झूलेलाल जयंती 2021 : जानिए कब है झूलेलाल जयंती और क्या है इससे जुड़ी कथा

झूलेलाल जयंती सिंधी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। मान्यता है कि इस दिन भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था। भगवान झूलेलाल सिंधी हिन्दुओं के आराध्य देवता हैं। इस दिन से ही सिंधी नववर्ष भी शुरू होता है। चूँकि सिंधी पंचांग का हरेक महीना चाँद को देख कर शुरू होता है इस वजह से इस त्यौहार को चेटीचंड भी कहा जाता है। भगवान झूलेलाल के कई और नाम भी हैं जैसे कि लाल साईं, उडेरो लाल, वरुण देव, दरिया लाल, अमर लाल, घोड़ोवारो और ज़िंदपीर आदि। मान्यता है कि भगवान झूलेलाल जल के देवता वरुण के ही अवतार थे।  

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झूलेलाल जयंती को लेकर एक प्रचलित कथा है। आज हम इस लेख में आपको झूलेलाल जयंती की तिथि, शुभ मुहूर्त और कथा की जानकारी देंगे।

झूलेलाल जयंती तिथि और शुभ मुहूर्त 

इस साल यानी कि साल 2021 में झूलेलाल जयंती 13 अप्रैल को मनाई जाएगी।

दिन : मंगलवार

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ : अप्रैल 12, 2021 को 08:00 बजे

प्रतिपदा तिथि समाप्त : अप्रैल 13, 2021 को 10:16 बजे

चेटी चण्ड मुहूर्त : 18 बजकर 46 मिनट से 19 बजकर 51 मिनट तक 

अवधि : 01 घण्टा 05 मिनट 

झूलेलाल जयंती की कथा 

कहा जाता है कि बहुत पहले सिंधु प्रांत पर एक क्रूर राजा शासन करता था जिसका नाम मिरखशाह था। मिर्ख शाह के अत्याचारों और तानाशाही से तंग आकर सिंधु के लोगों ने सिंधु नदी के किनारे 40 दिनों का कठिन तप किया था। इस तप से प्रसन्न होकर भगवान झूलेलाल मत्स्य पर सवार होकर सबके सामने प्रकट हुए। 

उन लोगों ने भगवान झूलेलाल से मिर्ख शाह के अत्याचारों से मुक्ति का आशीर्वाद मांगा। तब भगवान झूलेलाल ने उन्हें वचन देते हुए कहा कि उस दिन से ठीक 40 दिनों बाद वो एक बालक के रूप में जन्म लेंगे और लोगों को मिरखशाह के अत्याचारों से मुक्ति दिलाएंगे। इसके बाद सिंधु प्रांत के नसरपुर में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की दूसरी तिथि के दिन ठाकुर भाई रतन रॉय के घर माता देवकी ने एक बालक को जन्म दिया जिसका नाम उडेरो लाल रखा गया। बाद में इसी उडेरो लाल नामक बालक ने सिंधु प्रांत के लोगों को मिर्ख शाह के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी। 

तब से ही भगवान झूलेलाल के जन्मदिन को सिंधी हिन्दू बड़े धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन वे एक लकड़ी का मंदिर बनाते हैं और उसके अंदर एक दीप और एक लोटी जल रख देते हैं। फिर सिंधी लोग बहिराणा साहब (काठ का मंदिर) को सर पर उठाकर अपना पारम्परिक नृत्य करते हैं जिसे ‘छेज’ कहते हैं। इस दिन सिंधु भाई बहनों का भगवान झूलेलाल के प्रति आस्था देखते ही बनती है।

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