जीवित्पुत्रिका व्रत आज, जानें पारण तिथि और व्रत कथा !

हिन्दू धर्म में यूँ तो सभी व्रत और त्यौहार को ख़ासा महत्व दिया जाता है। उन्हीं व्रत त्योहारों में से एक व्रत है जीवित्पुत्रिका व्रत। इसे जितिया या जिउतिया के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत को मुख्य रूप से विवाहित महिलाएं अपने संतान की लंबी उम्र और अच्छी जिंदगी के लिए रखती हैं। आज आश्विन माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा जाएगा। हमने आपको पहले ही इस व्रत को रखने की विधि और महत्व के बारे में बता दिया है। आज हम आपको मुख्य रूप से इस व्रत के पारण तिथि और व्रत कथा के बारे में बताने जा रहे हैं। 

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आपकी जानकरी के लिए बता दें कि, जिउतिया व्रत तीन दिनों का त्यौहार होता है। पहले दिन महिलाएं नहाय खाय करती हैं, जो की कल शनिवार को ही हो चुका है। दूसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है। 

आज कब से आरंभ होगा जीवित्पुत्रिका व्रत 

बता दें कि आज 22 सितंबर को दिन के 2 बजकर दस मिनट से इस व्रत की शुरुआत हो जायेगी और कल शाम को चार बजकर दस मिनट पर इस व्रत का पारण होगा। हिन्दू धर्म में महिलाएं इस व्रत को विशेष रूप से अपने संतान की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। इस व्रत को बेहद कठिन व्रत माना जाता है। 24 घंटे से भी ज्यादा समय के लिए व्रती महिलाओं को बिना अन्न और जल ग्रहण किये रहना होता है। इसलिए इसे सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। व्रत वाले दिन महिलाएं सुबह स्नान आदि करने के बाद नए वस्त्र धारण करती हैं और उसके बाद जीतवाहन देव की पूजा करती हैं और उनसे अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। 

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जीवित्पुत्रिका व्रत कथा 

आपको दें कि, इस व्रत का संबंध महाभारत काल से है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत के युद्ध के समय अश्वत्थामा अपने पिता की मौत से काफी विचलित हो गया था। उसके अंदर इतनी ज्यादा नफरत पैदा हो गयी थी की उसने अपने पिता के मौत की बदला लेने के लिए रात को सो रहे द्रौपदी के पांच बेटों को पांडव समझकर उनकी हत्या कर दी। उसका मन इतने से भी जब नहीं भरा तो उसने अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ में पल रहे उसकी संतान को भी मार डाला। अश्वत्थामा के बढ़ते आतंक को देखकर अर्जुन ने उसे बंदी बना लिया और श्री कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ को फिर से जीवित कर दिया। बता दें कि, अभिमन्यु की पत्नी का नाम उत्तरा था और उसने जिस संतान को जन्म दिया उसका नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया। आगे जाकर जीवित्पुत्रिका ही राजा परीक्षित के नाम से मशहूर हुए। इसके बाद से ही महिलाएं अपने संतान की लंबी उम्र के लिए जीवित्पुत्रिका का व्रत रखने लगीं। 

इस व्रत को मुख्य रूप से उत्तरप्रदेश और बिहार में संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। 

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