महिलाओं के लिए बेहद ख़ास है जया पार्वती व्रत, जानें इस व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को जया पार्वती व्रत किया जाता है। इस दिन मां पार्वती की पूजा और व्रत का विधान बताया गया है। जो कोई भी स्त्री या व्यक्ति इस दिन माँ पार्वती की विधि पूर्वक पूजा और व्रत करता है उसे अखंड सौभाग्यवती, समृद्धि शाली जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मुख्य तौर पर यह व्रत महिलाएं करती हैं। बात करें इस वर्ष जया पार्वती व्रत की तो इस साल के व्रत 22 जुलाई 2021 को किया जाएगा।

जीवन की दुविधा दूर करने के लिए विद्वान ज्योतिषियों से करें फोन पर बात और चैट

जया पार्वती व्रत महत्व

जया पार्वती का यह व्रत लगातार पांच दिनों तक चलने वाला त्यौहार है जो कि आषाढ़ महीने में मनाया जाता है। जहाँ सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को करती हैं तो वहीं अविवाहित महिलाएं या कन्या अच्छे और सुयोग्य वर के लिए यह व्रत करती हैं। इस व्रत से जुड़े एक महत्वपूर्ण नियम के अनुसार जिस किसी व्यक्ति ने भी एक बार जया एकादशी का व्रत शुरू कर दिया उसे लगातार 5, 7, 9, 11 या फिर 20 साल तक यह व्रत करना अनिवार्य होता है। 

जो कोई भी व्यक्ति इस व्रत को निष्ठा पूर्वक पूरे नियम के साथ करता है उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे व्यक्तियों के घर में हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती है, महिलाओं का सुहाग बना रहता है, कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं

जया पार्वती व्रत से संबंधित अनुष्ठान

जया पार्वती व्रत माँ पार्वती को समर्पित एक बेहद ही पुण्य दाई व्रत है। ऐसे में इस व्रत को करने वाले भक्तों को 5 दिनों तक नमक युक्त भोजन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा इस दौरान गेंहू और कुछ सब्जियां भी वर्जित बताई गई है। इस व्रत के पहले दिन बहुत से लोग गेंहू या जावरा के बीच को मिट्टी के एक छोटे से बर्तन में लगाकर पूजा वाली जगह पर इस बर्तन को रख देते हैं। इसके बाद लगातार पांच दिनों तक इस बर्तन की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान इस बर्तन में पानी डाला जाता है। इसके बाद सिंदूर को रुई से बने हार की तरह एक डोरी पर रखा जाता है जिससे नगला कहते हैं। फिर इसे बर्तन के किनारों के पास रखा जाता है।

इस व्रत के अंतिम दिन महिलाएं जागरण करती हैं। लोग भजन कीर्तन गाते हैं और माता की आरती कहते हैं। यह रात्रि जागरण अगले दिन तक किया जाता है और अंत में पांचवे दिन जाकर यह उपवास पूरा होता है। जागरण के अगले दिन गमले में रखे गेहूं की घास किसी पवित्र नदी या फिर जलाशय में डाल दी जाती है। इसके बाद महिलाएं पूजा करती हैं और पूजा करने के बाद अन्य सब्जियों और नमक से बना स्वादिष्ट भोजन करके अपना उपवास पूरा करती हैं।

जया पार्वती व्रत पूजन विधि

  • आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें। 
  • इसके बाद पूजा स्थल पर सोने, चांदी या फिर मिट्टी के बैल पर बैठे हुए शिव पार्वती की मूर्ति को स्थापित करें। स्थापना किसी ब्राह्मण के घर पर वेद मंत्रों से कराएं। इसके बाद पूजा प्रारंभ करें। 
  • पूजा में कुमकुम. कस्तूरी, अष्टगंध, फल और फूल अवश्य शामिल करें। इसके बाद नारियल, दाख, अनार और अन्य ऋतु फल चढ़ाएं और विधि पूर्वक पूजा करें। 
  • इसके बाद मां पार्वती का स्मरण करें और उनकी पूजा करें। 
  • अंत में कथा करें। 
  • कथा सुनने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उसके बाद खुद बिना नमक का भोजन ग्रहण करें।

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.