य की वस्तु की खरीद- बिक्री या निवेश, इनका निर्णय बहुत ही सोच-समझकर लेने की ज़रूरत रहेगी।  

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कोरोना महामारी का असर 

इस ग्रहण के दौरान अधिकाँश ग्रह मिथुन राशि, जिसे हम ज्योतिष में प्रथम कुटुंब की राशि मानते हैं में स्थित होंगे। यह राशि साझेदारी और पश्चिम दिशा को इंगित करती है, साथ ही यह राशि नव विचार का भी प्रतिनिधित्व करती है ! जिसका अर्थ यह निकलता है कि, हो सकता है इस समय अवधि के दौरान भारत कोरोना महामारी से लड़ने के लिए  संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों के साथ मिलकर असरदार दवा तैयार करने के लिए कोई महत्वपूर्ण गठबंधन भी कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो कई महीनों तक इस बीमारी की वजह से तनाव में  रहने के बाद हमें इससे छुटकारे की ओर गतिशील होते हुए नज़र आएँगे । 

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भारत पर ग्रहों के इन समूहों और ग्रहणों का प्रभाव

  • सबसे पहले, चूंकि यह ग्रहण हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ के माह में होने वाले हैं, ऐसे में यह बात इस तरफ इशारा करती है कि इस समय में हमें पानी की किल्लत का भी सामना करना पड़ सकता है। ऐसा बारिश की कमी और नदियों, महासागरों की धाराओं में बदलाव की वजह से होने की आशंका है।
  • प्रमुख ग्रहण और वक्री ग्रह भारतीय कुंडली के क्रमशः पहले, दूसरे और नौवें घर को सक्रिय कर रहे हैं। जैसा की नौवां घर न्यायपालिका के लिए जाना जाता है, ऐसे में यह बात इस तरफ इशारा कर रही है कि आने वाले महीनों में इस लोकतांत्रिक देश के नागरिकों की सुरक्षा और कल्याण के संबंध में भारत की न्यायिक प्रणाली और अधिक कार्यरत नज़र आ सकती है।
  • वहीं पहला घर आम जनता और नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए जाना जाता है, इसलिए 25 जून तक, कुछ समस्याओं और उतार-चढ़ाव की आशंका है, लेकिन क्योंकि 26 जून से भारतीय कुंडली के लग्न के स्वामी या लग्नेश शुक्र मार्गी हो जाएंगे, लोगों के स्वास्थ्य और जीवन में कुछ नए बदलाव और सकरात्मक सुधार देखने को मिल सकते हैं। 30 जून को धनु राशि में बृहस्पति की चाल के बाद इसमें कुछ और भी सकारात्मक बदलाव  मिलने की उम्मीद है।
  • इसके अलावा, दूसरा घर राजकोष, बैंकों और वित्तीय संस्थानों, शेयर बाजार, आयात-निर्यात संबंधित गतिविधियों के लिए जाना जाता है। इसलिए, इस दौरान शेयर बाज़ार में अस्थिरता की स्थिति देखी जा सकती है। इस समय अवधि के दौरान सरकार से यह भी उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने  के लिए वित्तीय संस्थानों के संबंध में वह धन या कर नियमों और विनियमों में थोड़ी राहत दे सकती है । इस अवधि में आयात निर्यात बढ़ाने के लिए कुछ सकारात्मक कदम भी उठाये जा सकते हैं।

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  • हालांकि, सीए, सीएस, शिक्षक, क्लर्क, डेटा विश्लेषकों जैसे पेशेवरों को इस दौरान अचानक लाभ या अच्छे अवसर प्राप्त  हो सकते हैं । जैसा कि मिथुन राशि और राहु दोनों ही संचार प्रणाली से संबंधित हैं, ऐसे में  इन क्षेत्रों से जुड़ी कुछ नई सफलताएं देखने को भी मिल सकती हैं।
  • जैसा कि बुध और चंद्रमा दोनों को नए विक्रम संवत के राजा और मंत्री के रूप में निर्धारित किया गया है,  “राहु” और “केतु” के अशुभ अक्ष में हैं, जो इस तरफ इशारा करती है कि सरकार को नागरिकों के साथ जुड़ने के लिए कड़ी मेहनत और लगातार प्रयास करने होंगे, अन्यथा, इस समय के दौरान उनकी छवि को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
  • क्योंकि मिथुन राशि एक पुरुष प्रधान राशि है और पितृसत्तात्मक व्यवस्था को दर्शाती है, ये बात इस तरफ इशारा करती है कि इस अवधि के दौरान खासकर 25 जून तक, महिलाओं के साथ हिंसा के मामलों में वृद्धि हो सकती है।
  • क्योंकि, मिथुन राशि में ग्रहों का एक समूह, स्थित है, जो पश्चिम दिशा को इंगित करता है और यह उग्र ग्रह मंगल की भी इस ग्रहचाल पर पूर्ण दृष्टि रहेगी। यह इस ओर  इंगित करता है कि देश के पश्चिमी हिस्से जैसे राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात आदि, में कुछ प्रमुख समस्याओं या राजनीतिक अशांति के मामलें इस दौरान सामने आ सकते हैं।
  • चूँकि सूर्य “दुर्गेश” या युद्ध का ग्रह माना गया है और यह भी अन्य ग्रहों के साथ मिथुन राशि में है, जो यह दर्शाता है कि भारत, इस समय के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों के साथ सैन्य घटबंधन या संबंध स्थापित कर सकता है या इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठा सकता है।

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किन राशियों को है सावधान रहने की ज़रूरत ?

इस समय जिन राशियों को सावधान रहने की ज़रूरत है वो हैं मिथुन, कर्क और वृश्चिक। इन राशि के जातकों को इस समय के दौरान अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। इस समय इन राशि के जातकों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की आशंका है जिससे वो इस दौरान आसानी से संक्रमण, आंखों की बीमारियों और त्वचा की समस्याओं से ग्रस्त हो सकते हैं। साथ ही, इस अवधि के दौरान इन राशियों के जातक कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचें, अगर फ़ैसला लेना बेहद आवश्यक हो तो किसी बड़े या विशेषज्ञों से सलाह लेने के बाद ही कोई निर्णय लेने की सलाह दी जाती है। इस अवधि में आपके खर्चों में भी वृद्धि देखी जा सकती है, इसलिए आपको पहले से ही अपने संसाधनों का उचित उपयोग और योजना बना लेनी चाहिए। इसके अलावा, अपने परिवार के सदस्यों से बात करते समय अपनी मर्यादा का ख़ास ख्याल रखें। अन्यथा परिवार में कोई बेवजह  का क्लेश हो सकता है जिससे परिवार का वातावरण ख़राब होने की संभावना है।

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 किन राशियों को होगा लाभ ?

इन ग्रहण से मेष, सिंह और मीन राशि के जातकों को लाभ मिलने की संभावना है। इस समय अवधि के दौरान इन राशि के जातकों के सभी कार्य आसानी से पूरे हो सकते हैं। इसके अलावा पेशेवर रूप से आगे बढ़ने के लिए इन राशियों के जातकों को इस समय भरपूर अवसर मिलने वाले हैं। इसलिए, इस समय के दौरान बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए निर्णय लेते समय उन्हें अपनी बुद्धि का पूरा और सही इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।

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